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Putrada Ekadashi 2022: आज है पुत्रदा एकादशी, ऐसे करें पूजा, प्राप्त होगी भगवान विष्णु की कृपा

Putrada Ekadashi 2022: इस बार आज यानी 13 जनवरी, गुरुवार को पौष महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी मनाई जा रही है. पौष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है. इसे वैकुंठ एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान श्री हरि और मां लक्ष्मी की पूजा-उपासना की जाती है.

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इसलिए खास है यह व्रत

जिन दंपत्ति को संतान सुख नहीं मिल पा रहा है, पुत्रदा एकादशी व्रत उनके लिए बेहद खास है. यह व्रत करने से संतान प्राप्ति की कामना पूरी होती है. वहीं जिन लोगों की संतान है, वे यदि यह व्रत रखें तो उनके बच्‍चे संस्‍कारी, आज्ञाकारी बनते हैं. साथ ही जीवन में खूब सफलता पाते हैं. लिहाजा मांओं के लिए यह व्रत रखना बेहद लाभकारी माना गया है. यदि व्रत ना भी रख सकें तो आज के दिन भगवान विष्‍णु और मां लक्ष्‍मी की विधि-विधान से पूजा करके संतान से जुड़ी अपनी इच्‍छा पूरी करने की प्रार्थना करें. इस भगवान प्रसन्‍न होकर मनोकामना पूरी करते हैं.

पुत्रदा एकादशी मुहूर्त

पुत्रदा एकादशी तिथि 12 जनवरी (बुधवार) की शाम 04:49 बजे से शुरू हो चुकी है और आज यानी कि 13 जनवरी (गुरुवार) की शाम 07:32 बजे तक रहेगी. हालांकि इस व्रत का पारणा कल यानी कि 14 जनवरी को किया जाएगा. पारणा के लिए समय शुक्रवार की सुबह 07:05 से 09:21 बजे तक रहेगा.

पुत्रदा एकादशी पूजा मंत्र

ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र

विष्णु सहस्रनाम स्तोत्रम

विष्णु अष्टोत्रम।

एकादशी की आरती

ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता ।

विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।.ॐ।।

तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।

गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ॐ।।

मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।

शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।.ॐ।।

पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,

शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।.ॐ ।।

नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।

शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।.ॐ ।।

विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,

पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।.ॐ ।।

चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,

नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।.ॐ ।।

शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,

नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।.ॐ ।।

योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।

देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।.ॐ ।।

कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।

श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।.ॐ ।।

अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।

इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।.ॐ ।।

पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।

रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।.ॐ ।।

देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।

पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।.ॐ ।।

परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।

शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी ।.ॐ ।।

जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।

जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।.ॐ ।।

पुत्रदा एकादशी व्रत पूजा सामग्री

श्री विष्णु जी व बाल कृष्ण का मूर्ति या चित्र, फूल, फल, मिठाई, अक्षत, तुलसी दल, नारियल, सुपारी, लौंग, चंदन, धूप, दीप, घी और पंचामृत

पुत्रदा एकादशी पूजा मंत्र

ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र

विष्णु सहस्रनाम स्तोत्रम

विष्णु अष्टोत्रम

Putrada Ekadashi 2022: शुभ मुहूर्त

पौष पुत्रदा एकादशी 12 जनवरी की शाम 04 बजकर 49 मिनट पर शुरू होगी और 13 जनवरी को शाम में 7 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी.

पुत्रदा एकादशी के दिन क्या न करें

मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है. इतना ही नहीं, इस दिन सात्विकता, खान-पान और व्यवहार आदि का पालन भी करना चाहिए. एकादशी व्रत के दिन खुद पर संयम रखें. इस दिन खुद को पूजा-पाठ आदि में ज्यादा व्यस्थ रखें. किसी दूसरे कामों में खुद को न लगाएं.

संतान की कामना के लिए क्या करें ?

