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कोसी-मेची लिंक परियोजना के निर्माण का रास्ता साफ, चार जिलों को मिलेगी सिंचाई सुविधा और बाढ़ से राहत

कोसी-मेची लिंक परियोजना के पूरा होने पर सीमांचल के चार जिलों में करीब 2.1 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा और बाढ़ से राहत मिलेगी. इनमें पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज और अररिया जिला शामिल हैं.

बिहार की अति महत्वाकांक्षी कोसी-मेची लिंक परियोजना के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है. इस परियोजना की डीपीआर बनाने के लिए जल संसाधन विभाग और केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय के तहत जल संसाधन विभाग के नेशनल वाटर डवलपमेंट एजेंसी के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुआ है. इस परियोजना के पूरा होने पर सीमांचल के चार जिलों में करीब 2.1 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा और बाढ़ से राहत मिलेगी. इनमें पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज और अररिया जिला शामिल हैं.

कैबिनेट से मिल चुकी है मंजूरी 

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कोसी-मेची लिंक परियोजना का काम शुरू करने के लिए पहले ही राज्य कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी है. मई 2022 में ही राज्य सरकार ने डीपीआर गठन, सर्वेक्षण और अन्वेषण कार्य के लिए करीब दो करोड़ 78 लाख रुपये की प्रशासनिक और खर्च की स्वीकृति दे दी थी.

राज्य सरकार 90 फीसदी केंद्रांश की कर रही मांग 

केंद्र सरकार द्वारा इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना में शामिल करते हुए, इसके लिए केंद्रांश 60 फीसदी और राज्यांश 40 फीसदी के रूप में बजटीय प्रावधान की मंजूरी दी गयी है. हालांकि, राज्य सरकार की ओर से कोसी-मेची लिंक परियोजना लिए भी मध्य प्रदेश की केन-बेतवा लिंक परियोजना के तर्ज पर केंद्रांश 90 फीसदी और राज्यांश 10 फीसदी बजटीय प्रावधान की मांग जारी है.

चार जिलों को होगा फायदा

इस परियोजना से अररिया जिले में करीब 69 हजार हेक्टेयर, पूर्णिया जिले में करीब 69 हजार हेक्टेयर, किशनगंज जिले में 39 हजार हेक्टेयर और कटिहार जिले में 35 हजार हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होगी. इस परियोजना से अररिया जिला अंतर्गत फारबिसगंज, कुर्साकाटा, सिकटी, पलासी, जोकीहाट एवं अररिया प्रखंड को लाभ होगा. वहीं, किशनगंज जिला अंतर्गत टेढ़ागाछ, दिघलबैंक, बहादुरगंज एवं कोचाधामन प्रखंड को लाभ होगा.

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परियोजना के लिए 1397 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता

इसके साथ ही पूर्णिया जिला अंतर्गत बैसा, अमौर एवं बायसी प्रखंड तथा कटिहार जिला अंतर्गत कदवा, डंडखोड़ा, प्राणपुर, मनिहारी एवं अमदाबाद प्रखंड लाभान्वित होंगे. इस परियोजना के अंतर्गत कुल लगभग 1397 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता है, जिसमें से 632 हेक्टेयर भूमि पूर्व से अधिग्रहित है, जबकि 765 हेक्टेयर निजी भूमि का अधिग्रहण किया जाना है.

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