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लोकतंत्र की मांग को लेकर प्रदर्शनकारी डटे, लंबी लड़ाई की तैयारी

हांगकांगः चीन में लोकतंत्र की मांग को लेकर हजारों लोग सड़क पर उतर गये. लोकतंत्र के मांग की आवाज अब वहां बुलंद होने लगी है. चीन की सरकार ने इसके लिए विरोधी पार्टियों को जिम्मेदार ठहराया है. दूसरी तरफ प्रदर्शनकारियों की मांग है कि चीन में लोकतंत्र के आधार पर चुनाव होना चाहिए. प्रदर्शनकारियों ने […]

हांगकांगः चीन में लोकतंत्र की मांग को लेकर हजारों लोग सड़क पर उतर गये. लोकतंत्र के मांग की आवाज अब वहां बुलंद होने लगी है. चीन की सरकार ने इसके लिए विरोधी पार्टियों को जिम्मेदार ठहराया है. दूसरी तरफ प्रदर्शनकारियों की मांग है कि चीन में लोकतंत्र के आधार पर चुनाव होना चाहिए. प्रदर्शनकारियों ने सरकार के सामने स्पष्ट तौर पर मांग रखी है कि चीन में 2017 में होने वाल चुनाव लोकतंत्र के आधार पर होना चाहिए. चीन की सरकार इस मांग का विरोध कर रही है सरकार ने इसमें कुछ पाबंदियां लगा रखी है जिसे हटाने की मांग की जा रही है

हांगकांग में लोकतंत्र की मांग को लेकर हजारों लोकतंत्र समर्थक पार्टियों ने प्रदर्शन किया. उन्होंने हांगकांग के कई रास्ते जाम कर दिये. पुलिस ने समर्थकों को मनाने की कोशिश की लेकिन समर्थक नहीं मानें और सड़क पर डटे रहे. पुलिस ने भीड़ को हटाने के लिए आंसु गैस के गोले छोड़ और लाठी चार्ज भी किया. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि हम यहां लोकतंत्र की मांग कर रहे हैं और हांगकांग की सरकार को यह बात समझ नहीं आ रही और ना ही वह हमारी मांग का समर्थन कर रही है.
सरकार की नाराजगी के कारण पुलिस को अपना काम करना ही है, वह अपना काम कर रही है. मंगलवार को चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी रिपबलिक ऑफ चाइन का स्थापना दिवस भी था. इस मौके पर कई पावरफुल लोग इस प्रदर्शन में शामिल हुए . एक प्रदर्शनकारी सुई येंग चेंग हां6गकांग के रहने वाले विद्यार्थी है, उन्होंने कहा कि हम पुलिस की कार्रवाई से डरने वाले नहीं है. हमने अपनी मांग रखी है. हम लोकतंत्र की मांग कर रहे है यह बिल्कुल जायज मांग है हम आज यही रूकने वाले है यह रात हमारे लिए बहुत महत्व रखती है. इस पूरे प्रदर्शन में गौर करने वाली बात यह कि ज्यादातर प्रदर्शनकारी विधार्थी हैं जो अपनी मांग को लेकर आवाज उठा रहे है. चीन में एक देश दो सिस्टम का फार्मूला है जिसे भी प्रदर्शन कारी पसंद नहीं कर रहे.
चीन का मीडिया भी इस पूरे मामले पर सरकार की तरफ खड़ी नजर आ रही है इस प्रदर्शन की जिस तरह से रिपोर्टिंग की जा रही है उससे साफ होता है कि मीडिया भी इसे अलग नजरिये से देख रही है. चीन की मीडिया ने इसे विरोधी पार्टियों की साजिश करार दिया है. प्रदर्शनकारियों में शामिल कई प्रमुख पार्टियां और विधार्थी भी इस बात का साफ- साफ विरोध कर रहे हैं यह प्रदर्शन किसी पार्टी के द्वारा नहीं बल्कि आम जनता क विरोध दर्ज करा रही है.
हांगकांग में जारी इस प्रदर्शन का कई देश समर्थन कर रहे है. कई देशों का मानना है, लोकतंत्र की मांग बिल्कुल जायह है. दूसरी तरफ चीन ने साफ कर दिया है कि यह उसके देश का मामला है इसमें दूसरे देशों को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. अमेरिका और कई देश इस पूरे मामले पर कड़ी नजर रखे हुए है. वाइट हाउस के प्रवक्ता जोश एर्नेस्ट ने इस मामले पर बयान जारी करते हुए कहा, "दुनिया भर में, हांगकांग में भी और अन्य जगहों पर भी, अमरीका शांतिपूर्ण तरीके से जमा होने और अभिव्यक्ति की स्वंत्रता जैसी बुनियादी आज़ादियों का समर्थन करता है."
हमारा मानना है कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन का विरोध नहीं होना चाहिए. ब्रिटेन ने भी इस मामले पर कानूनी की सीमा के अंदर ही प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की बात कही है. दूसरी तरफ इस प्रदर्शन पर चीन अलग ही नजरिया रखता है. हांगकांग में जारी इस प्रदर्शन को चीन ने गैरकानूनी करार दिया है. चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, "हांगकांग पूरी तरह हमारा आंतरिक मामला है. हम क़तई नहीं चाहते कि कोई भी देश किसी भी तरह हमारे आंतरिक मामलों में दखल दे और ऑकुपाई सेंट्रल जैसी गैर कानूनी गतिविधियों का समर्थन करे." दूसरी तरफ प्रदर्शनकारी अपनी लंबी लड़ाई को लेकर तैयार है, खास तौर पर विधार्थी अपनी मांग को लेकर आश्वसत है, उन्हें पूरी उम्मीद है कि वह अपनी जायज मांगों को मनवाने में सफल होंगे

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