29.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

जी-7 का बड़ा निवेश

भारत ने हमेशा जोर दिया है कि जलवायु समस्याओं के समाधान तथा सकारात्मक अंतरराष्ट्रीय सहयोग सुनिश्चित करने के लिए विकसित देशों को आगे आना चाहिए.

बीते महीने जर्मनी में आयोजित सात विकसित देशों के समूह जी-7 द्वारा 600 अरब डॉलर निवेश करने की घोषणा से वैश्विक विकास को नयी दिशा मिलने की उम्मीद है. बीते साल समूह ने निम्न और मध्य आय वाले देशों के लिए इस योजना की परिकल्पना की थी. यह निवेश मुख्य रूप से चार क्षेत्रों में होगा- स्वास्थ्य सेवा, डिजिटल कनेक्टिविटी, लैंगिक समानता तथा जलवायु एवं ऊर्जा सुरक्षा.

उल्लेखनीय है कि इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जी-7 बैठक में आमंत्रित थे. इन क्षेत्रों में भारत बहुत सक्रियता से विकास की ओर उन्मुख है. स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर को गांवों और दूर-दराज के इलाकों में पहुंचाने की योजनाओं के साथ बीमा और अन्य कल्याण कार्यक्रमों के माध्यम से गरीब तबके को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने की कोशिशें हो रही हैं.

कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए चल रहे दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की चौतरफा प्रशंसा हो रही है. डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का मुख्य जोर गांव-गांव तक ब्रॉडबैंड पहुंचाने पर है. बालिकाओं और महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए भी अनेक पहलें हुई हैं. स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों के विकास तथा जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के मामले में भारत एक उदाहरण के रूप में उभरा है.

लेकिन इन क्षेत्रों में लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए व्यापक निवेश की आवश्यकता है. कुछ समय पहले क्वाड समूह ने भी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में 50 अरब डॉलर के विशेष कोष की घोषणा की है. निश्चित रूप से इन पहलों से भारत समेत कई विकासशील देशों को लाभ होगा. इन प्रयासों को चीन की अगुवाई में चल रहे बेल्ट-रोड परियोजना की प्रतिस्पर्द्धा के रूप में देखा जा रहा है.

चीनी परियोजना जितनी महत्वाकांक्षी है, उतनी ही विवादास्पद भी. उसमें शामिल अनेक देश चीनी कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं, तो बहुत से देशों में जनता ही चीनी परियोजनाओं से होने वाले नुकसान के खिलाफ आंदोलनरत है. ऐसे में अविकसित और विकासशील देशों को चीनी शोषण से बचाने तथा अपनी आकांक्षाओं के अनुरूप विकास करने की संभावनाओं को साकार करने के लिए विकसित देशों के सहकार की बड़ी आवश्यकता थी.

जानकारों की मानें, तो यह कदम बहुत पहले उठाया जाना चाहिए था और भविष्य में प्रस्तावित धनराशि में बढ़ोतरी करना भी जरूरी होगा. जैसा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस वैश्विक भागीदारी की घोषणा करते हुए स्पष्ट किया है कि यह अनुदान नहीं है, बल्कि निवेश है तथा सभी पक्षों को लाभ मिलेगा. भारत ने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि जलवायु संबंधी समस्याओं के स्थायी समाधान तथा सकारात्मक अंतरराष्ट्रीय सहयोग सुनिश्चित करने के लिए विकसित देशों को आगे आना चाहिए.

उन्हें अविकसित और विकासशील देशों को तकनीक और धन मुहैया कराना चाहिए. भारत ब्रिक्स, जी-20 और जी-7 जैसे बहुपक्षीय मंचों के बीच एक कड़ी के रूप में स्थापित हो चुका है. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय उसके साथ सहयोग बढ़ाने के लिए प्रयासरत है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें