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मुल्ला उमर की मौत के बाद नये नेता की तलाश तेज

इस्लामाबाद : मुल्ला उमर की मौत के बाद अफगान तालिबान के प्रमुख के रुप में मुल्ला अख्तर मंसूर की नियुक्ति के लिए संगठन की सुप्रीम काउंसिल से मशविरा नहीं किया गया था और उसके स्थान पर नये नेता का चयन किया जा सकता है. मीडिया में आई खबरों में यह बताया गया है. मुल्ला मंसूर […]

इस्लामाबाद : मुल्ला उमर की मौत के बाद अफगान तालिबान के प्रमुख के रुप में मुल्ला अख्तर मंसूर की नियुक्ति के लिए संगठन की सुप्रीम काउंसिल से मशविरा नहीं किया गया था और उसके स्थान पर नये नेता का चयन किया जा सकता है. मीडिया में आई खबरों में यह बताया गया है.

मुल्ला मंसूर को आतंकवादी संगठन के प्रमुख के रुप में चुना गया है लेकिन तालिबान के प्रवक्ता ने बीबीसी को बताया कि उसे सभी तालिबान ने नियुक्त नहीं किया है जो कि शरियत कानून के खिलाफ है. उन्होंने बताया कि काउंसिल एक नये नेता के चयन के लिए बैठक करेगी.

बीबीसी की एक खबर के मुताबिक संगठन के संस्थापक मुल्ला उमर की मौत के बाद नये नेता के चयन के लिए अफगान तालिबान की सुप्रीम काउंसिल से परामर्श नहीं किया गया था. साथ ही, सशक्त नेतृत्वकारी काउंसिल के एक वरिष्ठ सदस्य ने द एक्सप्रेस ट्रिब्यून को बताया कि काउंसिल मुल्ला मंसूर को शीर्ष पद छोड़ने के लिए कुछ वक्त देगी.

उसने बताया, यदि उसने (मंसूर ने) इनकार कर दिया तो काउंसिल एक नये नेता का चयन कर सकती है. मंसूर के चयन के बारे में यह विरोधाभासी खबरें है कि सुप्रीम काउंसिल से मशविरा किया गया था या नहीं. इससे पहले खबरों में बताया गया था कि उमर की मौत के बाद मंसूर का चयन संगठन के नेता के रुप में किया गया था. साथ ही, उमर की जगह किसी और को देने के लिए पाकिस्तान और अफगानिस्तान के सीमा क्षेत्र में तालिबान शुरा काउंसिल की एक अज्ञात स्थान पर बैठक हुई थी.

बीबीसी की खबर के मुताबिक तालिबान के कुछ सदस्यों ने पाकिस्तान समर्थक लोगों पर आरोप लगाया है कि उन्होंने ही मुल्ला मंसूर को थोपा है जो शांति वार्ता का समर्थन करने के लिए जाना जाता है. तालिबान प्रवक्ता मुल्ला अब्दुल मनना नियाजी के हवाले से बताया गया है कि मंसूर को जिन्होंने चुना उन्होंने नियमों का पालन नहीं किया.

उसने कहा कि इस्लामिक नियम कायदों और सिद्धांत के मुताबिक जब एक नेता की मौत हो जाती है तब शुरा (काउंसिल) बुलाई जाती है फिर इसके नेता की नियुक्ति होती है. मुल्ला उमर ने करीब 20 साल तक संगठन का नेतृत्व किया. उसकी मौत की पुष्टि तालिबान ने बृहस्पतिवार को की गई थी.

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