30.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

इस्तेमाल और लत का समझें फर्क

निखिल पहवा डिजिटल अधिकार कार्यकर्ता delhi@prabhatkhabar.in सूचना के लिहाज से हम एक ऐसे दौर में हैं, जहां सोशल मीडिया के जरिये हर पल कुछ न कुछ देखते-पढ़ते या सुनते रहते हैं कि कहां क्या हो रहा है. यह व्यवहार हमारी आदत में शुमार होता जा रहा है, जैसे कि हर दौर में किसी न किसी […]

निखिल पहवा

डिजिटल अधिकार कार्यकर्ता

delhi@prabhatkhabar.in

सूचना के लिहाज से हम एक ऐसे दौर में हैं, जहां सोशल मीडिया के जरिये हर पल कुछ न कुछ देखते-पढ़ते या सुनते रहते हैं कि कहां क्या हो रहा है. यह व्यवहार हमारी आदत में शुमार होता जा रहा है, जैसे कि हर दौर में किसी न किसी उपकरण के आने को लेकर हम आदतों के शिकार होते रहे हैं.

जैसे-जैसे तकनीकी उपकरणों का विस्तार होता जाता है, वैसे-वैसे उनके फायदे-नुकसान को लेकर भी बातें होती रहती हैं. क्योंकि हमारी कुछ आदतें इन उपकरणों से जुड़ जाती हैं.

इसी संबंध में हाल ही में एक वैश्विक शोध आया है कि हर चार में से एक आदमी स्मार्टफोन के एडिक्शन का शिकार है. यानी आज हर चौथा व्यक्ति स्मार्टफोन पर निर्भर है, जो उसकी गैर-मौजूदगी में परेशान हो जाता है. हो सकता है कि इसे लोग लत की तरह समझें, लेकिन इस मामले में मेरा मानना अलग है. इस रिपोर्ट में वैसे तो बहुत सी बातें कही गयी हैं, बहुत से आंकड़े दिये गये हैं कि किस उम्र के ज्यादा लोग स्मार्टफोन एडिक्शन के शिकार हैं. लेकिन, इन आंकड़ों और बातों से इतर भी बहुत कुछ है, जिसे समझने की जरूरत है.

आप याद कीजिए. कुछ साल पहले जब देश-दुनिया में टेलीविजन लोगों के घरों में पहुंचने लगी, तब रिपोर्ट आती थी कि एक चौथाई लोगों को टीवी देखने की लत लग गयी है. मेरे खयाल में यह लत नहीं है.

जब भी कोई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण हमारे पास आता है, तब हम उसके उपभोग की आदतों के शिकार होते चले जाते हैं. इसको हम वे ऑफ लाइफ कहते हैं. जाहिर है, हमारे जीवन में जो भी नयी चीज आयेगी और अगर वह मनोरंजक या सर्वसुलभ होगी, तो वह हमारे जीवन का हिस्सा हो जायेगी. कहने का अर्थ यही है कि जहां एक जमाने में हम टीवी ज्यादा देखते थे, अब आजकल स्मार्टफोन ज्यादा देखने लगे हैं.

पहले टीवी हमारे जीवन का हिस्सा बनी थी, और आज स्मार्टफोन बन गये हैं. टीवी की आदत को लेकर दूसरी मुश्किलें हैं, उसे सिर्फ घर में बैठकर ही देखा जा सकता है. लेकिन स्मार्टफोन आज ऐसा उपकरण है, जो एक तो हर वक्त हमारे साथ रहता है, दूसरे यह बहुत उपयोगी भी है. इसलिए आज कोई भी व्यक्ति मोबाइल फोन के बिना नहीं रह सकता है.

स्मार्टफोन से पहले कंप्यूटर और लैपटॉप को लेकर भी यही लत सामने आयी थी. लेकिन आज देखिए, दुनिया का कोई ऐसा ऑफिस नहीं होगा, जो बिना कंप्यूटर के काम कर सके. यानी यह ‘वे ऑफ लाइफ’ है, हमारी जिंदगी का हिस्सा है.

