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पानी ने थामी जिंदगी की रफ्तार, हाल-बेहाल

बेबसी. बाढ़पीड़ित इलाकों में लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, कम पड़ रहे राहत के काम भागलपुर गंगा का जल स्तर बढ़ता ही जा रहा है. गंगा खतरे के निशान से 101 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. हर चार से पांच घंटे पर एक सेंटीमीटर की वृद्धि हो रही […]

बेबसी. बाढ़पीड़ित इलाकों में लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, कम पड़ रहे राहत के काम

भागलपुर
गंगा का जल स्तर बढ़ता ही जा रहा है. गंगा खतरे के निशान से 101 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. हर चार से पांच घंटे पर एक सेंटीमीटर की वृद्धि हो रही है. पूर्वानुमान है कि शुक्रवार शाम चार बजे तक जल स्तर बढ़ कर 34.72 मीटर पर पहुंच सकता है. शहरी क्षेत्र में गंगा घाट किनारे के मोहल्ले की स्थिति भी बिगड़ती जा रही है. सबौर का राहत शिविर टापू बन गया है. शहर के माणिक सरकार घाट पर घर में चौकी पर सोयी 18 माह की बच्ची की लुढ़क कर पानी में गिरने से मौत हो गयी. रेलवे ट्रैक पर पानी का दबाव बढ़ता ही जा रहा है. ट्रेन की रफ्तार 30 से घटा कर 20 किलोमीटर प्रति घंटा कर दी गयी है.
कटिहार
कटिहार जिले में बाढ़ की स्थिति भयावह बन गयी है. गंगा गुरुवार को हाइ लेवल से ऊपर उठ चुकी है. उधर कोसी नदी देर रात तक हाइ लेवल पार कर जायेगी. यह नदी हाई लेवल से मात्र एक सेंटीमीटर नीचे बह रही है. कारी कोसी व बारंडी नदी के जल स्तर में भी लगातार हो रही वृद्धि से दर्जनों नये गांव में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है. गुरुवार को कोढ़ा प्रखंड के मधुरा पंचायत के कई गांव में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है.
खगड़िया
बुधवार की शाम सियादतपुर अगुवानी पंचायत के खनुआ राका गांव के निकट जीएन बांध में रिसाव होने की खबर आयी तो प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए देर रात तक में इसे बंद किया. गुरुवार की सुबह पांच बजे देवरी पंचायत के अररिया गांव के ठाकुरबाड़ी के निकट गंगा की पुरानी धारा माने जाने वाले स्थान पर जीएन बांध से करीब तीन सौ फुट दूर धरती से अचानक पानी निकलने लगा.
लखीसराय
मंगलवार को गंगा के जल स्तर में थोड़ी कमी के बाद लोगों ने राहत की सांस ली थी कि अब गंगा मइया लौट लायेगी. लेकिन बुधवार से गंगा के जल स्तर में तरंग की तरह वृद्धि होने लगी और गुरुवार दोपहर तक बड़हिया उच्च विद्यालय के सामने एनएच 80 पर गंगा नदी का पानी बहना शुरू कर दिया.
मुंगेर
जिले में बाढ़ पूरी तरह बेकाबू हो गया. जिले के 58 गांवों का एनएच से सड़क संपर्क भंग हो गया है. भागलपुर की ओर जाने वाले वाहनों को यहीं पर रोक दिया जा रहा है. वाहन खड़गपुर, तारापुर होते हुए सुलतानगंज जा रहा है. लोहची से सीधे वाहनों को गंगटा जंगल होते हुए जमुई भेजा जा रहा है. गंगटा मोड़ से संग्रामपुर होते हुए देवघर की ओर वाहन का परिचालन हो रहा है.
बेगूसराय
गंगा नदी में उफान के बाद बूढ़ी गंडक नदी ने भी रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया हैं. बूढ़ी गंडक नदी के जल स्तर में अप्रत्याशित वृद्धि के कारण प्रखंड क्षेत्र के सुदूर उत्तर दिशा में करीब नौ किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित सादपुर पूर्वी पंचायत में चार वार्ड के करीब दो सौ घर बाढ़ की चपेट में आ गया है. लोग घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करने लगे है. बाढ़पीडि़तों की मुश्किलें तब और बढ़ गयी जब एक सप्ताह बाद भी सरकार द्वारा राहत और बचाव का कोई कार्य शुरू नहीं किया जा सका है.
