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अचानक सब पर भारी पड़ गये अमर सिंह

एलबी राई का नाम चल रहा था सबसे आगे डॉ पीडी भुटिया भी थे टिकट के दावेदार विनय गोजमुमो का उम्मीदवार लड़ाना चाहते थे चुनाव बाद समीकरण को ध्यान में रखबदली रणनीति सिलीगुड़ी : दार्जिलिंग संसदीय क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार के नाम ने सबको चौंका दिया है. किसी को भी इस बात का अंदाजा […]

एलबी राई का नाम चल रहा था सबसे आगे

डॉ पीडी भुटिया भी थे टिकट के दावेदार

विनय गोजमुमो का उम्मीदवार लड़ाना चाहते थे

चुनाव बाद समीकरण को ध्यान में रखबदली रणनीति

सिलीगुड़ी : दार्जिलिंग संसदीय क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार के नाम ने सबको चौंका दिया है. किसी को भी इस बात का अंदाजा नहीं था की मुख्यमंत्री तथा तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी गोजमुमो के एक विधायक को लोकसभा का टिकट पकड़ा देंगी.

दूर-दूर तक इस बात की चर्चा तक नहीं थी. यह पहले से ही तय था कि तृणमूल कांग्रेस पिछले चुनाव की तरह ही इस बार भी दार्जिलिंग संसदीय क्षेत्र से अपना उम्मीदवार उतारेगी. वर्ष 2014 में तृणमूल कांग्रेस ने भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान बाइचुंग भुटिया को मैदान में उतारा था. इस साल भुटिया ने अपनी राजनीतिक पारी अपने प्रदेश सिक्किम में शुरू कर दी है.

जाहिर है पहाड़ के कई तृणमूल नेता इस बार के लोकसभा चुनाव में टिकट पाने की जुगाड़ में लगे हुए थे. कईयों का नाम तो इसमें काफी आगे चल रहा था. तृणमूल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मिरिक नगरपालिका के चेयरमैन एलबी राई का नाम सबसे आगे था.

दूसरी ओर बिन्नी शर्मा और राजेन मुखिया भी रेस में थे. तृणमूल के इन नेताओं को छोड़ दें तो टिकट की दावेदारी में सिलीगुड़ी के एक चिकित्सक तथा बंगरत्न में से सम्मानित डॉ पीडी भुटिया का नाम भी हवा में था. माना यह जा रहा था कि तृणमूल अगर अपने पार्टी के किसी नेता को टिकट देती है तो वह एलबी राई होंगे. जबकि पार्टी से बाहर किसी को ममता बनर्जी टिकट देंगी तो वह डॉ पीडी भुटिया होंगे.

लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं हुआ. अचानक दार्जिलिंग के विधायक अमर सिंह राई को ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव मैदान में उतार दिया है. पहाड़ के कई तृणमूल नेता ममता बनर्जी के इस निर्णय को नहीं पचा रहे हैं पा रहे हैं. यही वजह है कि एलबी राई सहित कई नेता कोपभवन में चले गए हैं. एलबी राई समर्थकों का कहना है कि वह काफी बुजुर्ग नेता है. जब 2 साल पहले पहाड़ पर गोजमुमो सुप्रीमो बिमल गुरुंग की तूती बोलती थी तब उन्होंने तृणमूल कांग्रेस को पहाड़ पर स्थापित करने में बड़ी भूमिका निभाई थी.मिरिक नगरपालिका का तृणमूल पर कब्जा हुआ था. राजेन मुखिया तथा बिन्नी शर्मा भी उस जमाने में तृणमूल को स्थापित करने में लगे हुए थे.

गोरखालैंड आंदोलन के दौरान 105 दिनों तक पहाड़ बंद के दौरान कई हिंसक घटनाएं हुई थी. एलबी राई को भी निशाना बनाया गया था. कई तृणमूल नेताओं को पहाड़ छोड़कर सिलीगुड़ी आना पड़ा था. धीरे-धीरे पहाड़ की स्थिति सामान्य हुई और गोजमुमो में दो फाड़ हो गया. विमल गुरुंग जहां भूमिगत हैं. वहीं अब विनय तमांग गोजमुमो के बॉस है. विनय तमांग मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ मिलकर पहाड़ का विकास करना चाहते हैं.

दूसरी ओर गोजमुमो विधायक अमर सिंह राई कोटिकट मिलने से पहाड़ के कई तृणमूल नेता क्षुब्ध हो गए हैं. यह सभी कोप भवन में चले गए हैं . हालांकि कोई भी नेता मुख्यमंत्री के इस निर्णय के खिलाफ खुलकर सामने नहीं आए हैं. लेकिन उनके रवैये से स्पष्ट है कि वह खुश नहीं हैं. टिकट की घोषणा होने के बाद से ही प्रमुख दावेदारों में शामिल मिरिक नगरपालिका के चेयरमैन एलबी राई का फोन बंद है. इस मामले में जब तृणमूल के एक अन्य कद्दावर नेता बिन्नी शर्मा से बातचीत की कोशिश की गई तो उन्होंने भी नो कमेंट कहा.

जबकि राजेंद्र मुखिया का भी फोन बंद आ रहा है. दूसरी ओर सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एल्बी राई ने पार्टी के निर्णय का विरोध किया है. वह खुलकर तो सामने नहीं आए हैं लेकिन उनके समर्थक काफी नाराज हैं. उनके समर्थकों द्वारा मिरिक इलाके में तृणमूल कांग्रेस के झंडे आदि हटाए जाने की भी खबरें मिल रही है. दूसरी ओर तृणमूल नेता शारदा राई सुब्बा ने पार्टी के अंदर कुछ लोगों के विक्षुब्ध होने होने की बात को खारिज किया है.

उन्होंने अमर सिंह राई को जीत दिलाने के लिए आज पार्टी नेताओं के साथ एक बैठक भी की. श्रीमती सुब्बा का कहना है कि तृणमूल के सभी नेता एवं कार्यकर्ता अमर सिंह राई की जीत सुनिश्चित करने के लिए जोर लगा देंगे. पार्टी में कहीं भी किसी भी प्रकार की नाराजगी नहीं है. दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अमर सिंह राई को तृणमूल का टिकट देने की कहीं भी चर्चा नहीं थी.

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