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घुटनों के गठिया को आप न करें नजरअंदाज हो सकता है ऑस्टियोआर्थराइटिस का खतरा, ऐसे करें बचाव

डॉ (प्रो) पीडी सिंह हड्डी रोग विशेषज्ञ ( पूर्व विभागाध्यक्ष, रिम्स, रांची) हरिहर सिंह रोड, मोराबादी, रांची संपर्क : 6204800053 गठिया की शुरुआत घुटनों, पीठ या अंगुलियों के जोड़ों में मामूली दर्द के साथ होती है, लेकिन अक्सर लोग इस मामूली दर्द को नजरअंदाज कर देते हैं. गाड़ी से उतरते समय एकाएक शुरू होनेवाले पैर […]

डॉ (प्रो) पीडी सिंह
हड्डी रोग विशेषज्ञ
( पूर्व विभागाध्यक्ष, रिम्स, रांची)
हरिहर सिंह रोड, मोराबादी, रांची
संपर्क : 6204800053
गठिया की शुरुआत घुटनों, पीठ या अंगुलियों के जोड़ों में मामूली दर्द के साथ होती है, लेकिन अक्सर लोग इस मामूली दर्द को नजरअंदाज कर देते हैं. गाड़ी से उतरते समय एकाएक शुरू होनेवाले पैर या कूल्हे में होनेवाले दर्द को लोग गंभीरता से नहीं लेते. लोग समझते हैं कि अभी उनकी उम्र गठिया से पीड़ित होने की नहीं है और दर्द का कारण सामान्य-सा मोच है.
अगर आप भी ऐसा सोचते हैं, तो अपना ख्याल बदलिए. अगर आप अधेड़ हो चुके हैं, तो गठिया रोग को गंभीरता से लीजिए. इस उम्र में ऑस्टियोआर्थराइटिस होने का खतरा अधिक रहता है. इसमें जोड़ों के कार्टिलेज में विकृति आ जाती है. कार्टिलेज जोड़ों के लिए शॉक ऑब्जर्वर का काम करता है.
गठिया की शुरुआत आमतौर पर स्त्रियों में 35 वर्ष की उम्र में एवं पुरुषों में 40 वर्ष की उम्र में हो जाती है. लोगों को सीढ़ियां चढ़ने-उतरने में दर्द होता है, नीचे बैठ कर उठने में दर्द होता है और कभी-कभी सोने के बाद भी दर्द होता है. अमेरिका में दो करोड़ से ज्यादा लोग गठिया से पीड़ित हैं. 2020 तक इस तादाद के दो गुना हो जाने की उम्मीद है. अमेरिकी स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक सभी अमेरिकी वयस्क किसी-न-किसी तरह के मर्ज से पीड़ित हैं.
गठिया होने का क्या है प्रमुख कारण : गठिया का सबसे बड़ा कारण कसरत करने की आदत एकदम से छोड़ देना है. अगर आप फुटबॉल, टेनिस, बास्केटबॉल खेलते हैं या ऐरोबिक्स करते रहे हैं और इसे एकदम से बंद कर देते हैं, तो इसका जोड़ों पर काफी बुरा असर पड़ता है. गठिया का एक और बड़ा कारण मोटापा या अत्यधिक वजन का होना भी है.
आधुनिक जीवनशैली के परिणामस्वरूप लोगों में मोटापा तेजी से बढ़ रहा है. मोटापा जोड़ों को कमजोर करता है. पहले वैज्ञानिक मानते थे कि गठिया के लिए केवल कार्टिलेज का क्षय ही उत्तरदायी है. गलत फीटिंग के जूते, जूतों का घिसना या चोट जोड़ों में गठिया पैदा कर सकता है. लेकिन इस बीमारी में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका सबके शरीर में होनेवाली जैव रासायनिक क्षतिपूर्ति में भिन्नता की होती है. कुछ लोगों के जोड़ों का कार्टिलेज किसी भी क्षति से अपना बचाव करने में ज्यादा सक्षम होता है. ऐसे लोगों के जोड़ ज्यादा स्वस्थ रहते हैं.
गठिया की अवस्था को ऐसे समझिए
शिकागो के संत लूम मेडिकल कॉलेज में ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ माइकल शीनकाप का कहना है कि हम गठिया की गुत्थी सुलझाने के लिए जैव रासायनिक तकनीक के इस्तेमाल के बारे में सोच रहे हैं. एक दिन ऐसा आयेगा जब आप एक गोली खाएं और आपके जोड़ों का कार्टिलेज मजबूत होता रहे. लेकिन इसमें कम-से-कम दस साल का समय लगेगा.
तब तक डॉक्टर ऐसे टेस्ट की खोज में लगे हुए हैं, जिससे गठिया का पता शुरुआती अवस्था में ही लग जाये. एक्स-रे से हड्डियों की हालत की पूरी जानकारी मिल जाती है. लेकिन कार्टिलेज की सही तस्वीर नहीं मिल पाती है. कार्टिलेज पानी सोखे हुए स्पंज की तरह होता है.
इसमें पानी, कांड्रासाइट्स और कई अन्य घटक होते हैं. कांड्रासाइट्स ऐसी कोशिकाएं होती हैं, जो कार्टिलेज की नयी मात्रा पैदा करती रहती हैं. जब जोड़ों पर दबाव पड़ता है, तो स्पंज की तरह कार्टिलेज से सोखा हुआ द्रव्य बाहर निकल जाता है. दबाव कम होने पर कार्टिलेज इस द्रव्य को फिर से सोख लेता है.
सोखने और निचुड़ने की इसी प्रक्रिया से इस द्रव्य की गुणवत्ता बनी रहती है और कार्टिलेज स्वस्थ बना रहता है. यही कारण है कि जोड़ों की कसरत और टहलना आदि हमें ऑस्टियोऑर्थराइटिस से बचाते हैं. कभी-कभी 40 से 55 साल की उम्र में कांड्रोसाइट्स अपना काम ठीक से नहीं कर पाते और कार्टिलेज कमजोर पड़ना शुरू हो जाता है. हड्डियों को झटके से बचाने की प्रणाली कमजोर पड़ जाती है और दर्द भी शुरू हो जाता है. यही अवस्था गठिया रोग है.
घुटनों के गठिया का इलाज
यदि घुटनों में दर्द बहुत रहता है, तो दर्द की गोलियां कुछ दिनों तक सेवन करें. इससे दर्द यदि कम हो जाता है, तो प्रतिदिन प्रात: भ्रमण करें. यदि जोड़ एकदम घिस गया है और हर कदम मुश्किल से चल पाते हैं, तो घुटने का नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी ही 21वीं सदी का इलाज है. वैज्ञानिक प्रतिदिन अनुसंधान कर रहे हैं कि कोई नयी चिकित्सा पद्धति का इलाज ईजाद हो, ताकि जोड़ों का घिसना बंद हो जाये और लोग नी-रिप्लेसमेंट से बच सकें.
ऐसे करें बचाव
स्वस्थ जीवन चाहिए, तो शाकाहार को अपनाइए. अब तो मेडिकल साइंस भी कहता है कि हमारे लिए शाकाहार ही उत्तम है, जो तमाम रोगों से दूर रखता है. असल में मांसाहार कैंसर तत्वों को बढ़ावा देता है. इसलिए इससे बचना ही श्रेयस्कर है. घुटनों की मजबूती के लिए रोज कम-से-कम 3 से 5 किलोमीटर तेज कदम से चलें. बाहर संभव न हो, तो घर के अंदर ही चलें.
जो लोग कंप्यूटर पर देर तक लगातार काम करते हैं, वे बीच-बीच में उठ कर आधा घंटा टहल आएं. इससे शरीर का मूवमेंट बना रहेगा और रक्त का संचारण सही रहेगा. लोग कहते हैं कि सीढ़ियां न चढ़ें, मैं कहता हूं कि सीढ़ियां रोज चढ़ें. यह घुटनों के लिए बेस्ट एक्सरसाइज है. इसके अलावा कुछ अन्य भी अभ्यास कर सकते हैं, जैसे- कुछ पकड़ कर या सहारा लेकर बैठे और थोड़ी देर बाद उठें.
खटिया में सो जाइए. पैरों को दोनों हाथों से मोड़ लीजिए, फिर खोलिए. घुटनों में दर्द है, तो 10-10 सीढ़ियां ही चढ़ें. चलना मत छोड़िए, वरना चार-पांच लाख रुपये खर्च करके भी आप समस्या से घिरे रहेंगे. गठिया से ग्रस्त होने पर पानी ज्यादा मात्रा में पीएं. पानी का ज्यादा सेवन गठिया में फायदेमंद है. साथ ही डॉक्टर की सलाह से कैल्शियम या सप्लीमेंट ले सकते हैं.

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