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राज कुमार

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चुनावी बिसात पर विपक्षी गठबंधन का बिखराव

एक ओर भाजपा राज्य-दर-राज्य सुनियोजित चुनावी बिसात बिछा रही है, तो विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में लोकसभा चुनाव की कोई रणनीति नजर नहीं आती. कांग्रेस का फोकस राहुल गांधी की न्याय यात्रा पर ज्यादा नजर आता है, तो अन्य दल उससे संपर्क और संवाद का इंतजार करते-करते चुनावी तैयारियों में पिछड़ गये हैं.

चुनावी तैयारियों में ‘इंडिया’ गठबंधन की सुस्त चाल

कई राज्यों में एनडीए को पिछली बार 50 प्रतिशत से भी ज्यादा वोट मिला था. ऐसे में ‘इंडिया’ की चुनावी तैयारियों की सुस्त चाल उसके घटक दलों की नीति और नीयत दोनों पर ही सवालिया निशान लगाती है, क्योंकि हर सीट पर साझा उम्मीदवार उतारे बिना एनडीए का मुकाबला मुमकिन नहीं लगता.

वर्ष 2024 में 60 से ज्यादा देशों में होंगे चुनाव

वैसे 2024 की चुनावी शृंखला की शुरूआत पड़ोसी बांग्लादेश से होगी, जहां सात जनवरी को संसदीय चुनाव है. सबसे लंबे समय तक महिला प्रधानमंत्री रहने का रिकॉर्ड बना चुकीं शेख हसीना चौथे कार्यकाल की दावेदारी कर रही हैं.

चिंताजनक है राज्यपालों का रवैया

निर्वाचित राज्य सरकारों और केंद्र द्वारा नियुक्त राज्यपालों के बीच टकराव राज्यपालों के आचरण पर ही नहीं, उनकी नियुक्ति प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े करता है. उन ज्यादातर राज्यों में मुख्यमंत्री और राज्यपाल के रिश्ते अच्छे नहीं हैं, जहां केंद्र में सत्तारूढ़ दल से अलग दल की सरकार है.

केंद्र की सत्ता का सेमीफाइनल हैं ये चुनाव

विधानसभा चुनाव वाले इन पांच राज्यों से कुल मिलाकर 83 लोकसभा सांसद चुने जाते हैं. ऐसे में इनके जनादेश में राष्ट्रीय राजनीति के लिए संकेत खोजने की भी कोशिश होगी, क्योंकि इनमें से 65 सीटें भाजपा के पास हैं.

विपक्षी एकता की परीक्षा लेते कठिन मुद्दे

लोकसभा चुनाव में ज्यादा टकराव न भी हो, पर विधानसभा चुनाव में सीट शेयरिंग बहुत बड़ी चुनौती साबित होगी. कहीं ‘एक देश- एक चुनाव’ की सोच ‘इंडिया’ में ऐसे टकराव को बढ़ावा देने की मंशा से भी तो प्रेरित नहीं?