झारखंड की राजधानी रांची के ऑड्रे हाउस सभागार में प्रभात खबर के सहयोग से आयोजित टाटा स्टील झारखंड लिटरेरी मीट में रविवार को प्रसिद्ध साहित्यकार ममता कालिया दूसरी बार इस कार्यक्रम से जुड़ीं. झारखंड लिटरेरी मीट के तीसरे दिन श्रीलाल शुक्ल की प्रसिद्ध रचना ‘राग दरबारी: पचपन साल के बाद’ पर चर्चा की गयी. प्रभात खबर के फीचर एडिटर विनय भूषण ने मशहूर साहित्यकार ममता कालिया से विशेष बातचीत की. इस दौरान चर्चा में इस पुस्तक का अंग्रेजी में अनुवाद करने वाली प्रसिद्ध अनुवादक जिलियन राइट भी ऑनलाइन जुड़ीं. प्रसिद्ध साहित्यकार ममता कालिया ने विशेष बातचीत में कहा कि पुस्तक ‘राग दरबारी: पचपन साल के बाद’ इसलिए आज भी उतनी ही ताजा है और चर्चा का विषय है क्योंकि इसमें लिखा व्यंग्य आज भी शाश्वत है. इसमें शिक्षा विभाग की धांधली को बखूबी दिखाया गया है. उन्होंने शिवपालगंज गांव को सिर्फ गांव के तौर पर नहीं बल्कि एक चरित्र के तौर पर दर्शाया गया है. कहानी में कई पात्रों से अधिक व्यंग्य की उम्मीद नहीं थी. इसलिए गांव को ही एक चरित्र के तौर पर दर्शाया गया है.
Advertisement
VIDEO: श्रीलाल शुक्ल की राग दरबारी 55 वर्षों के बाद भी क्यों है शाश्वत? बता रही हैं साहित्यकार ममता कालिया
रांची के ऑड्रे हाउस सभागार में प्रभात खबर के सहयोग से आयोजित टाटा स्टील झारखंड लिटरेरी मीट में रविवार को श्रीलाल शुक्ल की प्रसिद्ध रचना 'राग दरबारी-पचपन साल के बाद' पर प्रभात खबर के फीचर एडिटर विनय भूषण ने प्रसिद्ध साहित्यकार ममता कालिया से विशेष बातचीत की.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement