सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह पर 2 अगस्त से रोजाना सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जस्टिसों की संविधान पीठ ने कई प्रक्रियागत निर्देश जारी करते हुए विभिन्न पक्षों द्वारा लिखित दलीलें और मामले की विवरणिका (कन्वीनिएंस कम्पाइलेशन) दाखिल करने के लिए समय सीमा 27 जुलाई तय की है. जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्य कांत भी पीठ में शामिल हैं.
कोर्ट ने कहा कि याचिकाओं पर सुनवाई सोमवार और शुक्रवार को छोड़कर रोजाना आधार पर होगी. सोमवार और शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में विविध मामलों पर सुनवाई की जाती है. इन दोनों दिनों में सिर्फ नयी याचिकाएं सुनवाई के लिए स्वीकार की जाती हैं और नियमित मामलों पर सुनवाई नहीं होती है. पीठ ने तथ्यों तक शीघ्र पहुंचने में कोर्ट की सुविधा के लिए मामले की विवरणिका तैयार करने और इसे 27 जुलाई से पहले दाखिल करने के वास्ते दो वकीलों को नियुक्त किया है, जिनमें एक वकील याचिकाकर्ता की ओर से, और दूसरा सरकार की ओर से है. साथ ही, पीठ ने यह स्पष्ट कर दिया कि 27 जुलाई के बाद कोई भी डॉक्युमेंट स्वीकार नहीं किया जाएगा.
पीठ ने कहा कि 5 अगस्त 2019 की अधिसूचना के बाद पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर की स्थिति के संबंध में केंद्र की ओर से दाखिल हलफनामे का पांच- जस्टिसों की संविधान पीठ द्वारा संवैधानिक मुद्दे पर की जा रही सुनवाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा. अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं का नेतृत्व कर रहे सीनियर वकील राजू रामचंद्रन ने कहा कि दो याचिकाकर्ताओं आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अधिकारी शाह फैसल और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता शेहला राशिद शोरा ने याचिकाकर्ताओं की सूची से अपना नाम वापस लेने के लिए एक अर्जी दायर की है.
केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति याचिकाकर्ताओं की सूची से अपना नाम वापस लेना चाहता है, तो उन्हें इससे कोई आपत्ति नहीं है. इसके बाद, पीठ ने शाह और शोरा को याचिकाकर्ताओं की सूची से अपना नाम वापस लेने की अनुमति दे दी. सुनवाई के आखिर में, एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए सीनियर अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि जहां तक मामले के शीर्षक का सवाल है, याचिकाकर्ताओं की सूची से फैसल के नाम वापस लेने से एक समस्या पैदा होगी, क्योंकि वह मुख्य याचिकाकर्ता हैं.
अनुच्छेद 370 निरस्त करने का विरोध करते हुए एक याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने कहा कि उनका मामला पहला है, जो कोर्ट के समक्ष आया और इस पर नोटिस जारी किया गया, लेकिन मामला सूची में उनका नाम कुछ गैर सरकारी संगठनों सहित अन्य याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर मामलों के बीच में दिख रहा है. इस पर पीठ ने कहा कि यह उपयुक्त होगा कि मौजूदा मामले का शीर्षक इन री: आर्टिकल 370 ऑफ द कॉंस्टीट्यूशन’ रखा जाए और यह विषय के किसी भी हिस्से में कोई समस्या नहीं पैदा करेगा. विभिन्न समूहों की ओर से पेश हुए वकीलों ने पीठ द्वारा दिये गये सुझाव को स्वीकार कर लिया.