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बरेली में सपा कार्यालय की बिजली कटने से अखिलेश यादव खफा, वीरपाल से की मुलाकात, जानें क्या हुई बात?

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कुछ वर्ष समय पहले पूर्व जिलाध्यक्ष अगम मौर्य से कार्यालय को आधुनिक बनाने के साथ ही सौंदर्यीकरण करने को कहा. कार्यालय आधुनिक तो नहीं हुआ लेकिन सात वर्ष से बिजली का बिल जमा न होने के कारण 1.15 लाख के बकाया बिल के चलते चुनावी सीजन में बिजली विभाग ने बिजली कनेक्शन काट दिया.

Bareilly News: समाजवादी पार्टी (सपा) का बरेली कार्यालय लखनऊ के बाद सबसे पुराना कार्यालय है. इसका उद्घघाटन सपा संरक्षक एवं पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने किया था. इस कारण सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कुछ वर्ष समय पहले पूर्व जिलाध्यक्ष अगम मौर्य से कार्यालय को आधुनिक बनाने के साथ ही सौंदर्यीकरण करने को कहा. कार्यालय आधुनिक तो नहीं हुआ लेकिन सात वर्ष से बिजली का बिल जमा न होने के कारण 1.15 लाख के बकाया बिल के चलते चुनावी सीजन में बिजली विभाग ने बिजली कनेक्शन काट दिया.

सपा सुप्रीमो ने बुलवाया लखनऊ

हालांकि, इस दौरान कई जिलाध्यक्ष बदल गए. इससे बरेली से लेकर लखनऊ तक सपा की काफी फजीहत हुई. मगर अब इस फजीहत से अखिलेश यादव बरेली के सपाइयों से काफी खफा हैं. उन्होंने संगठन के पदाधिकारियों से इस मुद्दे पर बात नहीं की. मगर उन्हें पार्टी के पुराने लोगों की याद आई है. इनसे एक-एक कर फोन पर बात कर विधानसभा चुनाव में हार की जानकारी ले रहे थे. इसलिए अखिलेश यादव ने तीन दिन पूर्व सपा के पूर्व राज्यसभा सदस्य एवं जिलाध्यक्ष वीरपाल सिंह यादव को भी फोन मिलाकर बात की. उस वक्त वह अपने निजी कार्य से बदायूं रोड पर थे. करीब पांच से सात मिनट तक विधानसभा चुनाव और बरेली के हालातों पर चर्चा हुई. इसके बाद लखनऊ कार्यालय बुलाया. वीरपाल सिंह यादव ने एक दिन पूर्व अखिलेश यादव से लखनऊ में मुलाकात की.

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शिवपाल के साथ जाने वालों की फिक्र

सपा प्रमुख अखिलेश यादव के चाचा पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव के भाजपा में शामिल होंने की चर्चा है. उनके साथ पुराने और ख़फ़ा चल रहे सपाई न जाएं. इसको लेकर सपा प्रमुख फिक्रमंद हैं. इसीलिए वीरपाल सिंह यादव को बुलाया गया था. मगर उन्होंने भाजपा में जाने से इंकार कर दिया. शिवपाल यादव के जाने से होने वाले नुकसान का डैमेज कन्ट्रोल करने का भरोसा दिलाया.

ओवर कांफिडेंस और गलत फैसलों से हार

अखिलेश यादव ने विधानसभा चुनाव में बरेली मंडल में हुई हार को लेकर चर्चा की. इसमें हाईकमान से लेकर संगठन पदाधिकारियों तक के ओवर कॉन्फिडेंस और गलत फैसलों के कारण हार की बात पर चर्चा हुई.

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संगठन पर चर्चा लेकिन बताया निकम्मा

इस मुलाकात के दौरान बरेली के संग़ठन पर भी बात हुई. इसमें चुनाव के साथ ही किसी भी मुद्दे पर संग़ठन के कार्य की तारीफ नहीं हुई. मगर चुनाव में संग़ठन के कोई काम न करने, झूठी वाहवाही लूटने और फ़ोटो खिंचाने की बात जरूर सामने आई. सपा नेता ने संगठन को निकम्मा तक कह दिया.

वीरपाल पार्टी गठन से विघटन तक जिलाध्यक्ष

सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष वीरपाल सिंह यादव ने एक बिंदु पर का बारीकी से जवाब दिया. वह सपा के 04 अक्टूबर 1992 के गठन से लेकर 2017 में परिवारिक विघटन के दौरान तक जिलाध्यक्ष रहे. सिर्फ राजसभा एवं मंडल प्रभारी रहने के दौरान कुछ समय को पूर्व मंत्री भगवत शरण गंगवार और तारा सिंह सोलंकी को जिलाध्यक्ष बनाया गया था.

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…तो क्या पोते के नामकरण का बुलावा

सपा संग़ठन में ही कुछ का कहना है, वीरपाल सिंह यादव का पोता पैदा हुआ है. वह पोते के नामकरण में अखिलेश यादव को बुलावा देने गए थे. राष्ट्रीय अध्यक्ष को उन्होंने बेटे की शादी में भी बुलाया था. मगर वह नहीं आए. इसलिए अब पोते के नामकरण में बुलावा देने गए थे. इसके अलावा कोई और बात नहीं हुई.

चंदे से बिल जमा, 47 हजार ब्याज

सपाई पार्टी की फजीहत कराने से बिल्कुल भी नहीं चूक रहे हैं. बकाया बिल जमा कर कनेक्शन जुड़वा दिया गया है. मगर यह राशि पार्टी के नेताओं से एकत्र की गई. मगर मामला दबाने के बाद जमा बिल की रशीद सोशल मीडिया पर डाली गई. इसके साथ ही बिल जमा करने का फोटो भी वायरल किया गया.

रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद

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