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मुख्यमंत्री के सपनों पर ग्रहण

लापरवाही. सुखासन बना शौच मुक्त, भुगतान के लिए तरस रहे हैं ग्रामीण सुखासन पंचायत को खुले में शौचमुक्त करने की सीएम की घोषणा या यूं कहें कि सीएम के सपनों पर बिचौलिये की उगाही और अधिकारियों की लापरवाही से ग्रहण लग गया है. तभी तो 15 सौ शौचालय में से महज 94 लोगों को ही […]

लापरवाही. सुखासन बना शौच मुक्त, भुगतान के लिए तरस रहे हैं ग्रामीण

सुखासन पंचायत को खुले में शौचमुक्त करने की सीएम की घोषणा या यूं कहें कि सीएम के सपनों पर बिचौलिये की उगाही और अधिकारियों की लापरवाही से ग्रहण लग गया है. तभी तो 15 सौ शौचालय में से महज 94 लोगों को ही अनुदान का भुगतान हुआ है.
मधेपुरा : शहर से महज तीन किमी की दूरी पर सुखासन पंचायत है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने निश्चय यात्रा के क्रम में 16 दिसंबर 2016 को सात निश्चय योजना की प्रगति को धरातल पर उतरते देखने के लिए इस पंचायत के ही वार्ड सात को चुना. आनन-फानन में वार्ड नंबर सात में खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए अभियान चलाया गया और लगभग सवा सौ शौचालय बनकर तैयार हो गये. यात्रा के दौरान सीएम से ग्रामीणों ने पूरे पंचायत को खुले में शौचमुक्त करने की मांग रखी.
इसके फलस्वरूप 1677 शौचालय बनाने का लक्ष्य लिया गया. इसमें लगभग 15 सौ शौचालय बनने के बाद पूरे पंचायत को फरवरी में खुले से शौच मुक्त घोषित किया गया. इसके साथ ही शुरू हुआ शौचालय के लिए मिलने वाली राशि से उगाही की तैयारी. पंचायत के लोग खुले तौर पर कहते हैं 15 सौ शौचालय में से महज 94 लोगों को सरकार की ओर से देय अनुदान का भुगतान हुआ है. यह अपने आप में बताने के लिए काफी है कि इतने लंबे समय से शौचालय का भुगतान क्यों नहीं किया जा रहा है.
शौचालय बनाने के सात माह बाद भी शौचालय निर्माण की राशि ग्रामीणों को नहीं मिली है. राशि मिलने का आज भी 1400 से ज्यादा परिवार इंतजार कर रहे हैं. इस बाबत ग्रामीणों की शिकायत है की उनसे वसूली के लिए मामले को लटकाया जा रहा है ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन से इसकी शिकायत की और राशि दिलाने की मांग की. ग्रामीणों ने बताया कि मधेपुरा ब्लाॅक के ग्राम सुखासन में सितंबर 2016 से फरवरी 2017 तक शौचालय निर्माण का कार्य किया गया.
इस दौरान लोगों को शौचालय बनाने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि शौचालय पूरा होने पर 12 हजार रुपये मिलेगा. लोगों ने शौचालय तो बना लिया लेकिन अब तक राशि नहीं मिली है. गांव के 1400 से अधिक हितग्राहियों को शौचालय की राशि नहीं मिली है. ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि राशि नहीं मिलने पर आंदोलन करेंगे.
कहते हैं स्थानीय निवासी. वार्ड नंबर चार के सुमन झा, रेणु देवी, रीता देवी, महेंद्र यादव, काजल देवी, भूमि यादव, राजेंद्र यादव, बीबी शहनाज, अलाउद्दीन कहते है कि खुले में शौच मुक्त होने की खुशी कर्ज ने दबा रखी है. तारीख पर तारीख, मंथर गति से फाइल का दौरना तथा हर बार नई बात कहना आहत कर रहा है. कुछ इसी तरह की बातें वार्ड नंबर पांच की अर्चना देवी, बीबी बेचनी, अमीना खातून, रूबी खातून, जमीला खातून, शंभु प्रसाद सिंह, पूर्णिमा देवी ने कही. वार्ड नंबर छह के सुजीत कुमार सिंह, भावना कुमारी, गीता देवी, कुणाल भूषण, आशीष कुमार, किशोर कुमार सिंह ने कहा एक अच्छी सरकारी योजना चंद बिचौलियों की वजह से बदनाम हो रही है. जिस गांव में सीएम आकर गये हैं वहां की यह हालत है तो दूसरे गांवों की स्थिति का सहज अंदाज लगाया जा सकता है.
