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रक्तचाप नॉर्मल रखती है यह मुद्रा

मां ओशो प्रिया संस्थापक, ओशोधारा सोनीपत उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन जीवनशैली और खान-पान से जुड़ा रोग है क्योंकि यह तनाव, मोटापा, हार्मोन परिवर्तन और अधिक नमक के इस्तेमाल से पैदा होता है. यह रोग रक्त के गाढ़ा हो जाने से होता है, जिसके कारण उसकी प्रवाह गति कम हो जाती है. प्रवाह कम होने से […]

मां ओशो प्रिया
संस्थापक, ओशोधारा
सोनीपत
उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन जीवनशैली और खान-पान से जुड़ा रोग है क्योंकि यह तनाव, मोटापा, हार्मोन परिवर्तन और अधिक नमक के इस्तेमाल से पैदा होता है. यह रोग रक्त के गाढ़ा हो जाने से होता है, जिसके कारण उसकी प्रवाह गति कम हो जाती है. प्रवाह कम होने से मस्तिष्क, हृदय और गुर्दे में ऑक्सीजन तथा अन्य जरूरी पौष्टिक पदार्थ नहीं पहुंच पाते हैं.
इससे इन्द्रियों के सामान्य कामकाज पर असर पड़ता है. हाइपरटेंशन का अर्थ है-रक्तचाप का 140/90 से अधिक होना. इससे नसें सख्त हो जाती हैं और कई अंगों पर सीधा प्रभाव पड़ता है. रोजमर्रा की आदतों और आहार-विहार को ठीक कर बिना किसी दवा या अभ्यास के भी इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है. हाइपरटेंशन को कंट्रोल करने के लिए हाइपरटेंशन मुद्रा का उपयोग किया जा सकता है. इस मुद्रा से उच्च रक्तचाप कुछ ही मिनट में सामान्य हो जाता है. अगर इसके साथ ज्ञान मुद्रा का भी अभ्यास कर लिया जाये, तो लाभ जल्दी मिलता है.
कैसे करें : दोनों हाथों की उंगलियों को फंसा कर इंटरलॉक बना लें. दाहिने हाथ की तर्जनी उंगली को मुट्ठी के साथ न बांध कर सीधा रखें. दाहिने हाथ के अंगूठे से बायें हाथ की तर्जनी की जड़ में दबाव बनाएं. बायें हाथ के अंगूठे को दायें हाथ के अंगूठे पर रखें.
कितनी देर करें : रोजाना एक घंटा करने से इस रोग में लाभ मिलेगा.

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