नयी दिल्ली: वित्त मंत्रालय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी) के पद को अलग-अलग करने पर विचार कर रहा है. हाल में भ्रष्टाचार के मामले सामने आने के मद्देनजर इससे कार्य-संचालन को मजबूती मिलेगी. वित्तीय सेवा सचिव जी एस संधू ने कहा, ‘हम सीएमडी के पद को विभाजित करने पर विचार कर रहे हैं.’
वित्त मंत्री अरूण जेटली ने पिछले सप्ताह कहा था कि सरकार बैंक प्रबंधन को पेशेवर बनाने तथा सरकारी बैंकों की जोखिम प्रबंधन प्रणाली को मजबूत करने के लिए कदम उठा रही है. ‘हम चाहते हैं कि बैंकों में बेहतर जोखिम प्रबंधन होना चाहिये, वित्तीय सेवाओं का विभाग इस संबंध में काम कर रहा है.’ इससे पहले इसी महीने भूषण स्टील और प्रकाश इंडस्टरीज की ऋण सीमा बढाने के मामले में कथित तौर पर 50 लाख रुपये की रिश्वत लेने के मामले में सिंडिकेट बैंक के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक एस के जैन को गिरफ्तार किया गया है.
इसके अलावा ओरियंटल बैंक ऑफ कामर्स व देना बैंक के कुछ अधिकारियों पर ग्राहकों की मियादी जमा में से 436 करोड रुपये की राशि का दुरुपयोग करने का भी संदेह है. सरकार ने इस कथित घोटाले का फोरेंसिक आडिट शुरु कर दी है. पूर्व में भी रिजर्व बैंक व वित्त मंत्रालय सीएमडी के पद को विभाजित करने का सुझाव दे चुके हैं.
केन्द्रीय बैंक ने कहा था कि अपने कार्यकाल के दौरान सीएमडी बोर्ड पर हावी रहते हैं. ऐसे में उसने सीएमडी का पद अलग करने को कहा था जिससे बोर्ड को सशक्त किया जा सके. सरकारी बैंकों में शीर्ष कार्यकारी को सीएमडी का पद दिया जाता है. सिर्फ भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) इस मामले में अपवाद है. एसबीआई में शीर्ष पद चेयरमैन का है और इसमें चार प्रबंध निदेशक हैं.