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आधार पर स्पष्टता

यह हमारे शासन तंत्र की संभवतः सबसे बड़ी त्रासदी है कि सामान्य नागरिक आम तौर पर नियमों-कानूनों से अनभिज्ञ होते हैं तथा प्रशासनिक अधिकारी और कर्मचारी भी ठीक से उन्हें लागू करने के लिए गंभीर नहीं होते. राजनीतिक नेतृत्व भी ऐसे मामलों में कम ही रुचि दिखाता है. सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार और अकर्मण्यता का […]

यह हमारे शासन तंत्र की संभवतः सबसे बड़ी त्रासदी है कि सामान्य नागरिक आम तौर पर नियमों-कानूनों से अनभिज्ञ होते हैं तथा प्रशासनिक अधिकारी और कर्मचारी भी ठीक से उन्हें लागू करने के लिए गंभीर नहीं होते. राजनीतिक नेतृत्व भी ऐसे मामलों में कम ही रुचि दिखाता है. सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार और अकर्मण्यता का प्रधान कारण यही है.
सेवाओं के लाभ को लोगों तक समुचित तरीके से पहुंचाने के इरादे के साथ आधार संख्या प्रणाली की शुरुआत हुई थी और इसके लाभ भी हमें दिखने लगे हैं, लेकिन अनेक ऐसी खबरें भी आती रहती हैं कि आधार संख्या न होने के कारण किसी निर्धन को राशन नहीं मिल पाया या किसी बीमार का उपचार नहीं किया गया. कई जरूरी सेवाओं को प्राप्त करने में भी बेमतलब परेशानियों के भी उदाहरण हैं.
आधार तंत्र के संचालन और नियमन के लिए जिम्मेदार संस्था आधार प्राधिकरण ने स्पष्ट किया है कि आधार कानून में यह साफ व्यवस्था है कि किसी भी नागरिक को आधार संख्या नहीं रहने के कारण जरूरी सुविधाओं और सेवाओं से वंचित नहीं रखा जा सकता है. प्राधिकरण ने इस बारे मे सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश भेज दिया है. उम्मीद की जानी चाहिए कि इस स्पष्टीकरण के बाद किसी भी नागरिक को बिला वजह परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा. वर्ष 2016 के आधार कानून में यह उल्लिखित है कि आधार संख्या नहीं होने या किसी कारण उसका सत्यापन न होने पर पहचान के लिए वैकल्पिक तरीकों का सहारा लिया जा सकता है.
ऐसे में यह सवाल वाजिब है कि इसके बावजूद परेशान लोगों को राशन या इलाज जैसी बेहद जरूरी सेवाएं देने से इंकार क्यों किया गया? ऐसा तो नहीं है कि संबद्ध विभागों या कार्यालयों को कानूनी व्यवस्थाओं की जानकारी नहीं रही होगी. प्राधिकरण ने अपने निर्देश में आगे से गैर-कानूनी तरीके से सेवाओं से वंचित करने पर शिकायत कराने को कहा है और भरोसा दिलाया है कि कठोर कार्रवाई की जायेगी. आधार कानून संसद द्वारा पारित किया गया है और आधार प्रणाली को लागू करनेवाले सभी विभागों और उनमें कार्यरत कर्मचारियों को उसके प्रावधानों की पूरी समझ होनी चाहिए. यह व्यवस्था ठीक से लागू हो, इसकी जिम्मेदारी सरकारों और उनके शीर्ष पदाधिकारियों की है.
यदि सरकारी महकमे ही कायदे-कानूनों का उल्लंघन करेंगे या उन्हें मनमाने ढंग से लागू करेंगे, तो आम लोग अपनी परेशानियां लेकर कहां जायेंगे. यह ठीक है कि शिकायत दर्ज कराने की व्यवस्था है और आधार प्राधिकरण ने भी अपने निर्देश में इसे स्पष्ट किया है, किंतु राशन की कमी और आपात चिकित्सा जैसी समस्याओं से जूझते गरीबों-वंचितों के पास शासन-प्रशासन के दरवाजे खटखटाने की मोहलत नहीं होती है. इसलिए जरूरी यह है कि सरकारें आधार कानून के प्रावधानों को ईमानदारी से लागू कराएं तथा यह सुनिश्चित करें कि लोगों तक सेवाएं ठीक से पहुंचें.

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