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मुशर्रफ मामला:मुख्य न्यायाधीश ने कहा,वह सुनवाई से अलग नहीं हो रहे

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के खिलाफ राजद्रोह मामले की सुनवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश खुद पर पक्षपाती होने का बार-बार आरोप लगाए जाने से नाराज होकर आज अदालत कक्ष से बाहर निकल आए, लेकिन बाद में उन्होंने स्पष्ट किया कि वह इस मामले से अलग नहीं हो रहे हैं. स्थानीय मीडिया […]

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के खिलाफ राजद्रोह मामले की सुनवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश खुद पर पक्षपाती होने का बार-बार आरोप लगाए जाने से नाराज होकर आज अदालत कक्ष से बाहर निकल आए, लेकिन बाद में उन्होंने स्पष्ट किया कि वह इस मामले से अलग नहीं हो रहे हैं. स्थानीय मीडिया में बडे पैमाने पर खबरें चलीं कि तीन सदस्यीय पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायाधीश फैसल अरब ने पूर्व राष्ट्रपति के वकील अनवर मंसूर खान के साथ बहस के बाद स्वयं को सुनवाई से अलग कर लिया है.

बाद में न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि वह सिर्फ आज की सुनवाई से बाहर निकले थे और इस मामले से पूरी तरह अलग नहीं हो रहे हैं. राजद्रोह की सुनवाई कर रही विशेष अदालत ने आज दोपहर एक आदेश जारी कर मुशर्रफ के वकीलों के सारे आवेदन खारिज कर दिए और कहा कि यदि अगली सुनवाई के दिन 31 मार्च को वह स्वयं हाजिर नहीं होते तो उन्हें अदालत में लाया जाए. इस आदेश पर न्यायमूर्ति अरब का हस्ताक्षर था.

आदेश में कहा गया, ‘‘अनवर मंसूर खान के आचरण से उस स्तर की शालीनता नहीं झलकती जो एक वरिष्ठ वकील से आशा की जाती है. उनके स्वभाव से नाराज अदालत आज की कार्रवाई खत्म करती है. ’’ इससे पहले 70 वर्षीय मुशर्रफ के वकील अहमद रजा कसूरी ने विशेष अदालत के बाहर संवाददाताओं से कहा कि अरब इस मामले से अलग हो गए हैं. कसूरी ने कहा, ‘‘ देर आए दुरस्त आए. मुझे खुशी है कि उनका :जस्टिस अरब: जमीर आखिकार जाग गया. फैसल अरब ने कहा कि वह खुद को मामले से अलग कर रहे हैं. देश में न्यायाधीशों की कमी नहीं है.’’अदालत ने मुशर्रफ को गैर जमानती वारंट भी जारी किया था। यदि मुशर्रफ अपनी इच्छा से अदालत के समक्ष पेश नहीं होते हैं तो यह वारंट लागू हो जाएगा.

कसूरी ने दावा किया, ‘‘ वारंट कायम नहीं हो सकता है. वारंट जारी करने वाली अदालत अब अस्तित्व में नहीं है.’’ सिंध हाई कोर्ट के न्यायाधीश अरब के अलावा ब्लूचिस्तान हाई कोर्ट की न्यायाधीश ताहिरा सफदर और लाहौर हाई कोर्ट के न्यायाधीश यावर अली इस विशेष अदालत का हिस्सा हैं. सुनवाई के दौरान मुशर्रफ के वकीलों ने कहा कि अभियोजक अकरम शेख को इस मामले में तब तक बोलने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए जब तक उनकी नियुक्ति के बारे में अदालत घोषणा नहीं कर देती.

न्यायाधीश अरब ने कहा कि अभियोजक को अदालत में बोलने की इजाजत मिलेगी. इसके बाद मुशर्रफ के वकीलों ने कहा कि वे अदालत की पीठ के साथ खुश नहीं हैं क्योंकि यह तटस्थ नहीं है. मुशर्रफ के एक अन्य वकील अनवर मंसूर ने आज सुनवाई के दौरान कहा कि अदालत ने यह स्वीकार किया है कि उनके मुवक्किल को सुरक्षा संबंधी खतरा है लेकिन इसके बावजूद वारंट जारी कर दिया गया.

उन्होंने कहा कि जिस तरह से मामले की सुनवाई हो रही है, वह उससे संतुष्ट नहीं हैं. न्यायाधीश अरब ने कहा कि यदि बचाव पक्ष के वकील सोचते हैं कि न्यायाधीश निष्पक्ष नहीं हैं तो वह खुद को पीठ से अलग कर लेंगे. बचाव पक्ष ने पीठ और अभियोजन पक्ष की टीम पर पक्षपात करने का आरोप पहली बार नहीं लगाया है. उन्होंने पीठ की वैधता को चुनौती देते हुए और उस पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कई याचिकाएं दायर की हैं.

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