सत्यापन कर भुगतान करना है. मधेपुरा बीडीओ के प्रशिक्षण पर जाने व प्रभारी बीडीओ को केस का प्रभार नहीं मिलने का भी असर है. डीएम मो सोहैल द्वारा बीडीओ को कड़ा निर्देश दिया गया है कि हर हाल में लौट कर केस का प्रभार दें. प्रभार मिलते ही अविलंब सभी लाभुक का सत्यापन कर भुगतान करें. किसी भी किस्म की कोताही बरदाश्त नहीं की जायेगी. अगर कोई बिचौलिया गांव वालों को बरगला रहा है, तो इसकी सूचना दें. अविलंब प्राथमिकी दर्ज कर बिचौलिये को जेल भेजा जायेगा.
मिथिलेश कुमार, उपविकास आयुक्त, मधेपुरा.
निश्चय यात्रा के दौरान सीएम ने पहुंच कर लिया था विकास का जायजा
अपनी निश्चय यात्रा के क्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सुखासन आए थे यहां के वार्ड नंबर में सात निश्चय योजना के तहत आ रहे बदलाव का जायजा लिया ग्रामीणों द्वारा सभी वार्ड को खुले में शौच मुक्त करने की मांग रखी गयी मुख्यमंत्री ने भी मंच से ही आश्वासन दिया सुखासन गांव में भी इस बात को आंदोलन के तौर पर लेकर शौचालय निर्माण पूरा कर लिया लेकिन बात भुगतान पर आकर अटक गयी सरकारी फाइल चक्कर पर चक्कर बिचौलियों का बढ़ता दबदबा सब कुछ ग्रामीण झेल रहे है.
इस बाबत वार्ड नंबर चार की सीता देवी कहती है गाय बेचकर शौचालय का निर्माण कराया. इसे सम्मान से जोड़ कर काम किया. लेकिन आज कर्मियों की प्रताड़ना से परेशान है. सात माह से हर स्तर के कर्मी आते हैं शौचालय के साथ तसवीर लेते है पर पैसा नहीं मिल पा रहा है. जयमाला देवी कहती है. उनके दोनों पुत्र सुमन झा व विभूती झा को तैयार कर शौचालय तो बनवाया पर कर्ज का बढ़ता ब्याज से लगता है गांव ही छोड़ना पड़ेगा. कुछ इसी तरह की बातें रंजीत झा, ममत देवी कहती है.
ग्रामीण खुल कर कहते है. ब्लॉक को-आॅडिनेटर के बिचौलिये आकर लगातार परेशान करते है. वे कहते हैं जब तक प्रति शौचालय राशि नहीं दी जायेगी, भुगतान नहीं होने दिया जायेगा. सामाजिक कार्यकर्ता तथा ग्रामीण दिलीप कुमार सिंह कहते हैं सरकार के आने से पहले सारा नजारा बदला बदला था. सीएम गये लोगों ने भी नजर बदल लिया. लिहाजा ग्रामीण पीड़ित और प्रताड़ित है. कमोवेश सभी ने कर्ज लेकर या कोई व्यवस्था कर शौचालय बनाया है. सभी लाभुक गरीब है रोज कमाकर खाना है. ऐसे में ब्लॉक से लेकर समाहरणालय का चक्कर सबों को भारी पड़ रहा है.
सबसे अलग है वार्ड नंबर सात की हालत
मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर आनन फानन में अधिकारियों ने शौचालय बनाने के लिए ग्राम पंचायत को राशि हस्तांरित कर दिया. इस राशि से 77 लोगों को आठ हजार रूपये की दर से अग्रीम भी प्रदान किया गया. उस वार्ड में 126 लोगों ने शौचालय भी बनाया. लेकिन न तो 77 लोगों को शेष राशि दी जा रही है, न ही 49 लोगों को एक रुपये भी आज तक प्रदान किया गया. उलटे 29 फरवरी को डीडीसी द्वारा ग्रामीण विकास विभाग के सचिव को पत्र भेज कर उपलब्ध कराये गये राशि के समायोजन अथवा वसूली के संबंध में मार्ग दर्शन मांगा गया है. वार्ड की वार्ड सदस्य सारिका देवी ने डीएम को पत्र लिख कर आग्रह किया है कि शौच मुक्त होने के बाद भी लाभुक के खात में राशि नहीं आने से आक्रोश पनप रहा है. इस मामले को अविलंब निष्पादित करना आवश्यक है. डीएम को वार्ड नंबर चार की वार्ड सदस्य मंजरी देवी द्वारा भी इस आशय का पत्र लिखा गया है.

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