छपरा (सारण)
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों एवं गांवों कीसंख्या लगातार बढ़ रही है. वहीं
नये प्रखंड यथा जलालपुर, मांझी, दरियापुर समेत 370 गांवों के 1 लाख 20 हजार परिवार बाढ़ से प्रभावित है. सबसे ज्यादा प्रभावित सोनपुर के 40 हजार परिवारों के अलावे, छपरा सदर के 35 हजार, रिविलगंज के 9750, दिघवारा के 12 हजार 844 परिवारों के अलावे गड़खा के 14 हजार परिवार प्रभावित है.
आरा
गंगा और सोन नद का जल स्तर घटना शुरू हो गया. इससे सोन और गंगा का उफान नरम पड़ा है, फिर भी जिले के 364 गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है. यहीं नहीं 337 गांव टापू बन गये हैं. इन गांवों में प्रशासन द्वारा चलाये जा रहे राहत कार्य का अभी भी अधिकतर परिवारों को लाभ नहीं मिल पाया है. बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के लोगों राहत कार्य को लेकर भी हाहाकार मचाना शुरू कर दिया है. गुरुवार को भी तीन नयी पंचायतों में बाढ़ का पानी घुस गया.
गंगा अपार्टमेंट के ड्रेनेज की जांच के आदेश को फ्लैटधारियों ने कहा गलत
पटना. मैनपुरा के समीप जलजमाव झेल रहे गंगा अपार्टमेंट की महिलाओं ने गुरुवार को सीएम के काफिले को रोक कर जल निकासी का उपाय करने की गुहार लगायी. सीएम ने पूरे मामले की जानकारी लेने के बाद अपार्टमेंट की सीवरेज व्यवस्था को गलत ठहराया और इसकी जांच का जिम्मा डीएम को सौंपा.
उन्होंने कहा कि ड्रेनेज को सीधे गंगा में डालना बिल्कुल गलत है. गौरतलब है कि गंगा अपार्टमेंट के विभिन्न खंडों में बने 100 फ्लैटों में करीब 500 लोग रहते हैं. गंगा अपार्टमेंट का सीवरेज सीधे गंगा में गिराने के मामले की जांच के आदेश के बाद खुद को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गुरु कहने वाले एसके गांगुली नाराज दिखे.
वे अपने परिवार के साथ इस अपार्टमेंट में रहते हैं. उनका दावा है कि उन्होंने नीतीश कुमार को इंजीनियरिंग के शुरुआती दो साल पढ़ाया था. पटना साइंस कॉलेज से रिटायर्ड एसके गांगुली ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि अपार्टमेंट वालों के प्रति सरकार का यह रवैया नकारात्मक है. उन्हें मदद देने के बजाय परेशानी में डाला जा रहा है. उन्होंने बताया कि गंगा अपार्टमेंट का निर्माण 1981 में हुआ था. उस समय ऐसा कोई नियम नहीं था कि गंगा में सीवरेज गिराया जायेगा या नहीं. अपार्टमेंट का सीवरेज सरकारी सीवरेज में ही गिराया गया है.
शिविरों से हटाये गये मवेशी, ब्लीचिंग का किया गया छिड़काव बीएन कॉलेजिएट स्कूल में चल रहे राहत शिविर से गुरुवार को मवेशियों को हटाया गया. साथ ही संक्रमण से बचने के लिए ब्लीचिंग पाउडर का भी छिड़काव किया गया. बुधवार को पूरे परिसर में गाय-भैंस को बांध दिया गया था, जिससे पूरे परिसर में गंदगी और गोबर का अंबार लग गया था.
साथ ही जल निकासी की उचित व्यवस्था नहीं होने से जलजमाव की भी स्थिति उत्पन्न हो गयी थी, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ गया था. मवेशियों को बीएन कॉलेजिएट के बाहर टेंट में बांधने के निर्देश दिये गये हैं. जिला प्रशासन की ओर से चारे भी वितरित किये गये.
बख्तियारपुर
बाढ़पीड़ित बीरपुर गांव के 10 वर्षीय किशोर की मौत दस्त के कारण हो गयी. जानकारी के अनुसार बीरपुर के सावन राय के पुत्र मुन्ना कुमार की तबीयत बुधवार की रात को अचानक खराब हो गयी. ग्रामीणों ने इसकी सूचना बख्तियारपुर के अधिकारियों को दी. एनडीआरएफ की टीम बीरपुर पहुंची व किशोर को लेकर बख्तियारपुर पीएचसी पहुंचे. जहां मौत हो गयी.
मसौढ़ी
पुनपुन के उफान में बढ़ोतरी जारी है और गुरुवार की शाम तक यह खतरे के निशान 50.60 से बढ़ कर 52.80 तक पहुंच गयी. बाढ़ के पानी ने चारों तरफ तबाही मचा रखी है.
