27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

बाबा महाश्मशान नाथ जी का तीन दिवसीय श्रृंगार महोत्सव छह अप्रैल से, अंतिम दिन नगर वधुएं देंगी प्रस्तुति

चैत्र नवरात्रि में ऐसी मान्यता है कि रुठे शिव को मनाने शक्ति स्वयं मशान पर आती हैं. मणिकर्णिका घाट पर स्थित बाबा महाश्मशान नाथ जी का श्रृंगार महोत्सव प्रत्येक वर्ष किया जाता है.

Varanasi News: वाराणसी में चैत्र नवरात्रि के पंचमी से सप्तमी तक चलने वाले श्री श्री 1008 बाबा महाश्मसान नाथ जी का तीन दिवसीय श्रृंगार महोत्सव का शुभारम्भ 6 अप्रैल से लेकर 8 अप्रैल तक चलेगा. महोत्सव में प्रत्येक वर्ष की भांति रुद्राभिषेक, भोग-आरती व भव्य भंडारे का आयोजन किया जाएगा. आठ अप्रैल को महोत्सव के अंतिम दिन नगर वधुओं द्वारा महाश्मसान नाथ जी को भावांजलि प्रस्तुत की जाती हैं, जो कि रात्रि पर्यंत तक चलती रहती है.

Undefined
बाबा महाश्मशान नाथ जी का तीन दिवसीय श्रृंगार महोत्सव छह अप्रैल से, अंतिम दिन नगर वधुएं देंगी प्रस्तुति 2
हर साल किया जाता है बाबा महाश्मशान नाथ का श्रृंगार

चैत्र नवरात्रि में ऐसी मान्यता है कि रुठे शिव को मनाने शक्ति स्वयं मशान पर आती हैं. मणिकर्णिका घाट पर स्थित बाबा महाश्मशान नाथ जी का श्रृंगार महोत्सव प्रत्येक वर्ष किया जाता है. इस वर्ष के महोत्सव को लेकर आयोजन समिति के अध्यक्ष चैनू प्रसाद गुप्ता ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए बताया कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी 6 अप्रैल को बाबा का वैदिक परम्परा से रुद्राभिषेक व भव्य पूजन होगा. 7 अप्रैल को भोग आरती के बाद भंडारा व सायंकाल भजन कीर्तन होगा.

Also Read: Varanasi News: नेपाल के PM की पत्नी आरजू राणा देउबा का काशी ने जीता दिल, बोलीं- यहां आकर ऐसा लगा जैसे… सैकड़ों साल से चली आ रही परंपरा

आठ अप्रैल को सायंकाल 6 बजे से बाबा का तांत्रोक्त विधि से पूजन पंचमकार का भोग व नगर वधुओं द्वारा नित्यांजली रात्रि पर्यन्त होगा. श्रृंगार महोत्सव के प्रारंभ के बारे में विस्तार से बताते हुए आयोजन समिति के गुलशन कपूर ने कहा कि यह परम्परा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है, जिसमें यह कहा जाता है कि राजा मानसिंह द्वारा जब बाबा के इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया था, तब मंदिर में संगीत के लिए कोई भी कलाकार आने को तैयार नहीं हुआ था (हिन्दू धर्म में हर पूजन या शुभ कार्य में संगीत जरूर होता है). इसी कार्य को पूर्ण करने के लिए जब कोई तैयार नहीं हुआ तो राजा मानसिंह काफी दुःखी हुए और यह संदेश उस जमाने में धीरे-धीरे पूरे नगर में फैलते हुए काशी के नगर वधुओं तक भी जा पहुंचा.

Also Read: Varanasi News: महामूर्ख मेला में कवियों ने श्रोताओं को खूब हंसाया, बताया क्या है जीवन की बड़ी मूर्खता

नगर वधुओं ने डरते-डरते अपना यह संदेश राजा मानसिंह तक भिजवाया कि यह मौका अगर उन्हें मिलता हैं तो काशी की सभी नगर वधुएं अपने आराध्य संगीत के जनक नटराज महाश्मसानेश्वर को अपनी भावाजंली प्रस्तुत कर सकती है. यह संदेश पाकर राजा मानसिंह काफी प्रसन्न हुए और ससम्मान नगर वधुओं को आमंत्रित किया गया और तब से यह परम्परा चल निकली.

चैत्र नवरात्रि के सप्तमी तिथि नगर वधुएं खुद आती हैं मणिकर्णिका धाम

वहीं, दूसरी तरफ नगर वधुओं के मन में यह आया कि अगर वह इस परम्परा को निरन्तर बढ़ाती हैं तो उनके इस नरकीय जीवन से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होगा. फिर क्या था. आज सैकड़ों वर्ष बीतने के बाद भी यह परम्परा जीवित है और बिना बुलाये यह नगर वधुएं कहीं भी रहें, चैत्र नवरात्रि की सप्तमी तिथि को यह काशी के मणिकर्णिका धाम स्वयं आ जाती है.

बैठक में ये लोग रहे शामिल

बैठक में व्यवस्थापक गुलशन कपूर, जंन्त्रलेश्वर यादव, बिहारी लाल गुप्ता, विजय शंकर पांडे, राजू साव, संजय गुप्ता, दीपक तिवारी, अजय गुप्ता आदि पदाधिकारी और भक्त शामिल रहे.

रिपोर्ट- विपिन सिंह, वाराणसी

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें