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सावधानी से मनाएं दीपावली, ओवर इटिंग से बचें, खाएं थोड़ा-थोड़ा

डाॅ छवि गोयल सीनियर डायटीशियन, अपोलो शूगर अस्पताल, दिल्ली डॉ शालीन शेखर जेनरल फिजिसियन, शेखर क्लीनिक, मेरठ दीपावली हर्षोल्लास का पर्व है, पर इसे सावधानीपूर्वक मनाना जरूरी है. अगर आप संयमित रूप से छोटी-छोटी सावधानियों का ख्याल रखेंगे, तो दीपावली आपके लिए गुलजार बनी रहेगी. इसमें खान-पान और आतिशबाजी दोनों शामिल हैं. इस बारे में […]

डाॅ छवि गोयल
सीनियर डायटीशियन, अपोलो शूगर अस्पताल, दिल्ली
डॉ शालीन शेखर
जेनरल फिजिसियन, शेखर क्लीनिक, मेरठ
दीपावली हर्षोल्लास का पर्व है, पर इसे सावधानीपूर्वक मनाना जरूरी है. अगर आप संयमित रूप से छोटी-छोटी सावधानियों का ख्याल रखेंगे, तो दीपावली आपके लिए गुलजार बनी रहेगी. इसमें खान-पान और आतिशबाजी दोनों शामिल हैं. इस बारे में बता रहे हैं हमारे विशेषज्ञ.
श्वसन संबंधी बीमारियों में खतरनाक
आतिशबाजी से हवा में आॅक्सीजन की कमी हो जाती है. वहीं, पार्टिकल्स और जहरीली गैसें श्वसन नली में सिकुड़न पैदा करती हैं. इससे डस्ट-एलर्जिक, ब्रोंकाइटिस और अस्थमा के मरीजों को सांस लेने में काफी दिक्कत होती है. दीवाली की आतिशबाजी के प्रदूषण का असर 3-4 दिन बाद तक रहता है. इससे बचने के लिए अस्थमा के मरीज फेस मास्क पहनकर ही बाहर निकलें.
हृदय रोगी भी रहें सतर्क
तेज आवाजवाले पटाखे और धुआं हृदय रोगियों की हृदय गति को असंतुलित करसकता है. पटाखों के धमाके उनमें हाइपरटेंशन बढ़ा सकते हैं, जिससे कार्डियक अरेस्ट और हार्ट फेल्योर का खतरा रहता है. अचानक फूटे बम से घबराहट हो सकती है, बीपी शूट कर सकता है या चक्कर आ सकता है.
बेहतर होगा कि हार्ट के मरीज दीवाली के दिन इयर प्लग लगाकर रहें. हेडफोन व मोबाइल की मदद से पसंदीदा संगीत सुने, जिससे कि मन भी बहला रहेगा और तेज धमाकों के आवाज से भी बच जायेंगे.
कान के पर्दे के लिए खतरा
धमाकेदार आवाज कान के इंटरनल नर्व्स या पर्दे को नुकसान पहुंचा सकते हैं. कई बार इससे सुनने की शक्ति भी चली जाती है. नवजात, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी है कि वे इनसे दूर रहें और खिड़कियां बंद करके रखें.
बर्न हो, तो लगाएं शहद
बर्न हो, तो सोफरामाइसिन या सिल्वारेक्स क्रीम लगाएं. प्रभावित जगह पर एलोवेरा जेल या शहद लगा सकते हैं. जलन ज्यादा हो, तो प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टर से मिलें. कई बम और अनार अचानक से फट जाते हैं. इससे डीप बर्न हो सकता है. स्किन की निचली लेयर भी जल सकती है. इसलिए दूरी बरकरार रखें.
डाॅ छवि गोयल
सीनियर डायटीशियन, अपोलो शूगर अस्पताल, दिल्ली
दीवाली के मौके पर रिच कैलोरी फूड या पकवान बनायी जाती हैं. ये खाने में भले ही स्वादिष्ट हों, पर सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं. ओवर इटिंग बदहजमी का कारण बन सकता है. हमारी पाचन क्रिया धीमी हो जाती है. थकान महसूस होने लगती है. डायबिटीज, हृदय रोग और हाइ ब्लड प्रेशर से जूझ रहे लोगों के लिए यह अधिक खतरनाक हो सकता है.
घी की जगह तिल के तेल का करें उपयोग
दीवाली के मौके पर घरों में तला हुआ आॅयली खाना बनता है. इसके लिए सरसों के तेल या घी की जगह आॅलिव और तिल या आॅलिव और सोयाबीन को मिलाकर उपयोग कर सकते हैं. दोपहर का खाना बनाने में उपयोग किया जानेवाला तेल, रात का खाना बनाने में न करें.
कोई भी तेल दो बार से ज्यादा उपयोग न करें, क्योंकि वह नुकसानदायक होता है. अगर संभव हो तो फ्राइड चीजों के बजाय ग्रिल्ड, रोस्टेड या एयरफ्रायर में बनी चीजें उपयोग करें. जहां तक मिठाइयों का सवाल है बाजार में शूगर फ्री और कम आॅयल की मिठाइयां मिल जाती हैं. दीवाली पर ऐसी मिठाइयां लेना बेहतर है. आप घर पर भी स्टीविया नेचुरल शूगर या शूगर फ्री मिठाइयां आसानी से बना सकते हैं.
इनसे न तो बदहजमी होने का डर रहेगा और न ही मोटापा बढ़ने का. हाइ कैलोरी फूड और अधिक शूगर की मिठाइयां खाने से प्यास लगना लाजिमी है. परेशानी से बचने के लिए जरूरी है भोजन में नमक की मात्रा भी कम रखी जाये. त्योहारों में सेंधा नमक का प्रयोग बेस्ट है, इसे शुद्ध भी माना जाता है. दिन में 8-10 गिलास पानी जरूर पीएं. नीबू पानी, नारियल पानी या फ्रूट जूस का उपयोग कर सकते हैं. ये सेहत के लिए अच्छे भी हैं और टेस्टी भी.
मल्ट्रीग्रेन फूड फायदेमंद : थोड़ी-सी सावधानी से जटिल बीमारी से ग्रस्त मरीज भी दीवाली में लुत्फ उठा सकते हैं. हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्राॅल का उतार-चढ़ाव झेल रहे डिस्लोपीटिनिया के मरीज या डायबेटिक मरीज तैलीय भोजन कम मात्रा में लें. सलाद का उपयोग ज्यादा करें.
घर में बनी पूरी-कचौरी में से दो पूरी स्वाद बदलने के लिए खाएं बाकी सादी रोटी खाएं. मल्टीग्रेन आटा यानी उसमें चना, जौ, मेथी आदि मिला हुआ आटा की पूरी फायदेमंद और टेस्टी होगी.
मैदा का उपयोग न करना ही ठीक रहेगा. भोजन में तली हुई और ग्रेवीवाली सब्जियां न बनाकर सूखी सब्जियां बनाएं. खाने के साथ वेजिटेबल रायता, दही और सलाद जरूर लें. इससे टमी फुलर का एहसास रहेगा और कोलेस्ट्राॅल कम बढ़ेगा. बैलेंस डाइट लें. एक या दो बार खाने की जगह 2-3 घंटे पर थोड़ा-थोड़ा खाएं.
संभलकर करें मुंह मीठा
दीवाली मिठाई के बिना अधूरी है. डिमांड अधिक होने के कारण कई दुकानदार इसमें मिलावट करते हैं, जो इन्फेक्शन, दस्त, अम्लता, हैजा, डायरिया का कारण बन सकता है. इससे इम्यूनिटी कम हो जाती है, शूगर लेवल भी बढ़ सकता है. स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार हर साल इस मौके पर अधिक दिन तक मिठाई खराब न हो, इसके लिए मिठाई निर्माता ‘फाॅर्मालिन’ रसायन मिला देते हैं, जो सीधा किडनी, हार्ट और फेफड़े को नुकसान पहुंचाता है. इससे अस्थमा का अटैक भी आ सकता है. गर्भवती महिलाओं को तो ऐसी मिठाइयां काफी प्रभावित करती हैं. उनका बच्चा विकलांग हो सकता है.
मिलावट की मिठाइयों से रहें दूर
दूध से बननेवाली मिठाइयों में सिंथेटिक दूध या नकली मावा का इस्तेमाल होता है. सिंथेटिक दूध में यूरिया, कपड़े धोने वाला सोडा, स्टार्च, फाॅर्मालिन जैसी चीजें मिलायी जाती हैं. नकली मावा में आलू, शकरकंद, सिंघाड़े का आटा, मैदा, मिल्क पाउडर जैसी चीजें मिलायी जाती हैं. इनमें स्टार्च, मस्टर्ड आॅयल, आयोडिन, मेथेनिल येलो और लेड क्रोमेड जैसे केमिकल मिलाये जाते हैं. चांदी वर्क भी एल्यूमीनियम व केमिकल से बनाये जाते हैं, जो शरीर के लिए घातक है.
कैसे करें मिलावट की पहचान
-मिलावटी खोया को हाथ में रगड़ने पर उसमें चिकनाहट नहीं होती
– सिंथेटिक दूध खराब गंधवाला और हल्के पीले रंग का होता है
– मिठाई हाथ में लेने पर रंग हाथ पर लग रहा हो
-मिठाई चेक करेेें कि उसमें फंगस न लगे हों.
अपनाएं बेहतर विकल्प
दीवाली में यह तय कर पाना बहुत ही मुश्किल है कि कौन-सा दुकानदार आपको शुद्ध मिठाई देगा. इसलिए बेहतर होगा कि मिठाइयां घर में बनाएं या प्रतिष्ठित दुकानदार से ही लें. कोशिश करें की जरूरत से ज्यादा मिठाई न खरीदें और दूध, खोआ या चाशनी में बननेवाली मिठाइयों का उपयोग न करें. बेसन के लड्डू, बालुशाही, नारियल के लड्डू या सोनपापड़ी खरीद सकते हैं. इनमें मिलावट की आशंका कम होती है.