इसके बिना हम काम नहीं कर सकते. इसलिए इसको लत कहना ठीक नहीं होगा. लत का अर्थ है नशा, जैसे शराब या किसी ड्रग्स आदि का होता है. इस तरह की लत हमारे जीवन के लिए घातक होती है, अक्सर ये लत जानलेवा भी साबित हो जाती हैं. लेकिन किसी कंप्यूटर या लैपटॉप या मोबाइल की लत से किसी की जान नहीं जा सकती. हां, थोड़ी-बहुत बीमारियां घर कर सकती हैं, जो कि जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल से यह होना तय है.

स्मार्टफोन एक गाड़ी की तरह है, जिसे लेकर हमें यह समझ होनी चाहिए कि हम उसको कितनी स्पीड से चलायें या किस रास्ते पर लेकर जायें, तो ज्यादा सुरक्षित रहेंगे. स्मार्टफोन हमारी जिंदगी के हर हिस्से में शामिल हो चुका है, इसलिए हमें यह बात तो समझनी ही होगी कि इसके इस्तेमाल का चरम क्या है, ताकि उस अवस्था पर जाकर हम स्मार्टफोन को कुछ समय के लिए रख दें. अगर हम ऐसा नहीं करेंगे, तो संभव है कि आप ‘कार्पल टनल सिंड्रोम’ के शिकार हो जायें.

‘कार्पल टनल सिंड्रोम’ एक ऐसी बीमारी है, जिससे हाथ सुन्न हो जाता है और दर्द होता है. पहले यह बीमारी कंप्यूटर या लैपटॉप के ज्यादा इस्तेमाल से होती थी, लेकिन अब मोबाइल के हद से ज्यादा इस्तेमाल से हो रही है.

इसलिए मैं कहता हूं कि किसी भी उपकरण का हद से ज्यादा इस्तेमाल ‘वे ऑफ लाइफ’ कतई नहीं है. ‘वे ऑफ लाइफ’ का अर्थ है कि हमारी जिंदगी में कोई चीज शामिल होते हुए भी वह हमारी जिंदगी के लिए घातक नहीं है. अगर हम स्मार्टफोन का इस्तेमाल सही तरीके से करेंगे, तो हम कभी भी ‘कार्पल टनल सिंड्रोम’ का शिकार नहीं हो सकते.

एडिक्शन चाहे जिस चीज का भी हो, हमारा शरीर पर उसका असर पड़ता ही है. शराब या धूम्रपान का असर जिस तरह से हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाता है, उस तरह स्मार्टफोन नहीं नुकसान पहुंचाता. हां, हमारे मन पर इसका असर जरूर पड़ता है, वह भी जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल से या फिर गलत चीजों के लिए इस्तेमाल से. मसलन, स्मार्टफोन का काम यह है कि हम इससे सूचना पा सकें, लोगों से बात कर सकें और अपने जरूरी संदेशों को दूर-दूर तक पहुंचा सकें. लेकिन, अगर हम इसी स्मार्टफोन पर लगातार पोर्न देखेंगे या खतरनाक गेम खेलेंगे, तो यह हमारे लिए घातक ही साबित होगा.

आज इस बात की शिक्षा देने की जरूरत है कि हम किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का इस्तेमाल किस हद तक करें. एक चाकू किचन में सब्जी काटने के भी काम आ सकती है और किसी पर हमला करने के लिए भी. इसलिए जरूरी है कि हर व्यक्ति को यह मालूम हो कि चाकू के इस्तेमाल की हद क्या होती है.

इसी तरह स्मार्टफोन के इस्तेमाल को लेकर भी जागरूकता की जरूरत है. मैं हर वक्त स्मार्टफोन अपने साथ रखता हूं, लेकिन मैं इसकी लत का शिकार नहीं हूं. मेरा मानना है कि आज हर व्यक्ति में यह समझ विकसित होनी चाहिए कि वह लत और इस्तेमाल का फर्क समझकर ही स्मार्टफोन का इस्तेमाल करे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें