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आंखों को बचाएं धूप से

धूप में अल्ट्रावायलेट किरणों होती हैं, जो आंखों को सीधे नुकसान पहुंचाती हैं. इसके अलावा धूप-धूल के कारण भी आंखों में कंजंक्टिवाइटिस और एलर्जी जैसी समस्याएं होती हैं. इन समस्याओं से आंखों को बचाने के लिए सनग्लासेज पहनना बेहतर उपाय है. आंखों की सुरक्षा पर बता रहे हैं बेंगलुरु और पटना के विशेषज्ञ. धूप के […]

धूप में अल्ट्रावायलेट किरणों होती हैं, जो आंखों को सीधे नुकसान पहुंचाती हैं. इसके अलावा धूप-धूल के कारण भी आंखों में कंजंक्टिवाइटिस और एलर्जी जैसी समस्याएं होती हैं. इन समस्याओं से आंखों को बचाने के लिए सनग्लासेज पहनना बेहतर उपाय है. आंखों की सुरक्षा पर बता रहे हैं बेंगलुरु और पटना के विशेषज्ञ.
धूप के लिए डार्क टेंटेड ग्लास लगाएं
आंखों को साफ रखे. धूल आदि पड़ने पर जल्दी-से-जल्दी आंखों को ठंडे पानी से धोएं. गंदे हाथों से आंखों को न छुएं. धूप में बाहर निकलने पर चश्मा जरूर लगाएं. कोशिश यह हो कि धूप में जाने के पहले डार्क टेंटेड ग्लास का चश्मा लगाएं, जो डार्क ब्लू शेड में होते हैं. इससे आंखों पर तेज धूप का असर नहीं होता.
पावर ग्लास पहनते हैं, तो पहले टेस्ट कराएं
जो लोग पावरवाला चश्मा लगाते हैं, वे सनग्लास लेने से पहले आंखों का टेस्ट कराएं. कोशिश करें कि जिस पावर का चश्मा लगता है, उसी पावर का कस्टमाइज सनग्लास बनवाएं. वहीं जिनको कोई नंबर नहीं है, वे इस बात ख्याल रखें कि चश्मे में कोई डिफेक्ट न हो.
गरमी में यदि आंखों का खास ख्याल न रखा जाये, तो छोटी समस्याएं कब बड़ी हो जाती हैं, पता भी नहीं चलता. कई बार इन छोटी समस्याओं के बढ़ने से ऑपरेशन और कॉर्निया ट्रांसप्लांट तक की भी नौबत आ जाती है. इस मौसम में आंखों को परेशान करनेवाले प्रमुख रोग –
वायरल कंजंक्टिवाइटिस : इस मौसम में यह रोग बहुत आसानी से हो जाता है. इसमें आंखों से पानी, दर्द और रेडनेस जैसी समस्याएं होती हैं. लापरवाही से इसमें बैक्टीरियल इन्फेक्शन भी हो सकता है. यह एक संक्रामक रोग है, जो एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता है.
अत: यह रोग होने पर मरीज के कपड़े, बिस्तर और तौलिया अलग रखना चाहिए. एक भ्रम है कि मरीज की आंखों में देखने पर दूसरे को भी यह बीमारी हो सकती है, जो पूरी तरह गलत है.
एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस : इस मौसम में धूल और प्रदूषण की भी समस्या होती है. इनसे आंखों में एलर्जी हो सकती है. ऐसे में आंखों से पानी आता है और इचिंग होती है. यदि ये समस्याएं दो दिन से ज्यादा बनी रहती हैं, तो यह भी बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस में बदल सकता है.
ऐसे में डॉक्टर से सलाह लेकर एंटीबायोटिक आइ ड्रॉप का प्रयोग करें.आइ ड्राइनेस : यह रोग होने पर आंखों को जल्दी-जल्दी झपकाना पड़ता है. इसमें भी जलन और चुभन होती है. ऐसे में थोड़ी-थोड़ी देर में आंखों को ठंडे पानी से धोते रहना चाहिए. आंखों में अगर ऐसी दिक्कत होती है तो डॉक्टर की सलाह से रिफ्रेशस्टीयर्स या ल्यूब्रैक्स आइ ड्रॉप डाल सकते हैं. बिना डॉक्टर के परामर्श के ऐसा नहीं करना चाहिए अन्यथा परेशानी हो सकती है.

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