बेहतर होगा ये ब्रांडेड कंपनी के और पैक्ड मिठाई खरीदें तथा एक्सपायरी डेट जरूर देख लें. खोया की मिठाई की जगह नारियल के लड्डू कम कैलोरी के और सुपाच्य होते हैं. दूध से बनी मिठाइयां पसंद हो, तो खोया या पनीर घर पर ही बनाएं. आप कंडेंस्ड मिल्क से मिठाइयां बना सकते हैं. इसका स्वाद भी खोया से बेहतर होता है. मिठाई की जगह चाॅकलेट से मुंह मीठा कराएं. डार्क चाॅकलेट दिल के रोगियों के लिए भी बेहतर माना जाता है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो कई रोगों से भी बचाते हैं.
बातचीत : रजनी अरोड़ा
दुर्घटना से बचाव
– पटाखों की चिंगारी से बचने के लिए चश्मा पहनें, पूरी बाजू के सूती और फिटिंग वस्त्र पहनें. पाॅलिस्टर, सिल्क या सिंथेटिक वस्त्र न पहने, जूता पहनने से पैर सुरक्षित रहेगा.
– पटाखे जलाने से पहले पास में बाल्टी भरकर पानी जरूर रखें.
– माचिस के बजाय मोमबत्ती या फुलझड़ी से पटाखे जलाएं.
– हाथ में पकड़कर कोई भी आतिशबाजी न करें.
– आतिशबाजी खुले और समतल एरिया में करें. आसपास सूखी घास, कागज, पत्ते, इलेक्ट्रिक वायर जैसी ज्वलनशील वस्तुएं न हों.
– पटाखे जलाने और रखने को स्थान में दूरी जरूरी है. जेब में या हाथ में पटाखा न रखें.
– अधजले खराब पटाखों को न छेड़ें. उस पर पानी डाल दें.
– पटाखे जलाने पर केमिकल हाथ-पैर में लगे रह जाते हैं. घर में जाते ही सबसे पहले साबुन से हाथ-पैर जरूर धोएं और कुल्ला जरूर करें. इससे दस्त, डिहाइड्रेशन और ड्राइनेस से बचे रहेंगे.
– जल जाने पर हल्दी में दूध या पानी मिलाकर पेस्ट बनाकर लगाएं. विनेगर में थोड़ा पानी मिलाकर डायल्यूट कर लगा सकते हैं. टूथपेस्ट या फाउंनटेन पेन की इंक भी लगा सकते हैं.
आतिशबाजी करें संभलकर
डॉ गौरव नाकरा
त्वचा रोग विशेषज्ञ, सेंटर फॉर स्किन, दिल्ली
स्किन एलर्जी का खतरा : केमिकल युक्त पटाखों का असर स्किन पर भी पड़ता है. सेंसेटिव स्किन पर पटाखों के पाउडर के कारण ड्राइनेस और लाल रंग के रैशेज आम है. एलर्जी अधिक होने पर जलन, खुजली, दर्द और सूजन हो सकता है. बचने के लिए दीवाली से पहले ही विटामिन-इ और विटामिन-ए युक्त क्रीम से स्किन को माॅश्चोराइज करना चाहिए. डिहाइड्रेशन से बचने के लिए 8-10 गिलास पानी जरूर पीएं. आतिशबाजी के बाद बच्चाें के हाथ-मुंह को धुलवाएं.
आंखों का रखें ख्याल : धुआं और जहरीली गैसों का असर आंखों पर भी पड़ता है. उनमें जलन, लाल होना, पानी आना, चुभन जैसी समस्याएं हो जाती हैं. रेटीना, काॅर्निया जैसे आंखों के इंटरनल पार्ट्स को इन्फेक्शन से बचाने के लिए जलन या खुजली होने पर आंखों को मीचने के बजाय साफ पानी से धोएं. पटाखे दूर से जलाएं. गलती से यदि आंखों में चिंगारी चली जाये, तो उसे ठंडे साफ पानी से धोएं और तुरंत आइ स्पेशलिस्ट से दिखाएं.
पानी का कर लें इंतजाम : दीवाली में पटाखों से बर्निंग के मामले सबसे अधिक होते हैं. फुलझड़ी, अनार से निकली चिंगारी से होनेवाला साॅफ्ट-टिश्यू बर्न सबसे अधिक है. इसमें तुरंत किये गये प्राथमिक उपचार से जलन को आराम मिलता है. साॅफ्ट-टिश्यू बर्न में जले हुए बाॅडी पार्ट को ठंडे पानी में तब तक डुबोकर रखें या रनिंग टैप के नीचे रखें.

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