यूपी सरकार आपदाओं से निपटने के लिए आईआईटी रुड़की के एक्सपर्ट का सहयोग लेगी. योगी सरकार के इस कदम से आपदाओं से होने वाली जनहानि को न्यूनतम करने के साथ आपदा से पहले ही लोगों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया जा सकेगा. इसके लिए योगी सरकार के निर्देश पर राहत आयुक्त कार्यालय और आईआईटी रुड़की के बीच जल्द ही एक एमओयू साइन किया जाएगा. इसके तहत डिपार्टमेंट के कर्मचारियों को आईआईटी रुड़की के एक्सपर्ट आपदा बचाव के उच्च प्रबंधन का ट्रेनिंग देने का काम करेंगे. साथ ही आपदाओं पर शोध व आंकलन के जरिए प्रदेश में ऐसी स्थिति उत्पन्न होने से पहले ही कार्य योजना के विकास व क्रियान्वयन का मार्ग सुनिश्चित करेंगे. अपर मुख्य सचिव सुधीर गर्ग ने बताया कि उत्तर प्रदेश देश के अन्य राज्यों की तुलना में आपदाओं की दृष्टि से संवेदनशील राज्य है. ऐसे में सीएम योगी इस विषय पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल में ही आपदा प्रबंधन की समीक्षा बैठक में इससे निपटने और इसके कारणों पर अध्ययन करने के निर्देश दिए थे.
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इसी क्रम में आईआईटी रुड़की से एमओयू को लेकर बातचीत चल रही है. एमओयू को लेकर आईआईटी रुड़की और राहत आयुक्त कार्यालय के बीच सहमति बन गई है. जल्दी ही दोनों के बीच एमओयू साइन किया जाएगा. यह एमओयू पांच साल के लिए मान्य होगा. इसके तहत आईआईटी रुड़की के एक्सपर्ट आपदा प्रबंधन को प्रशिक्षण देने के साथ ही इसके कारणों पर शोध करेंगे. इतना ही नहीं एक्सपर्ट उत्तर प्रदेश के जलवायु पैटर्न, प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और जोखिम पर भी शोध करेंगे. इसके जरिये आपदाओं से निपटने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों व सटीक कार्यप्रणाली के विकास का मार्ग भी प्रशस्त होगा. वहीं संस्था के विशेषज्ञ प्रदेश में महामारी, बाढ़, सूखा, अतिवृष्टि, वज्रपात जैसी आपदाओं की बढ़ती घटनाओं के कारणों का भी पता लगाने में सक्षम हो पाएंगे. इसी के अनुसार विभाग के कर्मचारियों को जागरुक किया जाएगा, जिससे समय रहते आपदाओं के कारण उत्पन्न होने वाले प्रतिकूल प्रभावों से निपटा जा सकेगा.
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वहीं राहत आयुक्त जीएस नवीन ने बताया कि आईआईटी रुड़की के एक्सपर्ट आपदा प्रबंधन के साथ चकबंदी संबंधी मामलों में भी अपना सहयोग करेंगे. आईआईटी रुड़की चकबंदी के सर्वेक्षण और भूमि की नाप-जोख में तकनीकी सहयोग के माध्यम से मामलों के निपटारे में अहम भूमिका निभाएगा. बता दें कि अक्सर चकबंदी के दौरान भूमि की नाप-जोख को लेकर विवाद सामने आते हैं. ऐसे में आईआईटी रुड़की के एक्सपर्ट तकनीक का प्रयोग कर इसे सुलझाने में मदद करेंगे. इसके लिए कार्यशाला, सेमिनार, प्रशिक्षण सत्रों और पाठ्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. इसमें आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों में आईआईटी रुड़की की अनुसंधान क्षमताओं का उपयोग प्रदेश की आवश्यकताओं के अनुरूप नये समाधान विकसित करने पर फोकस किया जाएगा. एमओयू के तहत होने वाले प्रकाशन, पेटेंट, रॉयल्टी, सॉफ्टवेयर, डिजाइन और विकसित तकनीक आदि से संबंधित अधिकार आईआईटीआर आईपीआर नीति के अनुसार केस-टू-केस आधार पर तय किए जाएंगे.
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