जहां पुनपुन प्रखंड के रूसुलपुर, सपहुआ, फहीमचक एवं फहीमपुर के सैकड़ों बाढ़पीड़ित लोग इसी दर्द का साथ जीवनयापन करने को लाचार हैं. गौरतलब है कि पुनपुन से बेलदारीचक गुजरनेवाली मुख्य सड़क में पड़नेवाले रूसुलपुर के समीप पुल की रेलिंग का भाग ही नजर आ रहा है. सपहुआ बाढ़ में जलमग्न हो चुका है.
पटना सिटी
दीदारगंज थाना क्षेत्र के कसारा गांव के समीप फोर लेन को गुरुवार को बाढ़पीड़ितों ने राहत व सहायता उपलब्ध कराने की मांग को लेकर जाम किया. हालांकि, लगभग आधा घंटा तक सड़क पर रहे बाढ़पीड़ितों को थानाध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह ने समझा -बुझा कर जाम हटवाया. बाढ़पीड़ितों का कहना था कि प्रशासन की ओर से किसी तरह की सुविधा मुहैया नहीं करायी जा रही है. गंगा व पुनपुन के उफान की विभीषिका में बेघर हुए लोगों ने सुरक्षित स्थानों पर पनाह तो ले ली है, लेकिन राहत की उम्मीद में टकटकी लगाये हैं.
प्रशासन की ओर से राहत का पैकेट दिया गया है. संगठन के लोग भी राहत का पैकेट लेकर पहुंच रहे और बाढ़पीड़ितों में बांट रहे है. इधर, गंगा के जल स्तर में कमी आने के बाद भी गंगा तट पर रहनेवालों की मुश्किलें कम नहीं हो पा रही हैं. एसडीओ योगेंद्र सिंह ने अधिकारियों के साथ बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों को भ्रमण कर राहत व बचाव कार्य का जायजा लिया. स्थिति यह है कि दीदारगंज से लेकर कच्ची दरगाह के बीच के ग्रामीण शिविर में रह रहे हैं.
बिहटा
बाढ़पीड़ितों की मदद के लिए प्रखंड के आनंदपुर में गुरुवार को जनप्रतिनिधियों ने अभियान चलाया. उपप्रमुख कुणाल कुमार के नेतृत्व में कई पंचायत समिति सदस्य आनंदपुर पहुंचे और बाढ़पीड़ितों के बीच राहत सामग्री का वितरण किया. गौरतलब है की इन पीड़ितों को सरकार द्वारा तीन दिनों तक खाना खिलाया गया. इसके बाद पीड़ितों को उसके हाल पर छोड़ दिया गया. लोगों की परेशानी की सूचना पर उपप्रमुख कुणाल कुमार ने अन्य प्रतिनिधियों से मदद मांगी. इसके बाद बाजार से चुड़ा -गुड़ मंगवाया गया और पीड़ितों के बीच वितरण किया गया. मौके पर पूजा भारती, संजना सिंह, रंजन कुमार, जय लाल यादव, मदन कुमार मस्ताना, बबलू सिंह आदि मौजूद थे.
फतुहा
पूर्व मंत्री सह आप नेत्री फतुहा के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के विभिन्न गांवों में दौरा कर बाढ़पीड़ितों का हालचाल जाना. इस दौरान सरकारी स्तर पर संतोषजनक व्यवस्था न देख कर उन्होंने कहा कि मैं आठ दिनों से बिहार के विभिन्न बाढ़ग्ररूत जिलों में भ्रमण कर रही हूं. बहुत ही गंभीर स्थिति है . सरकार बाढ़पीड़ितों को सुविधा मुहैया कराने में पूरी तरह विफल है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा बाढ़ से पूर्व कोई तैयारी नहीं की गयी थी. इस कारण रिलीफ कैंपों में सुविधा बहुत देरी से मिल रही है.
बाढ़
टाल क्षेत्र के महाने नदी के जल
स्तर में गुरुवार को अचानक हुए बढ़ोतरी को लेकर बाढ़ प्रखंड के सरकट्टी सैदपुर पंचायत के अटनावां गांव के पास तटबंध पर दबाव बढ़ गया है. इसके कारण तटबंध के
टूटने का खतरा मंडराने लगा है. बाढ़ के सीओ द्वारा कमजोर हो चुके तटबंध की मरम्मत को लेकर मिट्टी भरने का
काम गुरुवार को शुरू कर दिया गया है. महाने नदी का जल स्तर खतरे के निशान पर पहुंचने की सूचना है. इस तटबंध के आसपास अटनावां, सरकट्टी, डुमरिया, सैदपुर तथा एकडंगा गांव के लोग सहमे हुए हैं. जनवरों के लिए चारे का अभाव है. लोग पलायन करने को मजबूर हैं.
