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जरूरी डॉक्यूमेंट्स खोने का अब नहीं रहेगा डर, डिजिलॉकर से कई मुश्किलें दूर

रोजमर्रा के ज्यादातर क्षेत्रों में तकनीक के बढ़ते दखल के बीच डिजिटल दुनिया से लोगों का संपर्क बढ़ रहा है. केंद्र सरकार ‘डिजिटल इंडिया’ मुहिम के तहत ज्यादा-से-ज्यादा चीजों को इससे जोड़ रही है. इस मुहिम के तहत केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष ‘डिजिलॉकर’ एप्प लॉन्च किया था, जिसका दायरा बढ़ाते हुए इसे डीएल (ड्राइविंग […]

रोजमर्रा के ज्यादातर क्षेत्रों में तकनीक के बढ़ते दखल के बीच डिजिटल दुनिया से लोगों का संपर्क बढ़ रहा है. केंद्र सरकार ‘डिजिटल इंडिया’ मुहिम के तहत ज्यादा-से-ज्यादा चीजों को इससे जोड़ रही है. इस मुहिम के तहत केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष ‘डिजिलॉकर’ एप्प लॉन्च किया था, जिसका दायरा बढ़ाते हुए इसे डीएल (ड्राइविंग लाइसेंस) और आरसी (रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट) से भी जोड़ दिया गया है.
वैसे डाटा को ‘ऑनलाइन सेव’ करने का चलन अब आम हो चुका है. ऐसे समय में डिजिलॉकर के रूप में एक ऐसे एप्प का विचार धरातल पर उतरा है, जिसकी मदद से प्रत्येक आधार कार्डधारी भारतीय अपने संबंधित दस्तावेजों को सुरक्षित रख सकता है. आधार कार्ड यूजर डिजिलॉकर की आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से इस एप्प से जुड़ सकते हैं. जानते है डिजिलॉकर से जुड़े कुछ जरूरी तथ्यों के बारे में.
क्या है डिजिलॉकर
डिजिटल लॉकर या डिजिलॉकर एक स्मार्टफोन एप्प है, जिसे भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स व इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय ने जारी किया है. इस एप्प में हम अपने जरूरी दस्तावेज- जैसे मार्क्सशीट, शैक्षणिक प्रमाणपत्र, पैन कार्ड, पासपोर्ट, एयर टिकट, मैरिज सर्टिफिकेट, बर्थ सर्टिफिकेट, ड्राइविंग लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट आदि को अपलोड और स्टोर करके रख सकते हैं. इस इ-फॉर्मेट डॉक्यूमेंट की वैधता फिजिकल डॉक्यूमेंट की तरह ही होती है. इस तरह हमारे सभी जरूरी डॉक्यूमेंट इस डिजिटल लॉकर में सुरक्षित रह सकते हैं. यह डिजिलॉकर एक जीबी की स्टोरेज सुविधा मुहैया कराता है. यह एप्प नि:शुल्क है, जिसे गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है.
कैसे अपलोड कर सकते हैं डॉक्यूमेंट्स
तकनीकी तौर पर यह एप्प ठीक उसी तरह काम करता है, जैसे दूसरे क्लाउड स्टोरेज सर्विस काम करते हैं. यह एप्प सीधे तौर पर सरकारी एजेंसियों और अनेक सिक्योरिटी प्रोटोकॉल से जुड़ा हुआ है, ताकि हमारे डॉक्यूमेंट सुरक्षित रह सकें. गूगल प्ले स्टोर से इस एप्प को डाउनलोड करने के बाद, इस पर अपना एकाउंट क्रिएट करना होता है.
एकाउंट क्रिएट करने से पहले यूजर को प्रमाणित करने के लिए यह एप्प उसका मोबाइल नंबर पूछता है और इसके बाद यह उसे ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) भेजता है. ऑथेंटिफिकेशन प्रोसेस पूरा हो जाने के बाद यूजर को अपने एकाउंट में लॉग-इन करने के लिए यूनिक यूजरनेम और पासवर्ड क्रिएट करना होता है. इसके बाद यूजर अपने एकाउंट के जरिये अपने डॉक्यूमेंट्स को इस लॉकर में अपलोड और स्टोर करके रख सकते हैं.
