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दवा माफिया के इशारे पर चलते हैं आइजीआइएमएस के डॉक्टर

पटना : आइजीआइएमएस अस्पताल में डॉक्टरों और दवा माफिया की मिलीभगत से कैंसर मरीजों को लूटे जाने के घिनौने खेल का पर्दाफाश हो गया है. औषधि विभाग की जांच में मामले के हर पहलू का खुलासा हो गया है. जांच रिपोर्ट मिलने के बाद विभाग ने आरोपित दोनों दुकानों का लाइसेंस रद्द कर उन्हें सील […]

पटना : आइजीआइएमएस अस्पताल में डॉक्टरों और दवा माफिया की मिलीभगत से कैंसर मरीजों को लूटे जाने के घिनौने खेल का पर्दाफाश हो गया है. औषधि विभाग की जांच में मामले के हर पहलू का खुलासा हो गया है. जांच रिपोर्ट मिलने के बाद विभाग ने आरोपित दोनों दुकानों का लाइसेंस रद्द कर उन्हें सील कर दिया है. साथ ही आइजीआइएमएस के कैंसर विभाग के दोषी डॉक्टरों पर कार्रवाई के लिए स्वास्थ्य विभाग को पत्र भी लिखा गया है.
ऐसे होती थी लूट
जांच में खुलासा हुआ है कि मोटे कमीशन के चक्कर में आइजीआइएमएस कैंसर विभाग के डॉक्टर एेसी दवाएं लिखते थे जो इन्हीं दो दुकानों पर मिलती थीं. डॉक्टर मेडियोन बायोटेक, आयोन हेल्थ केयर और जेनेक्स कंपनी की दवा खरीदने के लिए मरीजों से कहते थे.
दोनों दवा दुकानदार इन दवाओं को तय रेट से तीन-चार गुना अधिक कीमत पर बेचते थे. शिकायत के बाद औषधि विभाग की टीम ने 12 दिसंबर को इन दोनों दुकानों पर छापेमारी की थी. छापेमारी में मिले साक्ष्यों के आधार पर औषधि विभाग ने पूरे मामले की जांच के लिए टीम बनायी थी. इसी रिपोर्ट ने डॉक्टर व दवा दुकानदारों की मिलीभगत का खुलासा कर दिया है.
यह हुई है कार्रवाई
औषधि विभाग के अनुसार मेडिगो का लाइसेंस स्थायी रूप से जबकि ऋषि औषधि का लाइसेंस तीन महीने के लिए रद्द किया गया है. अधिकारियों ने बताया कि इन दुकानों को 12 अक्तूबर 2015 से लाइसेंस मिला है, जबकि यहां पिछले तीन साल से कैंसर की दवा बेची जा रही थी.
क्या कहते हैं अधिकारी
दुकान का लाइसेंस अक्तूबर 2015 का है जबकि तीन साल पहले से ही ये दवा बचने का कारोबार कर रहे थे. इन दुकानदारों का संबंध आइजीआइएमएस के डॉक्टरों के साथ रहता है. चिह्नित डॉक्टरों पर कार्रवाई करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेवार अधिकारियों को पत्र भेज दिया गया है.
विकास शिरोमणि, ड्रग इंस्पेक्टर, औषधि विभाग
औषधि निरीक्षक को नोटिस
पटना. कंपनियां राज्य में दवा आपूर्ति को लेकर तरह-तरह के हथकंड़े अपना रही है. इसी दिशा में राज्य के दो औषधि निरीक्षकों को हवाई यात्रा का लाभ देकर फरीदाबाद फैक्टरी की जांच कराने ले गयी है.
जैसे ही यह मामला सुर्खियों में आया इसकी बिना जांच कराये राज्य औषधि नियंत्रक रमेश कुमार ने यह मान लिया कि दोनों औषधि निरीक्षक अपने खर्च पर हवाई यात्रा किये होंगे. इस मामले में दोनों से स्पष्टीकरण की मांग की जायेगी. बिहार चिकित्सा सेवाएं एवं आधारभूत संरचना निगम लिमिटेड द्वारा दवाओं की खरीद के लिए टेंडर को अंतिम रूप दिया गया है. जिन दवा आपूर्ति कंपनियों द्वारा टेंडर दिया गया है उनके भौतिक सत्यापन के लिए दो-दो औषधि नियंत्रकों की सात टीमों को दूसरे शहरों में जांच के लिए भेजा गया है. सीवान जिला के दो औषधि निरीक्षक जीतेंद्र कुमार और अमल कुमार को फरीदाबाद स्थित फैक्टरी की जांच की जिम्मेवारी दी गयी है.

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