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शाम में शराब नहीं, घर में आती है सब्जी- नीतीश

जहानाबाद/अरवल / औरंगाबाद / नवादा : निश्चय यात्रा के तहत जहानाबाद पहुंचे सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि नशामुक्त बिहार बनाना हमारा अगला प्रमुख लक्ष्य है. नशामुक्ति से केवल बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश की दशा बदलेगी . बिहार से निकली हवा अब कोई रोक नहीं सकता .अन्य प्रदेशों में भी नशे की विरोध […]

जहानाबाद/अरवल / औरंगाबाद / नवादा : निश्चय यात्रा के तहत जहानाबाद पहुंचे सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि नशामुक्त बिहार बनाना हमारा अगला प्रमुख लक्ष्य है. नशामुक्ति से केवल बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश की दशा बदलेगी . बिहार से निकली हवा अब कोई रोक नहीं सकता .अन्य प्रदेशों में भी नशे की विरोध में आवाजें उठने लगी हैं. उन्होंने कहा कि शराबबंदी से सूबे में सामाजिक परिवर्तन हुआ है .बदलाव का ही असर है कि अब शाम में लोग घर में शराब नहीं बल्कि सब्जी लेकर पहुंचते हैं. उन्होंने चोरी छिपे शराब बेचने और पीने वालों पर कड़ी नजर रखने का आम जनता से आह्वान किया और कहा कि जनता की जागरूकता और सहयोग से चुपके -चुपके नशा का कारोबार करना भी बंद हो जायेगा. शनिवार को मुख्यमंत्री जहानाबाद जिले के मखदुमपुर प्रखंड अर्न्तगत धरनई गांव पहुंचे थे. उन्होंने सात निश्चय योजना के तहत कराये गये विकास कार्यों का जायजा लिया.

गांव का लिया जायजा

उन्होंने धरनई गांव के वार्ड नंबर 09 एवं 10 के महादलित टोले में बनाये गये शौचालयों ,मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र ,स्वास्थ्य उपकेंद्र, पंचायत सरकार भवन का जायजा लिया. मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि जनादेश मिलते ही सरकार के द्वारा सात निश्चय पर काम किया जा रहा है .योजनाएं लागू हो रही है. शुरू में क्या कठिनाई हो रही है इसका वे सरजमीं पर घूम-घूम कर जायजा ले रहे हैं. उन्होने उपस्थित जनसमूह से आहवान करते हुये कहा कि वे धैर्य बनाये रखें ,सरकार उनकी हर जरूरतों को पूरा करने के लिए सजग है. पंचायतों व वार्डो में प्राथमिकता तय कर योजनाओं का क्रियांवयन कराया जा रहा है.

नवादा के अकबरपुर में पहुंचे मुख्यमंत्री

निश्चय यात्रा के आठवें चरण में शनिवार को नवादा जिले के अकबरपुर प्रखंड स्थित सुपौल गांव पहुंचे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक सभा में कहा कि हर युवा को काम मिले, रोजगार के बेहतर मौके पैदा हों, ऐसा हमारा संकल्प है. इसके लिए नयी तकनीक के साथ-साथ व्यवहार कौशल-संवाद कौशल की व्यवस्था की गयी है. इसे कौशल विकास योजना से जोड़ कर रोजगार मुहैया कराया जायेगा. इससे पहले मुख्यमंत्री खुले में शौच से मुक्त हुए सुपौल के लोगों से मिले और अपने संबोधन में कहा कि निश्चय यात्रा का यह सिलसिला अपने शुरुआती दौर में है. जमीन पर आकर वह इसकी कमियों का अध्ययन कर रहे हैं. इसके और भी बेहतर क्रियान्वयन की व्यवस्था की जायेगी. अनुमंडल स्तर पर होंगे पारा मेडिकल व नर्सिंग कॉलेज. वर्ष 2011 की सेवा यात्रा की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन दिनों लोगों को सेवा का कानूनी अधिकार दिया गया था. अब निश्चय यात्रा के जरिये युवाओं को रोजगार की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है. महिलाओं को राज्य की सरकारी सेवाओं में 35 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था कर दी गयी है. यह योजना लागू हो चुकी है.

इसी साल पूरी होंगी योजनाएं-सीएम

शराबबंदी का असर दूसरे राज्यों पर भी. मुख्यमंत्री ने कहा कि सात निश्चयों के तहत गांवों में बुनियादी नागरिक सुविधाओं को बहाल करने का काम शुरू हो चुका है, जिसे इसी साल पूरा कर लेना है. 2018 में हर घर में बिजली होगी. हर घर तक पक्की गली की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है. शराबबंदी पर चर्चा करते हुए सीएम ने कहा कि बड़े कानून से बड़ा लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता है. इसके लिए जन भागीदारी जरूरी है. शराबबंदी के बाद दूसरे रोजगारों में बढ़ोतरी हुई है. इसका (शराबबंदी) असर देश के दूसरे राज्यों पर भी पड़ेगा. लोगों के जीवन स्तर में बदलाव आयेगा. गुजरात पहले से शराबबंदी को अपना रखा है. शेष राज्यों पर भी बिहार के बदलाव का असर दिखेगा.

औरंगाबाद भी पहुंचे सीएम

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने निश्चय यात्रा के दौरान शनिवार को औरंगाबाद में जिला निबंधन व परामर्श केंद्र का निरीक्षण किया. उन्होंने कहा कि उनके सात निश्चय में पहला निश्चय यह है कि युवाओं के भविष्य को संवारें. युवाओं के कंधों पर ही सूबे का भविष्य है. बिहार आगे बढ़ेगा, तो देश आगे बढ़ेगा. जिला निबंधन सह परामर्श केंद्र अपना काम करने लगा है. युवाओं को रोजगार व नौकरी के लिए किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. जो छात्र 12वीं पास कर चुके हैं व आगे की पढ़ाई करना चाहते हैं, तो उन्हें निर्धारित समय के भीतर चार लाख रुपये का लोन दिया जायेगा. ऐसे युवाओं की संख्या यहां 13 प्रतिशत थी. इस राज्य के विकास के लिए 35 से 40 प्रतिशत होनी चाहिए. सीएम ने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर युवा जो रोजगार की तलाश में जुटे हैं व जिनका खर्च उठाने में परिजन अक्षम हैं, उन्हें स्वयं सहायता के रूप में प्रति माह एक हजार रुपये दिये जा रहे हैं.

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