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GDP की गणना के लिए फिर बदला जायेगा आधार वर्ष, कुछ ही महीनों में फैसला लेगी सरकार

नयी दिल्ली : सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) गणना की नयी शृंखला के लिए कुछ महीनों के भीतर नये आधार वर्ष पर निर्णय लेगा. एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी. मंत्रालय 2017-18 को नया आधार वर्ष बनाने पर विचार कर रहा है. हालांकि, अभी इस बारे में कोई […]

नयी दिल्ली : सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) गणना की नयी शृंखला के लिए कुछ महीनों के भीतर नये आधार वर्ष पर निर्णय लेगा. एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी. मंत्रालय 2017-18 को नया आधार वर्ष बनाने पर विचार कर रहा है. हालांकि, अभी इस बारे में कोई अंतिम निर्णय नहीं किया गया है, क्योंकि इस बारे में विचार कर रही विशेषज्ञों की समिति को थोड़े और आंकड़ों का इंतजार है.

सांख्यिकी सचिव प्रवीण श्रीवास्तव ने यहां कहा कि जीडीपी की गणना के लिए आधार वर्ष को बदलने का निर्णय अगले कुछ महीनों में कर लिया जायेगा. हमें उद्योगों के वार्षिक सर्वेक्षण और उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण के आने का इंतजार है. इसके लिए सारी तैयारी कर ली गयी हैं. उद्योग मंडल फिक्की के एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि एक बार परिणाम आ जाए, फिर हम इसे संबंधित समिति (आधार वर्ष के लिए विशेषज्ञ समिति) के सामने रखेंगे. यह फैसला वैश्विक और राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखकर लिया जायेगा.

उन्होंने कहा कि पहले जब जीडीपी की नयी शृंखला के लिए 2011-12 को आधार वर्ष बनाया गया था. उस दौरान सरकार ने 2009-10 पर भी विचार किया था, लेकिन अर्थशास्त्रियों का मानना था कि 2009-10 वैश्विक और घरेलू तौर पर अच्छा वर्ष नहीं था, इसलिए 2011-12 को जीडीपी की नयी शृंखला का आधार वर्ष बनाया गया.

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