कई संगठन दिखा रहे दरियादिली, बाढ़ पीड़ितों को बांट रहे राहत सामग्री
पटना. राजधानी में बाढ़पीड़ितों के बीच में कई संगठनों द्वारा राहत वितरण का काम जारी है.आम आदमी पार्टी ने जहां नकटा दियारे के बाढ़ पीड़ितों के बीच सामग्री का वितरण किया गया तो कई अन्य संगठनों ने भी राहत कैंपों में राहत सामग्री बांटी. रोटरी पाटलिपुत्र की ओर से सुबह में लॉ कॉलेज के सामने रानी घाट स्थित बाढ़ पीड़ित दियारा क्षेत्र के विस्थापितों के बीच करीब 500 मवेशियों के लिए चारा और चोकर का वितरण किया गया. संगठन की ओर से सचिव समीर झुनझुनवाला ने बताया कि आदमियों के लिए तो अमूमन लोग आगे आते हैं लेकिन ऐसे मौके पर मवेशियों पर ध्यान नहीं रह जाता है.
यह काम आगे भी जारी रहेगा. मौके पर रोटेरियन नंदकिशोर अग्रवाल, रोटेरियन नवीन गुप्ता, रोटेरियन संदीप सर्राफ, रोटेरियन अशोक अग्रवाल आदि का मुख्य योगदान रहा. राजपूत महासभा द्वारा दानापुर दियारा के पानापुर गांव के फंसे लोगों के बीच राहत सामग्री बांटी गयी. महासभा ने चूड़ा, गुड़, बिस्कुट, माचिस, नमक और मोमबत्तियों का वितरण किया.
न पीने को पानी और न खाने को खाना, जीएं तो जीएं कैसे
हाजीपुर : जिले के कई गांव में बाढ़ राहत रिलीफ के नाम पर सिर्फ सांत्वना के अलावा कुछ नहीं मिल रहा है. पिछले 15 दिनों से तेरसिया पंचायत के सभी वार्डों की हालत काफी खराब है और वह कोई भी अधिकारी या नेता पूछने तक नहीं जा रहा है. लोगों का आरोप है कि जिला प्रशासन द्वारा तेरसिया पंचायत में बाढ़पीड़ितों को खाना-पीना तक उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है.
गंगा में उफान से जिले की कई पंचायतें जलमग्न हो गयी हैं . गंगा के दियारा क्षेत्र से लोग उपरवार के स्थान के लिए पलायन तो कर गये हैं, लेकिन अब भी कई पंचायतें बाढ़ में फंसी हुई हैं. जल संसाधन विभाग के अनुसार गंगा का जलस्तर पिछले रिकाॅर्ड से इस बार काफी ऊपर है. हालात से निबटने को विचार-विमर्श किया जा रहा है. गंगा किनारे बाढ़ ने विकराल रूप धारण कर लिया है और कई गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है. बाढ़ के पानी में डूबने से बच्चे और किशोरियों से सहित कई महिलाओं और बुजुर्गों की भी मौत का मामला सामने आया है.
गंगा के जल स्तर में लगातार वृद्धि होने से वैशाली जिले के कई प्रखंडों में बाढ़ का पानी घुस गया है. जानकारी के अनुसार राघोपुर प्रखंड की तेरसिया पंचायत पानी में डूब गयी है. साहपुर दीअर के ज्यादातर स्थानों पर तो करीब आठ फुट पानी लगा हुआ है और वार्ड संख्या सात में भी छह फुट से ज्यादा पानी देखा जा रहा है. केले की खेती के लिए मशहूर तेरसिया पंचायत के सभी वार्डों में केले के पेड़ पूरी तरह पानी में डूब गए हैं, जिससे लोगों में मायूसी भी देखने को मिलती है.
बक्सर. जिले में गंगा का रौद्र रूप जारी है. गंगा की उफनती लहरों की गोद में गुरुवार को दो बच्चे समा गये. वहीं, छह दिनों से लगातार बढ़ रहे गंगा के जल स्तर में वृद्धि गुरुवार से बंद हो गया. बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल विभाग के अनुसार सुबह आठ बजे तक गंगा का जल स्तर 61.26 मीटर दर्ज किया गया था, जो दोपहर तीन बजे तक भी स्थिर पाया गया.
बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता सिद्देश्वर साह ने बताया कि विभाग से सूचना मिली है कि बनारस में गंगा का जल स्थिर है. वहीं, इलाहाबाद में जल स्तर में 0.02 मीटर की रफ्तार से गिरावट शुरू हुई है. शुक्रवार से संभवत: जिले में गंगा के जल स्तर में गिरावट शुरू होगी.

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