सीयूएसबी में आपदा जोखिम को कम करने व जलवायु परिवर्तन अनुकूलन में युवाओं की भागीदारी पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण शुरू बोधगया. सीयूएसबी में आपदा जोखिम को कम करने और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन में युवाओं को शामिल करने पर प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए पांच दिवसीय कार्यक्रम सोमवार को शुरू हुआ. पीआरओ मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि कुलपति प्रो कामेश्वर नाथ सिंह के संरक्षण में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआइडीएम) और सीयूएसबी के राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) इकाई के संयुक्त तत्वावधान में प्रशिक्षण 29 अप्रैल से तीन मई तक आयोजित किया जायेगा. कार्यक्रम समन्वयक डॉ बुधेंद्र कुमार सिंह ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य प्रशिक्षकों को आवश्यक ज्ञान और कौशल से लैस करना है, ताकि आपदाओं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के प्रयासों में युवाओं और किशोरों की भागीदारी अधिक-से-अधिक सुनिश्चित किया जा सके. सीयूएसबी के विवेकानंद सभागार में सत्र की शुरुआत सम्मानित गणमान्य व्यक्तियों द्वारा दीप-प्रज्ज्वलन के साथ हुई. इसके बाद मीडिया विभाग के प्रो आतिश पाराशर द्वारा अतिथियों का गर्मजोशी से स्वागत किया गया और आपदा जोखिम में कमी और जलवायु अनुकूलन प्रयासों में युवाओं को शामिल करने के महत्व पर प्रकाश डाला गया. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान का प्रतिनिधित्व कर रहे डॉ कुमार राका ने एनआइडीएम की भूमिका और कार्यक्रम के उद्देश्यों का व्यापक अवलोकन प्रदान किया. उन्होंने युवाओं व किशोरों के बीच सेतु बनाने के महत्व और आपदा तैयारियों और प्रतिक्रिया में ठोस प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया. शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका महत्वपूर्ण : वीसी सम्मानित अतिथि के रूप में एसएसबी 29वीं बटालियन गया के डीसी आशीष कुमार ने आपदा प्रबंधन में अपने व्यापक अनुभव से तैयार किये गये व्यावहारिक दृष्टिकोण को साझा किया. उन्होंने सामुदायिक भागीदारी के महत्व को रेखांकित किया और प्रभावी आपदा जोखिम में कमी के उपायों के प्रभाव को स्पष्ट करने के लिए वास्तविक जीवन का उदाहरण साझा किया. अध्यक्षीय भाषण में सीयूएसबी के कुलपति प्रो केएन सिंह ने विविध भौगोलिक क्षेत्रों और भारत में आपदा के खतरों पर प्रकाश डालते हुए एक विचारोत्तेजक पहलू को साझा किया. उन्होंने सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देने में विश्वविद्यालयों व शैक्षणिक संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया और आपदा तैयारियों व प्रतिक्रिया में आत्मनिर्भरता का आग्रह किया. उद्घाटन सत्र का समापन करते हुए डीएसडब्ल्यू प्रो पवन मिश्रा ने सभी प्रतिभागियों, वक्ताओं और आयोजकों को उनके अमूल्य योगदान के लिए हार्दिक आभार व्यक्त किया. उन्होंने कार्यक्रम के परिणामों के बारे में आशा व्यक्त की व आपदा और जलवायु अनुकूलन प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए सीयूएसबी की प्रतिबद्धता दोहराई. कार्यक्रम समन्वयक डॉ बुधेंद्र कुमार सिंह ने पांच दिवसीय कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आपदा जोखिम को कम करने व जलवायु परिवर्तन अनुकूलन में युवाओं और किशोरों को शामिल करने पर प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण सीयूएसबी की ओर से एक परिवर्तनकारी पहल है. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुख्य लक्ष्यों में प्रशिक्षकों को अपने समुदायों में सकारात्मक बदलाव को उत्प्रेरित करने के लिए ज्ञान, कौशल व संसाधनों के साथ सशक्त बनाना है. कार्यशाला के सत्रों से प्रतिभागी समुदायों के निर्माण में प्रभावी ढंग से अपनी भूमिका निभा सकते हैं.
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