दो तरीकों से करता है यह काम
यह डिजिलॉकर दो तरीके से काम करता है.
– पहला तरीका : इसके तहत यूजर को सरकारी एजेंसी द्वारा जारी डॉक्यूमेंट को डाउनलोड करना होता है. मान लीजिए आपने ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन किया है, तो आपका लाइसेंस जारी होने पर संबंधित एजेंसी से आपके डिजिलॉकर एप्प पर एक नोटिफिकेशन आयेगा कि आप अपने लाइसेंस या पेपर को डाउनलोड कर लें. हालांकि, इस तरह का नोटिफिकेशन उसी यूजर को आयेगा, जिसने डिजिलॉकर एकाउंट क्रिएट करते
समय अपने आधार कार्ड की जानकारी
साझा की होगी.
– दूसरा तरीका : यूजर अपने सभी डॉक्यूमेंट जैसे सर्टिफिकेट, पैन कार्ड, आधार कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस की हार्ड कॉपी स्कैन करके अपने इ-सिग्नेचर के साथ इस एप्प में अपलोड कर दें.
इएप्प की खासियत : इस एप्प की एक खासियत यह है कि इसमें यूजर द्वारा सेव किये गये डॉक्यूमेंट और सरकारी एजेंसियों द्वारा जारी किये गये डॉक्यूमेंट अलग-अलग सेव होते हैं. इससे यूजर्स को डॉक्यूमेंट देखने में आसानी होती है.
इसके अलावा यह यह एप्प संबंधित सर्विस पर होनेवाले खर्चे को कम करने में भी सरकार की मदद करेगा. जरूरत पड़ने पर इस सर्विस के जरिये यूजर्स दूसरी सरकारी एजेंसियों के साथ अपने डॉक्यूमेंट को शेयर कर सकते हैं और उसका वेरिफिकेशन करा सकते हैं.
राह में आसानी से जांच
– यातायात कर्मी स्मार्टफोन के जरिये ड्राइविंग लाइसेंस व रजिस्ट्रेशन पेपर की आसानी से जांच कर सकेंगे.
– इससे इन पेपर्स के खोने का डर खत्म हो जायेगा. साथ ही घर पर छूट जाने या खो जाने की स्थिति में चालान भी नहीं देना होगा.
डिजिलॉकर में प्रयुक्त होनेवाले कुछ खास शब्द
इ-डॉक्यूमेंट : इलेक्ट्रॉनिक डॉक्यूमेंट, जिसे उचित प्रारूप (एक्सएमएल व प्रिंटेड दोनों) में एक या अधिक व्यक्तियों (आधार कार्ड धारी) को जारी किया गया हो.
रिपोजिटॉरी : इ-डॉक्यूमेंट का कलेक्शन.
इश्यूअर : वह संस्था, जो एक मानक प्रारूप में किसी को इ-डॉक्यूमेंट जारी करती है और उसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम में उपलब्ध कराती है, जैसे सीबीएसइ, रजिस्ट्रार ऑफिस, आयकर विभाग आदि.
रिक्वेस्टर : वह संस्था या व्यक्ति, जो स्टोर किये गये किसी खास डॉक्यूमेंट तक सुरक्षित पहुंच (सिक्योर एक्सेस) का आग्रह करता है.
यूआरआइ : यूआरआइ यानी यूनिफॉर्म रिसोर्स इंडिकेटर, किसी भी इ-डॉक्यूमेंट का एक यूनिक लिंक होता है, जिसे इश्यूअर डिपार्टमेंट द्वारा जेनरेट किया जाता है. डिजिटल लॉकर सिस्टम के प्रत्येक इ-डॉक्यूमेंट के लिए यूआरआइ अनिवार्य होता है.
डिजिलॉकर के उपयोग संबंधी कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
– आधार कार्ड होने पर ही डिजिलॉकर को एक्सेस किया जा सकता है.