  • प्रातः काल पति-पत्नी दोनों संयुक्त रूप से भगवान श्री कृष्ण की उपासना करें

  • संतान गोपाल मंत्र का जाप करें

  • मंत्र जाप के बाद पति-पत्नी प्रसाद ग्रहण करें

  • गरीबों को श्रद्धानुसार दक्षिणा दें और उन्हें भोजन कराएँ

Putrada Ekadashi 2022: पूजा मंत्र

ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र

विष्णु सहस्रनाम स्तोत्रम

विष्णु अष्टोत्रम।

पुत्रदा एकादशी व्रत कथा

एक समय में भद्रावतीपुरी में राजा सुकेतुमान राज्य करते थे. उनकी रानी का नाम चम्पा था. उनके यहां कोई संतान नहीं थी, इसलिए दोनों पति-पत्नी सदा चिन्ता और शोक में रहते थे. इसी शोक में एक दिन राजा राजा सुकेतुमान वन में चले गये. जब राजा को प्यास लगी तो वे एक सरोवर के निकट पहुंचे. वहां बहुत से मुनि वेदपाठ कर रहे थे. राजा ने उन सभी मुनियों को वंदना की. प्रसन्न होकर मुनियों ने राजा से वरदान मांगने को कहा. मुनि बोले कि पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकदाशी कहते हैं. उस दिन व्रत रखने से योग्य संतान की प्राप्ति होती है. तुम भी वही व्रत करो. ऋषियों के कहने पर राजा ने पुत्रदा एकादशी का व्रत किया. कुछ ही दिनों बाद रानी चम्पा ने गर्भधारण किया. उचित समय आने पर रानी ने एक तेजस्वी पुत्र को जन्म दिया, जिसने अपने गुणों से पिता को संतुष्ट किया तथा न्यायपूर्वक शासन किया.

पुत्रदा एकादशी व्रत पूजा सामग्री

श्री विष्णु जी व बाल कृष्ण का मूर्ति या चित्र, फूल, फल, मिठाई, अक्षत, तुलसी दल, नारियल, सुपारी, लौंग, चंदन, धूप, दीप, घी और पंचामृत

Putrada Ekadashi 2022: शुभ मुहूर्त

पौष पुत्रदा एकादशी 12 जनवरी की शाम 04 बजकर 49 मिनट पर शुरू होगी और 13 जनवरी को शाम में 7 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी.

वैकुंठ एकादशी के नाम से भी जाना जाता है पुत्रदा एकादशी

इस व्रत को वैकुंठ एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. नियमपूर्वक यह व्रत करने वाले जातकों को संतान सुख तो प्राप्‍त होता ही है, साथ ही मरने के बाद वैकुंठ प्राप्‍त होता है. यह भी कहा जाता है कि इसे करने से और विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए केसर, हल्दी, केला आदि का इस दिन दान किया जाता है. अगर

संभव हो तो करें गंगा स्नान

संभव हो तो गंगा स्‍नान करें. और यदि ऐसा ना हो पाए तो स्‍नान के पानी में थोडा सा गंगा जल मिला लें.

पुत्रदा एकादशी 2022 मुहूर्त एवं पारण समय

पंचांग के अनुसार पौष शुक्ल एकादशी तिथि 12 जनवरी दिन बुधवार को शाम 04:49 बजे से लग गई है, जो आज 13 जनवरी दिन गुरुवार को शाम 07:32 बजे तक है. उदयातिथि के अनुसार, पुत्रदा एकादशी व्रत आज 13 जनवरी को रखा जाएगा.

13 जनवरी 2022- आज का पंचांग

आज की तिथि – पौष शुक्ल एकादशी

आज का नक्षत्र – कृतिका

आज का करण – वणिज

आज का पक्ष – शुक्ल

आज का योग – शुभ

आज का वार – गुरुवार

पुत्रदा एकादशी पूजा सामग्री

श्री विष्णु जी व बाल कृष्ण का मूर्ति या चित्र, फूल, फल, मिठाई, अक्षत, तुलसी दल, नारियल, सुपारी, लौंग, चंदन, धूप, दीप, घी और पंचामृत

पुत्रदा एकादशी पूजा मुहूर्त

पौष पुत्रदा एकादशी 12 जनवरी की शाम 04 बजकर 49 मिनट पर शुरू होगी और 13 जनवरी को शाम में 7 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी.

