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Gandhi Jayanti 2020: जब गांधीजी भी हार गए थे चुनाव, संसद को बताया था बांझ, चुनाव हारने वालों को दिया था यह मंत्र…

Gandhi Jayanti 2020 मृत्युंजय, मुजफ्फरपुर: बिहार विधानसभा चुनाव की गहमागहमी ऐसे वक्त में है, जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती है. चुनाव के दौरान अपने भाषणों में अधिकतर नेता महात्मा गांधी का नाम लेना नहीं भूलते. ऐसे में यह जानना प्रासंगिक है कि गांधी जी की चुनाव को लेकर क्या राय थी. दरअसल, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की सोच चुनाव के बारे में अलग थी. वह सर्वसम्मति का चुनाव चाहते थे. वह वोटिंग के पक्ष में नहीं थे. गांधी ने अपने जीवन में एक बार गुजरात साहित्य परिषद के सभापति का चुनाव लड़ा था, लेकिन वह जीत नहीं सके थे. कांग्रेस में रहते हुए भी गांधीजी ने सर्वसम्मति से चुनाव का पक्ष लिया था.

Gandhi Jayanti 2020 मृत्युंजय, मुजफ्फरपुर: बिहार विधानसभा चुनाव की गहमागहमी ऐसे वक्त में है, जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती है. चुनाव के दौरान अपने भाषणों में अधिकतर नेता महात्मा गांधी का नाम लेना नहीं भूलते. ऐसे में यह जानना प्रासंगिक है कि गांधी जी की चुनाव को लेकर क्या राय थी. दरअसल, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की सोच चुनाव के बारे में अलग थी. वह सर्वसम्मति का चुनाव चाहते थे. वह वोटिंग के पक्ष में नहीं थे. गांधी ने अपने जीवन में एक बार गुजरात साहित्य परिषद के सभापति का चुनाव लड़ा था, लेकिन वह जीत नहीं सके थे. कांग्रेस में रहते हुए भी गांधीजी ने सर्वसम्मति से चुनाव का पक्ष लिया था.

राजनीति युगधर्म है : गांधीजी

बीआरए बिहार विवि के प्रोफेसर डॉ प्रमोद कुमार बताते हैं कि कांग्रेस में जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस चुनाव के बाद जीते थे, तो गांधी ने खुद को उनकी कमेटियों से अलग कर लिया था. गांधी का मानना था कि सर्वसम्मति से ही चुनाव होना सबसे बेहतर है. गांधीजी का कहना था कि राजनीति युगधर्म है. सर्वसम्मति से चुनाव होने से जनता की आकांक्षा का सही प्रतिनिधि चुना जाता है.

चुनाव हारने वाला करे सत्ता की नीतियों की समीक्षा

प्रो प्रमोद कुमार के अनुसार, गांधीजी का मत था कि अगर कोई व्यक्ति चुनाव में हार जाता है, तो उसे जीतने वाले व्यक्ति की नीतियों की समीक्षा करनी चाहिए. उसे इस बात की लगातार मॉनीटरिंग करनी चाहिए कि सत्ता की नीतियां जनता के हित में बनायी जा रही हैं या नहीं. महात्मा गांधी का कहना था कि चुनाव में राजनीतिक दलों को जनता को सही प्रतिनिधि चुनने का प्रशिक्षण भी देना चाहिए.

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बिटिश संसद को लेकर की थी टिप्पणी

महात्मा गांधी की राय संसद के बारे में अच्छी नहीं थी. महात्मा गांधी ने एक बार ब्रिटिश संसद का उदाहरण देते हुए कहा था कि संसद बांझ की तरह होती है. वह जनता के हितों की रक्षा के लिए कानून बनाने में सक्षम नहीं रही. गांधी के इस विचार के बाद एक ब्रिटिश महिला ने उनसे मिलकर आपत्ति भी जतायी थी. इस पर गांधी का कहना था कि वह अपने शब्द वापस लेते हैं, लेकिन बात पर अडिग हैं.

1917 के बाद भी मुजफ्फरपुर व चंपारण आये थे गांधीजी

महात्मा गांधी की अप्रैल, 1917 की चंपारण यात्रा तो देश-विदेश में चर्चित है, लेकिन इसके बाद भी वह मुजफ्फरपुर व चंपारण आये थे. वरिष्ठ पत्रकार और गांधीवादी लेखक अरविंद मोहन बताते हैं कि महात्मा गांधी तीन मई से आठ मई 1939 तक चंपारण में थे. इस समय उन्होंने यहां प्रजापति मिश्र द्वारा खोले गये 50 बेसिक स्कूलों को जाकर देखा और छात्रों को संबोधित भी किया. महात्मा गांधी चंपारण में चलाये जा रहे काम को देख कर काफी खुश हुए. बिहार विवि के प्रो डॉ प्रमोद कुमार बताते हैं कि गांधीजी ने 1934 में आये भूकंप में मुजफ्फरपुर के पीड़ितों की सेवा की थी. वे करीब 15 दिन तक मुजफ्फरपुर व दरभंगा में रहे थे.

Posted By: Thakur Shaktilochan Shandilya

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