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बीआरजीएफ में आवंटन 6395 करोड़ अब तक मिले मात्र 1329 करोड़ रुपये

िसर्फ 38 दिन शेष. केंद्रीय योजनाओं में मिली आधी ही राशि पटना : मौजूदा वित्तीय वर्ष 2016-17 समाप्त होने में महज 38 िदन ही बचे हुए हैं. अगर ‘वर्किंग डेज’ की बात की जाये, तो 25 दिन ही बचे हैं. पर, राज्य के कुल योजना आकार में महज 58.84 प्रतिशत खर्च हुए हैं. चालू बजट […]

िसर्फ 38 दिन शेष. केंद्रीय योजनाओं में मिली आधी ही राशि
पटना : मौजूदा वित्तीय वर्ष 2016-17 समाप्त होने में महज 38 िदन ही बचे हुए हैं. अगर ‘वर्किंग डेज’ की बात की जाये, तो 25 दिन ही बचे हैं. पर, राज्य के कुल योजना आकार में महज 58.84 प्रतिशत खर्च हुए हैं.
चालू बजट में 71 हजार करोड़ का योजना आकार रखा गया है, जिसमें 40 हजार 72 करोड़ रुपये ही खर्च हो पाये हैं. इस आधार पर बचे हुए 25 दिन में 31 हजार करोड़ से ज्यादा रुपये खर्च करना है. केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) में केंद्र की तरफ से राशि आने की रफ्तार बेहद धीमी होने की वजह से भी एक दर्जन से ज्यादा प्रमुख योजनाओं में खर्च करने के लिए रुपये ही नहीं आये हैं. सबसे खराब स्थिति बीआरजीएफ (बैकवर्ड रीजन ग्रांट फंड) की है, जिसमें छह हजार 395 करोड़ में महज एक हजार 329 करोड़ रुपये ही आये हैं. 57 केंद्र प्रायोजित योजनाओं में 28 हजार 777 करोड़ रुपये केंद्रीय अनुदान या ग्रांट के तौर पर राशि देने का प्रावधान रखा गया है, लेकिन इसमें अब तक महज 15 हजार 953 करोड़ रुपये ही प्राप्त हुए हैं, जो निर्धारित राशि का 55.44 प्रतिशत है.
योजनाओं के लिए केंद्र ने नहीं दिये पूरे पैसे
केंद्र ने सिर्फ पीएमजीएसवाइ में ही चालू वित्तीय वर्ष के लिए निर्धारित आवंटन तीन हजार करोड़ में दो हजार 866 करोड़ रुपये और नगर स्वच्छता मिशन में पूरा आवंटन 112 करोड़ जारी किया है. मनरेगा योजना में भी पैसे के आने की रफ्तार अच्छी है. इसमें 1859 करोड़ में 1569 करोड़ रुपये आये हैं. अन्य किसी सीएसएस में 55 फीसदी से ज्यादा रुपये नहीं आये हैं. पर, पीएमजीएसवाइ में जितने रुपये केंद्र से मिले हैं, उसमें आधे यानी एक हजार 472 करोड़ ही खर्च हुए हैं. मालूम हो कि केंद्र ने सीएसएस की राशि को संशोधित करते हुए इसे 32 हजार 931 करोड़ कर दिया था.
आंतरिक टैक्स स्रोत की रफ्तार भी धीमी
राज्य के आंतरिक टैक्स स्रोत के कलेक्शन की रफ्तार भी धीमी है. वाणिज्य कर, निबंधन समेत अन्य सभी विभागों में 29 हजार करोड़ रुपये के टैक्स कलेक्शन का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन इसमें अब तक 17 हजार करोड़ के आसपास रुपये ही एकत्र हो पाये हैं. वाणिज्य कर और निबंधन में टैक्स कलेक्शन को काफी झटका लगा है.
विभागों के खर्च करने की स्थिति : सहकारिता- 84.81 प्रतिशत, आइटी- 81.20, सड़क- 78.13, ग्रामीण कार्य विभाग- 76.88, पीएचइडी- 76.13, शिक्षा- 73.13, गन्ना उद्योग- 71.46, कैबिनेट- 68.30, ग्रामीण विकास विभाग- 59.18, स्वास्थ्य- 57.82, ऊर्जा- 52.71, नगर विकास- 42.75, पिछड़ा एवं अति-पिछड़ा कल्याण- 5, समाज कल्याण- 52.45, एससी-एसटी- 26.28, पंचायती राज- 21.65, कृषि- 37.85, पशु एवं मत्स्य संसाधन- 40.45, गृह- 51.47 प्रतिशत.
केंद्र से आये इतने रुपये
योजना आवंटन मिला
इंदिरा आवास 4570 2114
मनरेगा 1859 1569
बीआरजीएफ 6395 1329
सर्व शिक्षा अभियान 4572 2706
मध्याह्न भोजन 1198 1142
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन 2719 925
राष्ट्रीय कृषि 226 90
खाद्य सुरक्षा 90 35
ग्रामीण पेयजल 350 216
ग्रामीण स्वच्छता 345 131
नगर स्वच्छता 112 112
पीएमजीएसवाइ 3000 2866
(सभी आंकड़े करोड़ में)

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