उदया तिथि के हिसाब से यह व्रत 13 जनवरी को ही रखा जाएगा. 14 जनवरी 2022 को व्रत का पारण किया जाएगा.

पुत्रता एकादशी पूजा विधि

  • पुत्रदा एकादशी व्रत पूजा में भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की भी पूजा भी करनी चाहिए, ताकि बाल कृष्ण सी सुयोग्य संतान की प्राप्ति हो.

  • इस दिन सुबह सूर्योदय के साथ स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें.

  • पुत्रदा एकादशी व्रत का संकल्प लें और बाल कृष्ण के साथ भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करें.

  • पूजा में भगवान को पीला फल, पीले पुष्प, पंचामृत, तुलसी आदि अर्पित करें.

  • दंपति एक साथ व्रत का संकल्प लें और व्रत का पूजन करना चाहिए.

  • पूजा के व्रत कथा पढ़ें या सुनें.

  • कथा के बाद आरती करें

पुत्रदा एकादशी व्रत कथा

एक समय में भद्रावतीपुरी में राजा सुकेतुमान राज्य करते थे. उनकी रानी का नाम चम्पा था. उनके यहां कोई संतान नहीं थी, इसलिए दोनों पति-पत्नी सदा चिन्ता और शोक में रहते थे. इसी शोक में एक दिन राजा राजा सुकेतुमान वन में चले गये. जब राजा को प्यास लगी तो वे एक सरोवर के निकट पहुंचे. वहां बहुत से मुनि वेदपाठ कर रहे थे. राजा ने उन सभी मुनियों को वंदना की. प्रसन्न होकर मुनियों ने राजा से वरदान मांगने को कहा. मुनि बोले कि पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकदाशी कहते हैं. उस दिन व्रत रखने से योग्य संतान की प्राप्ति होती है. तुम भी वही व्रत करो. ऋषियों के कहने पर राजा ने पुत्रदा एकादशी का व्रत किया. कुछ ही दिनों बाद रानी चम्पा ने गर्भधारण किया. उचित समय आने पर रानी ने एक तेजस्वी पुत्र को जन्म दिया, जिसने अपने गुणों से पिता को संतुष्ट किया तथा न्यायपूर्वक शासन किया.

पुत्रदा एकादशी की सुबह जरूर करें ये काम

पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और भगवान के सामने हाथ जोड़कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है. भगवान को धूप, दीप, अक्षत, रोली, फूल, नैवेद्य चढ़ाया जाता है और पुत्रदा एकादशी व्रत कथा सुनी जाती है.

Putrada Ekadashi 2022: शुभ मुहूर्त

पौष पुत्रदा एकादशी 12 जनवरी की शाम 04 बजकर 49 मिनट पर शुरू होगी और 13 जनवरी को शाम में 7 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी.

उदया तिथि के हिसाब से यह व्रत 13 जनवरी को ही रखा जाएगा. 14 जनवरी 2022 को व्रत का पारण किया जाएगा.

पुत्रदा एकादशी के दिन क्या काम करें...

1. इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ स्नान और उगते सूरज की पूजा करनी चाहिए।

2. शालग्राम और तुलसी पूजा के साथ तुलसी के पौधे में जल चढ़ाना चाहिए।

3. पीपल में भगवान विष्णु का निवास होता है। इसलिए सुबह जल्दी पीपल पूजा भी करें।

4. केले के पेड़ की पूजा करें। ऐसा करने से भी भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं।

5. जरुरतमंद लोगों को तिल, गुड़ और गर्म कपड़ों का दान करना चाहिए।

पुत्रदा एकादशी व्रत पूजा सामग्री

श्री विष्णु जी व बाल कृष्ण का मूर्ति या चित्र, फूल, फल, मिठाई, अक्षत, तुलसी दल, नारियल, सुपारी, लौंग, चंदन, धूप, दीप, घी और पंचामृत

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