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एंटी चाइल्ड लेबर डे आज, बालश्रम को अब बाय-बाय कहेगा बिहार

राजधानी सहित सभी जिलों, प्रखंडों, ग्राम पंचायतों में होंगे कार्यक्रम पटना : आज (30 अप्रैल) एंटी चाइल्ड लेबर डे है. मौके पर बिहार सरकार अधिवेशन भवन में सुबह 10 बजे से भव्य कार्यक्रम का आयोजन करेगा. इसमें बाल श्रम से लेकर मानव तस्करी तक की बातें होंगी. ऐसे में बिहार को बालश्रम से मुक्त कराने […]

राजधानी सहित सभी जिलों, प्रखंडों, ग्राम पंचायतों में होंगे कार्यक्रम
पटना : आज (30 अप्रैल) एंटी चाइल्ड लेबर डे है. मौके पर बिहार सरकार अधिवेशन भवन में सुबह 10 बजे से भव्य कार्यक्रम का आयोजन करेगा. इसमें बाल श्रम से लेकर मानव तस्करी तक की बातें होंगी. ऐसे में बिहार को बालश्रम से मुक्त कराने को लेकर सरकार लगातार प्रयास कर रही है.
बालश्रम के लिए बदनाम रहे बिहार की तस्वीर बदलने वाली है. बिहार सरकार ने बालश्रम को जड़ से खत्म करने का बीड़ा उठाया, तो परिणाम भी सामने आने लगा. प्रदेश के संवेदनशील 13 जिलों में से कुछ में काम शुरू भी हो चुका है.
सबकुछ ठीक रहा, तो जल्दी ही छूटे हुए जिलों में भी सरकार यूनिसेफ सहित दर्जन भर से अधिक स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ मिल कर काम शुरू कर देगी. उधर, खुशी की बात यह है कि वर्ष 2001 से 2011 के बीच बाल मजदूरों का प्रतिशत कुल मिला कर कम हुआ है. वर्ष 2011 जनगणना के अनुसार पांच से 14 वर्ष के भारत में करीब 40 लाख बच्चे मजदूर हैं.
15-19 साल के किशोरों को इसमें शामिल कर लिया जाये, तो संख्या बढ़ कर दो करोड़ 20 लाख से अधिक हो जायेगी. एक रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में बाल मजदूरों की संख्या 4.5 लाख (जनगणना 2011) है. इस तरह बिहार बाल मजदूरों की तीसरी सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य है.
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हर साल तीन हजार बच्चे कराये जाते हैं मुक्त : श्रम संसाधन विभाग, सीआईडी और समाज कल्याण विभाग के आंकड़ों पर गौर करें, तो हर साल करीब तीन हजार बच्चों को दूसरे राज्यों से मुक्त कराया जाता है. ये बच्चे दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश तथा कर्नाटक से मुक्त करा कर लाये जाते हैं. बिहार सरकार ने बाल मजदूरी की समस्या को गंभीरता से लिया है. इसके लिए लगातार काम भी हो रहा है.
राजधानी सहित 13 जिले हैं संवेदनशील : बाल मजदूरी के मामले में बिहार की राजधानी पटना भी बदनाम है. इसके अलावा टॉप पर गया है. दरभंगा, भोजपुर, अररिया, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, नालंदा, नवादा, पश्चिम चंपारण, पूर्णिया, सीतामढ़ी भी बाल मजदूरी के मामले में बाकी जिलों से आगे हैं.
एक अनुमान के मुताबिक इन 13 जिलों में 30 हजार से ज्यादा बाल मजदूर हैं. यह राज्य में बाल मजदूरों की कुल आबादी का 55 प्रतिशत है. शेष 25 जिलों में बाकी 45 प्रतिशत बाल मजदूर हैं. अरवल ऐसा जिला है, जहां सबसे कम बाल मजदूर हैं.
शेष छह जिलों में भी चलेगा विशेष अभियान : समाज कल्याण निदेशालय के डायरेक्टर सुनील कुमार ने बताया कि प्रदेश के 13 संवेदनशील जिलों में से आठ जिलों में यूनिसेफ सहित विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ मिलकर सरकार काम कर रही है.
दूसरे राज्यों से बरामद बाल मजदूरों को शिक्षा अभियान से जोड़ने के साथ ही उनके परिवार को सभी सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाना सुनिश्चित किया जा रहा है. इसका लाभ भी मिल रहा है. गया, नवादा, नालंदा, पूर्णिया, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, पूर्व चंपारण और मधुबनी में पूरी टीम सक्रिय है. इसके अलावा जहानाबाद में भी बहुत काम हुआ है.
अब शेष जिलों को लिया जा रहा है. इसमें दरभंगा, भोजपुर, अररिया, मुजफ्फरपुर, पश्चिम चंपारण और पटना शामिल हैं. इन जिलों को लेकर दो अप्रैल को यूनिसेफ के साथ बैठक भी हुई थी. सूचना यह भी है कि 23 अप्रैल को यूनिसेफ ने भी अपने स्तर से बैठक कर रूपरेखा पर चर्चा की है. जल्द ही पूरी कार्ययोजना बिहार सरकार को सौंपी जायेगी, इसके बाद छूटे ही जिलों में भी काम शुरू होगा.
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अधिवेशन भवन में कार्यक्रम आज : समाज कल्याण निदेशालय के डायरेक्टर सुनील कुमार ने बताया कि श्रम विभाग और समाज कल्याण विभाग की ओर से एंटी चाइल्ड लेबर डे के अवसर पर सोमवार को कार्यक्रम होगा. इसमें पदमश्री डॉ सुनीता कृष्णन भी शामिल होंगी. इसके अलावा श्रम मंत्री और समाज कल्याण मंत्री भी शिरकत करेंगे. बाल श्रम और मानव तस्करी को लेकर चर्चा होगी. कार्यक्रम सुबह 10 बजे से शुरू होगा. इसके अलावा, प्रदेश भर में जिला, प्रखंड, वार्ड और ग्राम पंचायत स्तर पर बाल कल्याण समिति की भी बैठक होगी.

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