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शहाबुद्दीन की बेल के खिलाफ अब SC में 28 को हाेगी सुनवाई

नयी दिल्ली : पटनाहाई कोर्ट द्वारा राजद केपूर्वसांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन को हत्या के एक मामले में जमानत देने के खिलाफसुप्रीमकोर्ट में दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई दो दिनों के लिए टल गयी क्योंकि शहाबुद्दीन के लिए जिरह करने वाले मशहूर वकील राम जेठमलानी आज कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए. न्यायमूर्ति पीसी घोष और न्यायमूर्ति अमिताभ […]

नयी दिल्ली : पटनाहाई कोर्ट द्वारा राजद केपूर्वसांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन को हत्या के एक मामले में जमानत देने के खिलाफसुप्रीमकोर्ट में दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई दो दिनों के लिए टल गयी क्योंकि शहाबुद्दीन के लिए जिरह करने वाले मशहूर वकील राम जेठमलानी आज कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए. न्यायमूर्ति पीसी घोष और न्यायमूर्ति अमिताभ राय की पीठ ने मामले पर सुनवाई बुधवार के लिए तय की और कहा कि उसे दोनों पक्षों के बीच संतुलन बनाये रखना है.

शहाबुद्दीन का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वकील ने आग्रह किया कि मामले पर शुक्रवार को सुनवाई की जाए क्योंकि जेठमलानी मौजूद नहीं हैं और उपयुक्त बचाव के लिए मामले के बड़े केस रिकॉर्ड को पढ़ने की जरुरत है. पीठ ने कहा, ‘‘चूंकि मामले में आरोप-प्रत्यारोप लगाये जा रहे हैं इसलिए दोनों पक्षों की बात सुने बगैर हम आदेश पारित नहीं करेंगे. हम इसे बुधवार यानि 28 सितंबर के लिए तय कर रहे हैं.’

शहाबुद्दीन की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील शेखर नफाडे ने कहा कि उनका मुवक्किल मीडिया ट्रायल से पीड़ित है और उसे अपना मामला प्रस्तुत करने के लिए पर्याप्त अवसर दिया जाना चाहिए. शहाबुद्दीन को सात सितंबर को पटनाहाई कोर्ट ने जमानत दे दी थी. जिसके बाद दस सितंबर को वह भागलपुर जेल से रिहा हो गये थे. वह दर्जनों मामलों में 11 वर्ष से जेल में बंद थे.

इससे पहले पूर्व राजद सांसद मो शहाबुद्दीन को मिली जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दायर की गयी है. चंद्रकेश्वर प्रसाद की पत्नी कलावती देवी की ओर से दायर इस याचिका में पटना हाइकोर्ट के इस साल दो मार्च को आये फैसले को चुनौती दी गयी है, जिसमेंं कोर्ट ने शहाबुद्दीन को अपील लंबित रहने के दौरान स्थायीजमानत दी थी. उनकी याचिका पर संभवत: सोमवार को सुनवाई हुई.जिस मामले में शहाबुद्दीन को हाइकोर्ट से जमानत मिली है, उसमें उन्हें पहले ही उम्रकैद की सजा दी जा चुकी है.

कलावती के तीन युवा बेटों को बर्बर तरीके से मौत के घाट उतार दिया था. आरोप है कि महिला के दो बेटों की हत्या के चश्मदीद तीसरे बेटे को बाद में कथित तौर पर शहाबुद्दीन की शह पर मारा गया था. सीवान की सत्र अदालत ने दोहरे हत्याकांड में शहाबुद्दीन को फिरौती के लिए अपहरण व हत्या का दोषी पाकर उम्रकैद की सजा दी थी, जबकि चश्मदीद युवक की मौत के मामले में मुकदमा चल रहा है.

कलावती देवी ने अपनी याचिका में दावा किया है कि हाइकोर्ट ने इस तथ्य पर जरा भी गौर नहीं किया है कि शहाबुद्दीन एक खतरनाक अपराधी है, जिसे कानून की जरा भी परवाह नहीं है. इसमें आगे कहा गया है कि हत्या, अपहरण जैसे गंभीर अपराधों के दोषी को जमानत भी दे दी गयी, जबकि उसके खिलाफ कई और मामलों में मुकदमे अभी चल ही रहे हैं, यह तो न्याय का उपहास करने के समान है.

कलावती के पति चंद्रकेश्वर प्रसाद की ओर से दायर एक अलग याचिका में 19 सितंबर को शीर्ष अदालत ने शहाबुद्दीन से जवाब मांगा था. इसके अलावा पत्रकार राजदेव रंजन की पत्नी की ओर से दायर मामले को दिल्ली स्थानांतरित करने की याचिका की सुनवाई भी सुप्रीम कोर्ट कर रही है.
कलावती देवी ने बिहार सरकार द्वारा शीर्ष अदालत में दिये गये हलफनामे के हवाले से अपनी याचिका में कहा है कि नवंबर, 2014 तक शहाबुद्दीन के खिलाफ कम-से-कम 38 मामलों में मुकदमे लंबित थे. ये मामले हत्या, हत्या की कोशिश, खतरनाक हथियार से दंगा करना, वसूली करने समेत कई गंभीर अपराधों से संबंधित हैं. याचिका में दावा किया गया है कि दोहरे हत्याकांड मामले के लंबित रहने के दौरान जून, 2014 को रोशन की भी कथित तौर पर शहाबुद्दीन के कहने पर हत्या कर दी गयी.

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