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Gangasagar Mela 2023: गंगासागर में फंसे 511 श्रद्धालुओं को कोस्ट गार्ड ने बचाया, दो स्टीमर भी भटकें

घटना में किसी भी श्रद्धालु को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. सभी श्रद्धालुओं ने तहे दिल से इस सराहनीय कार्य के लिए कोस्टगार्ड के जाबांजों के प्रति आभार व्यक्त किया.

गंगासागर, शिव कुमार राउत: गंगासागर मेले से काकद्वीप लौटते समय सोमवार सुबह अचानक सागर में पानी घट जाने से श्रद्धालुओं से भरे दो स्टीमर बालू के टीले में फंस गये. सुबह 9.15 बजे दक्षिण 24 परगना के डीएम सुमित गुप्ता ने तुरंत इसकी जानकारी इंडियन कोस्ट गार्ड को दी. जिसके बाद इंडियन कोस्ट गार्ड ने तुरंत तत्परता से हल्दिया एवं फ्रेजरगंज में मौजूद दो होवर क्राफ्ट को बचाव कार्य के लिए 9.45 बजे मौके पर भेजा. सुबह 10 बजे से कोस्ट गार्ड के जांबाजों ने घटनास्थल पर पहुंचकर टीले में फंसे दोनों स्टीमर से श्रद्धालुओं को निकालने का काम शुरू किया. देखते ही देखते दोपहर एक बजे के करीब दोनों स्टीमरों से सभी 511 श्रद्धालुओं को सकुशल बचाकर होवर क्राफ्ट से घाट के किनारे लाया गया.

फिर भटक गये थे 300 तीर्थयात्रियों से भरे दो स्टीमर

वर्षों पहले गंगासागर मेले के दौरान नाव डूबने की घटनाएं होती थीं. अब तो गंगासगार मेला हाइटेक हो गया है. स्टीमरों में जीपीएस सिस्टम लगाये गये हैं. इसके बावजूद स्टीमर रास्ता भटक जा रहे हैं. रविवार को फिर तीर्थयात्रियों से भरे दो स्टीमर राह भटक गये थे. हालांकि, एनडीआरएफ जवानों की सतर्कता से स्टीमर डूबने से बच गया. बता दें कि शुक्रवार को भी लॉट आठ से कचुबेरिया की ओर जा रहे पांच स्टीमर रास्ता भटक गये थे.

घना कोहरा के कारण भटका स्टीमर

जानकारी के अनुसार, रविवार रात जीपीएस से लैस दो स्टीमर रास्ता भटक गये थे. इन स्टीमरों पर करीब 300 तीर्थयात्री सवार थे. सुंदरवन विकास मंत्री व सागरद्वीप के विधायक बंकिम हाजरा ने बताया कि घने कोहरे के कारण नामखाना से वेणुवन यानी गंगासागर की ओर जा रहे दो स्टीमर रास्ता भटक कर नारायणपुर से घोरामारा द्वीप (संदरवन में सागर ब्लॉक का हिस्सा) की ओर जा पहुंचे थे. नदी में पानी कम होने से दोनों स्टीमर वहीं फंस गये थे. कोहरे के कारण जीपीएस ने भी काम करना बंद कर दिया था. इस कारण कंट्रोल रूम से स्टीमरों का संपर्क टूट गया. इसकी सूचना कंट्रोल रूम ने जिला प्रशासन और एनडीआरएफ को दी. इसके बाद दोनों स्टीमरों को वापस नामाखाना लाया गया.

तीन घंटे तक चला सर्च ऑपरेशन

तीर्थयात्री रात 11 बजे से 2.30 बजे तक फंसे हुए थे. एनडीआरएफ के वरिष्ठ अधिकारी सुधीर द्विवेदी ने बताया कि स्टीमर में लगा जीपीएस सिस्टम एक्टिव नहीं था. लोकेशन का पता नहीं चल पा रहा था. एनडीआरएफ जवानों को स्पीड बोट लेकर नदी में उतरना पड़ा. सर्च लाइट और व्हिसल बजा कर स्टीमरों की तलाश की गयी. तकरीबन तीन घंटे तक यह सर्च ऑपरेशन चला. इसके बाद स्टीमरों को सुरक्षित जेटी तक लाया गया.

जवानों की सतर्कता से डूबने से बचे स्टीमर

  • कोहरे के कारण काम नहीं कर रहा था जीपीएस सिस्टम, कंट्रोल रूम से टूट गया था संपर्क

  • एनडीआरएफ जवानों ने तीन घंटे सर्च अभियान चला स्टीमरों को खोजा व नामखाना लेकर आये

  • शुक्रवार को भी लॉट आठ से कचुबेरिया की ओर जा रहे पांच स्टीमर भटक गये थे रास्ता

स्टीमर में होनी चाहिए वॉकी-टॉकी की सुविधा

एक स्टीमर चालक ने बताया कि नेटवर्किंग के लिए उनके पास एकमात्र सिस्टम जीपीएस डिवाइस ही है. यह भी कोहरा के समय काम नहीं करता. इमरजेंसी के दौरान उनका मोबाइल नेटवर्क भी काम नहीं करता. इस परिस्थिति में हमरा कंट्रोल रूम से संपर्क नहीं हो पाता है. अगर वॉकी-टॉकी की सुविधा होती तो शायद ऐसा नहीं होता.

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