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राज ठाकरे ने की समान नागरिक संहिता, जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाने की मांग, जानिए क्या कहता है कानून

देश में समान नागरिक संहिता और जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाने की मांग काफी वक्त से उठती रही है. कानून बनाने के लिए भाजपा नेताओं ने सड़क से सदन तक अपने विचार रखे हैं. लेकिन अब तक इस पर फैसला नहीं लिया जा सका है.

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे (Raj Thackeray) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से समान नागरिक संहिता और जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाने का आग्रह किया है. उन्होंने रविवार को एक रैली में ये बातें कहीं. बता दें कि देश में समान नागरिक संहिता और जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाने की मांग काफी वक्त से उठती रही है. कानून बनाने के लिए भाजपा नेताओं ने सड़क से सदन तक अपने विचार रखे हैं, लेकिन अब तक इस पर फैसला नहीं लिया जा सका है.


क्या सरकार इन कानूनों पर लेगी फैसला

उठ रही मांग पर केंद्र सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है. हालांकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने समान नागरिक संहिता और जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाने के पहले संकेत दे चुके हैं. शाह ने उत्तराखंड चुनाव से पहले एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि भाजपा शासित राज्यों में समान नागरिक संहिता और जनसंख्या नियंत्रण पर जल्द फैसला लिया जाएगा.

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क्या है समान नागरिक संहिता कानून

समान नागरिक संहिता का जिक्र संविधान के अनुच्छेद 44 में किया गया है. समान नागरिक संहिता कानून के तहत भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए समान कानून होगा. समान नागरिक संहिता कानून में शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा. यह कानून एक पंथनिरपेक्ष कानून होगा, जो सभी धर्मों के लिए समान रूप से लागू होगा. फिलहाल देश में मुस्लिम, ईसाई और पारसी का पर्सनल ला लागू है. समान नागरिक संहिता कानून को लेकर काफी वक्त से बहस चल रही है. लेकिन इसे अब तक लागू नहीं किया जा सका है.

42वें संशोधन में मिला कानून बनाने का अधिकार

तेजी से बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए जनसंख्या नियंत्रण पर कानून की मांग उठ रही है. जनसंख्या नियंत्रण कानून के तहत किसी जोड़े के लिए बच्चों की संख्या को सीमित करना है. इस पर कानून बनाने के लिए भाजपा ने राज्यसभा में एक प्राइवेट मेंबर बिल भी पेश किया था. इस बिल में दो या अधिक बच्चे होने पर माता-पिता को सरकारी सुविधाओं से वंचित रखने की सिफारिश की गई थी. बता दें कि संविधान के 42वें संशोधन में जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाने का अधिकार राज्य और केंद्र दोनों को मिली है. लेकिन, किसी ने अब तक इस पर फैसला नहीं लिया.

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