– आधार डाटाबेस में दिये गये यानी लिंक किये गये मोबाइल नंबर और इमेल आइडी के जरिये ही डिजिलॉकर के लिए रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है. मोबाइल नंबर और इमेल आइडी बदल जाने की दशा में डिजिलॉकर के लिए ‘साइन-अप’ करने से पहले आधार डाटाबेस में इन दोनों को बदल देना चाहिए. – शुरू में डिजिलॉकर में क्लाउड स्टोरेज के लिए 10 एमबी स्पेस था, जिसे बढ़ा कर एक जीबी कर दिया गया है. – डिजिलॉकर में अपलोड होनेवाली प्रत्येक फाइल का साइज एक एमबी से ज्यादा साइज की नहीं होनी चाहिए.
वित्तीय धोखाधड़ी से बचाव
मौजूदा तकनीकी युग में वित्तीय धोखाधड़ी बढ़ गयी है. ऐसे में डिजिलॉकर की मदद से सुरक्षित तरीके से डॉक्यूमेंट को साझा किया जा सकता है. फ्रॉड से बचाव के लिहाज से इसे अब तक सुरक्षित समझा जा रहा है. इस एप्प की मदद से संबंधित डॉक्यूमेंट को किसी भी समय, कहीं भी एक्सेस किया जा सकता है. इसका सबसे बड़ा लाभ ‘इ-साइन’ है, जिसे डिजिटल सिग्नेचर के तौर पर अनेक जगह इस्तेमाल किया जा सकेगा. इ-साइन को सभी तरह के सरकारी कार्यों के लिए ‘इ-गवर्नेंस वैलिड साइन’ माना जाता है.
कब से आया यह अमल में
केंद्र सरकार ने जून, 2015 में डिजिलॉकर सेवा की शुरुआत की थी, ताकि भारतीय नागरिक अपने आधिकारिक दस्तावेजों को क्लाउड में स्टोर कर सकें. लेकिन, तब से यह सेवा 12वीं क्लास के छात्रों तक ही सीमित थी, जिसमें वे सीबीएससी की वेबसाइट से अपने अंकपत्र व प्रमाणपत्र को डाउनलोड कर उसे स्मार्टफोन में स्टोर करते थे. पिछले दिनों इस सेवा को विस्तार देते हुए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय से जोड़ दिया गया. यह मंत्रालय अब ड्राइविंग लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट को इस एप्प पर जारी कर सकेगा. इस तरह यह सर्विस कई जरूरी दस्तावेज को सुरक्षित रखने के लिए राष्ट्रीय डिजिटल लॉकर बन गया है. अब यदि आपके पास स्मार्टफोन है तो बाइक या कार चलाते समय अपने साथ लाइसेंस और सर्टिफिकेट रखने की जरूरत नहीं है.
क्यों है इसकी जरूरत
सरकारी एजेंसियों को फिजिकल डॉक्यूमेंट के इस्तेमाल को कम करने और उन्हें इ-डॉक्यूमेंट के इस्तेमाल में सक्षम बनाने के लिए डिजिलॉकर की जरूरत है. इस एप्प के इस्तेमाल से सरकारी विभागों और एजेंसियों के प्रशासनिक कार्यों का बोझ कम होगा. इससे लोगों का समय बचेगा और कागज की भी बचत होगी. सरकारी डॉक्यूमेंट्स आसानी से प्राप्त करने के लिए भी यह एप्प ज्यादा जरूरी है. इससे अनावश्यक भागदौड़ से लोगों को राहत मिलेगी.
डिजिटल लॉकर
अब बाइक या कार से कहीं जाते समय आपको यह डर नहीं सतायेगा कि आप डीएल या आरसी घर पर ही भूल आये हैं. अपने स्मार्टफोन पर डिजिलॉकर एप्प के जरिये आप डीएल व आरसी समेत कई तरह के जरूरी दस्तावेज को डिजिटल फॉर्मेट में सुरक्षित रख सकते हैं और इंटरनेट के जरिये उस तक कभी भी और कहीं से भी पहुंच सकते हैं. इससे इन दस्तावेजों के गुम होने का भय भी अब नहीं रहेगा. क्या है डिजिलॉकर एप्प और कैसे मददगार है यह आम लोगों के रोजमर्रा के कार्यों में, बता रहा है यह आलेख …
प्रस्तुति
आरती श्रीवास्तव

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