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साक्षी ने खोला रियो ओलंपिक में जीत का राज

नयी दिल्ली : कुश्ती ऐसा खेल है जिसमें ताकत की सबसे ज्यादा जरुरत होती है लेकिन रियो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली पहलवान साक्षी मलिक ने कहा कि उनकी यह उपलब्धि ताकत से नहीं बल्कि उसके दिमाग की भी देन है. हरियाणा की 24 वर्षीय पहलवान ने ऐतिहासिक कांस्य जीतकर देश को गौरवान्वित किया. […]

नयी दिल्ली : कुश्ती ऐसा खेल है जिसमें ताकत की सबसे ज्यादा जरुरत होती है लेकिन रियो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली पहलवान साक्षी मलिक ने कहा कि उनकी यह उपलब्धि ताकत से नहीं बल्कि उसके दिमाग की भी देन है. हरियाणा की 24 वर्षीय पहलवान ने ऐतिहासिक कांस्य जीतकर देश को गौरवान्वित किया.

साक्षी को यहां एयर इंडिया ने सम्मानित किया, जिसने उसके लिये मुफ्त में बिजनेस क्लास यात्रा की घोषणा की. इस महिला पहलवान ने कहा, ‘‘कोच कहते हैं कि मेरी ताकत मेरा हथियार है लेकिन मुझे लगता है कि मैंने अपनी तकनीक की वजह से जीत दर्ज की. मैं अपनी ताकत की वजह से ही नहीं बल्कि तकनीक से जीती. ” उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय पहलवान आमतौर पर अपनी ताकत की वजह से ही जीतते हैं जबकि अन्य देश पहले तीन मिनट में काफी आक्रामक होते हैं लेकिन भारतीय पूरे छह मिनट बेहतर प्रदर्शन करते हैं. ”

रियो खेलों के अनुभव को याद करते हुए साक्षी ने कहा कि यह तनावपूर्ण मुकाबला था. उन्होंने कहा, ‘‘रियो ओलंपिक का अनुभव तनावपूर्ण था. मुझे रोज वजन कम करना था. हम 15 दिन से वहां थे, नहीं जानते थे कि क्या होगा क्योंकि पूरा देश हमारा प्रदर्शन देख रहा था. मुझे पूरा भरोसा था कि रुसी पहलवान फाइनल्स में पहुंचेगी और मैं जानती थी कि जो कुछ भी हो, मुझे पदक मिलेगा. ” रोहतक की इस पहलवान ने कहा, ‘‘मुझे पदक की अहमियत महसूस करने में काफी समय लगा. जब मैं दिल्ली हवाईअड्डे पहुंची तो मैंने महसूस किया कि मैंने कितना अच्छा काम किया है. ”

साक्षी ने प्रत्येक टूर्नामेंट से पहले अपनी तैयारियों की तथा खुद पर लगी पांबदियों की बात बतायी. उन्होंने कहा, ‘‘हम ‘पावर ट्रेनिंग’, ‘वेट ट्रेनिंग’, ‘स्पीड ट्रेनिंग’ और ‘मैट वर्क’ पर काम करते हैं. लेकिन सभी टूर्नामेंट के लिये तैयारी एक सी होती है लेकिन प्रतिद्वंद्वी को देखकर चीजें अलग अलग होती हैं. मुझे अपने खान पान पर भी विशेष ध्यान देना होता है क्योंकि आपको प्रत्येक टूर्नामेंट से पहले चार-पांच किलो वजन कम करना होता है. ”

उन्होंने शादी और रोहतक विश्वविद्यालय की कुश्ती निदेशक नियुक्त करने के बारे में कहा, ‘‘मैंने शादी की बात अपने परिवार वालों पर छोड़ दी है, कि वे ही इस पर विचार करें. अभी मेरा लक्ष्य एशियाई खेल और राष्ट्रमंडल खेल हैं. जब तक मैं कुश्ती कर रही हूं, कुछ और नहीं करुंगी. ”

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