पटना: हल्दिया से इलाहाबाद तक गंगा में बराज बनाने की तैयारी है. इसके लिए केंद्र सरकार 46 हजार करोड़ की डीपीआर तैयार कर रही है. यदि बराज बन गया, तो बिहार में बाढ़ आने की आशंका 80 गुनी बढ़ जायेगी.
ये बातें जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने कहीं. वह गांधी संग्रहालय में ‘गंगा और बिहार’ पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि बराज निर्माण से गंगा का प्रवाह रुक जायेगा. गंगा की जैव विविधता खत्म हो जायेगी. उन्होंने बिहार के लिए नदी नीति बनाने का सुझाव दिया, जिसे लोगों ने सर्वसम्मति से पारित किया. देश में सबसे अधिक नदियोंवाला राज्य बिहार है.
फरक्का बराज से लें सीख : राजेंद्र सिंह ने बताया कि बराज निर्माण से बड़े पैमाने पर लोगों का विस्थापन होगा. उन्होंने कहा कि फरक्का में बराज बनने के कारण गंगा पर आधारित लाखों लोगों की जीविका खत्म हो गयी. कम से कम अब तो फरक्का बराज से लाभ और हानि की समीक्षा होनी चाहिए. सरकार को बताना चाहिए कि लाखों लोगों को विस्थापन का दंश ङोलना पड़ा. कार्यक्रम में शामिल लोगों से उन्होंने पूछा कि गंगा के लिए 46 हजार करोड़ का बजट कौन लोग ला रहे हैं? इसे हमें आपको समझना होगा.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार एक सौ टन के पोत के बजाय 450 टन के पोत चलाने के लिए बराज बनाने की तैयारी कर रही है. उसे छोटे-छोटे जहाज से काम चलाना चाहिए. कार्यक्रम को विजय कुमार,वशी अहमद, प्रो पीके सिंह, प्रो आरके सिन्हा व रणजीव ने संबोधित किया. मौके पर पंकज मालवीय व बिहार किसान संगठन के संयोजक राम बिहारी सिंह भी मौजूद थे.
विशेषज्ञ सरकार को दें सलाह
गंगोत्री से पटना तक गंगा की स्थिति की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि कुछ विशेषज्ञ अभियंताओं के साथ सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी केंद्र की सरकार को समझाने की कोशिश करना चाहिए. इसके लिए कई लोगों ने समूह तैयार किया है. टीम केंद्र सरकार को सही तथ्यों से अवगत करायेगी. गंगा को साफ रखने के लिए गंगा में पानी के प्रवेश के पूर्व ही उसका ट्रीटमैंट हो और उसका उपयोग आवश्यकतानुसार कर लिया जाये. इससे गंगा में गंदा पानी नहीं जायेगा. साथ ही इससे खर्च में भी कमी आ जायेगी. अपने सुझाव में उन्होंने कहा कि यूपी में नदी की जमीन को वन क्षेत्र घोषित किया गया है. बिहार में ऐसी जमीन को राजस्व जमीन का दर्ज किया गया है.