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देश में पहली बार किसी मरीज का दोनों लंग हुआ ट्रांसप्लांट, फेफड़ों में खराबी के साथ कोरोना से भी था संक्रमित

Double Lung Transplant, hyderabad, Corona patient, health News : देश में ऐसा मामला पहली बार सामने आया है जब किसी मरीज को बचाने के लिए दोनों लंग को ट्रांसप्लांट (lung transplant in india) करना पड़ा हो. दरअसल, तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद (lung transplant in hyderabad) के एक अस्पताल का यह मामला है. जहां कोरोना (Corona) संक्रमित मरीज को बचाने के लिए डॉक्टरों ने सफलतापूर्वक दोनों फेफड़ों को ट्रांसप्लांट (Double Lung Transplant) कर दिया. मेडिकल दुनिया में इसे चमत्कार से कम नहीं माना जा सकता है.

Double Lung Transplant, hyderabad, Corona patient, health News : देश में ऐसा मामला पहली बार सामने आया है जब किसी मरीज को बचाने के लिए दोनों लंग को ट्रांसप्लांट (lung transplant in india) करना पड़ा हो. दरअसल, तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद (lung transplant in hyderabad) के एक अस्पताल का यह मामला है. जहां कोरोना (Corona) संक्रमित मरीज को बचाने के लिए डॉक्टरों ने सफलतापूर्वक दोनों फेफड़ों को ट्रांसप्लांट (Double Lung Transplant) कर दिया. मेडिकल दुनिया में इसे चमत्कार से कम नहीं माना जा सकता है.

दरअसल, अंग्रेजी वेबसाइट टीओआई में छपी रिपोर्ट के अनुसार कृष्णा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (Krishna Institute of Medical Science) में कार्यरत लंग ट्रांसप्लांट विभाग के हेड डॉ. संदीप अट्टवार ने कहा कि ऑपरेशन के बाद मरीज पूरी तरह ठीक हो चुका है और वह स्वस्थ होकर घर भी लौट चुका है. डॉक्टर ने बताया कि मरीज की उम्र 32 साल थी और वह चंडीगढ़, पंजाब का रहने वाला था.

मरीज सारकॉइडोसिस बीमारी से गंभीर रूप से पीड़ित था. जिसके कारण उसके दोनों लंग्स बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके थे और वह फाइब्रोसिस का कारण बन चुका था. इस गंभीर बिमारी के साथ मरीज कोरोना संक्रमित भी पाया गया था. जिसके कारण उसकी हालत दि-ब-दिन बिगड़ती ही जा रही थी.

डॉक्टर ने बताया कि फेफड़ों के खराब होने के कारण शरीर में ऑक्सीजन की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही थी. डॉक्टरों की मानें तो मरीज का ऑक्सीजन डिमांड 15 लीटर प्रति मीनट से बढ़ कर 50 लीटर प्रति मीनट हो गया था. ऐसी अवस्था में उसे बचा पाना असंभव लग रहा था. उसे बचाने का एकमात्र उपाय डॉक्टरों को लंग ट्रांसप्लांट ही लगा. लेकिन, यहां पेंच एक और था, लंग का डोनर मिल पाना.

डॉ. अट्टवार के मुताबिक संयोग से मरीज को कोलकाता का एक ब्रेनडेड घोषित मरीज डोनर के तौर पर मिला. जिसके बाद आनन-फानन में कोलकाता से फेफड़े को हैदराबाद मंगवाया गया और मरीज का सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किया गया. फिलहाल वे बिल्कुल ठीक है और उसे अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गयी है.

अंग्रेजी वेबसाइट टीओआई में छपी की रिपोर्ट की मानें तो डॉ. अटावर को 24 से अधिक वर्षों का प्रत्यारोपण सर्जरी का अनुभव है. उन्होंने अभी तक 12,000 से अधिक हृदय सर्जरी और 250 से अधिक फेफड़ों के ट्रांसप्लांट संबंधित सर्जरी के अलावा हृदय और कृत्रिम हृदय के लगाने का अच्छा खासा अनुभव रहा है.

Note : उपरोक्त जानकारियां अंग्रेजी वेबसाइट टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के आधार पर है. कोई भी दवा छोड़ने या अपनाने से पहले इस मामले के जानकार डॉक्टर या डाइटीशियन से जरूर सलाह ले लें.

Posted By : Sumit Kumar Verma

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