ठाणे : मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) ने यहां वर्ष 2014 में हुए एक हादसे के दौरान अपने दो बच्चों को खो चुके जिले के एक दंपति को 13.2 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है. एमएसीटी के सदस्य और जिला न्यायाधीश एनएन श्रीमांगले ने बीमा कंपनी को देनदारी से मुक्त कर दिया. जिस वाहन से हादसा हुआ था, उस वाहन के मालिक को दावा किये जाने की तारीख से मुआवजे का 12 फीसदी ब्याज के साथ भुगतान करने का आदेश दिया. यह दावा 26 अप्रैल 2014 को किया गया था.
न्यायाधिकरण ने आदेश दिया कि दंपति को उनके दोनों बच्चों की मौत पर 6.60-6.60 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाये. दावेदार सुदाम काशीनाथ पारधी (35) और सोनाली सुदाम पारधी (30) ने न्यायाधिकरण को सूचित किया कि उनके दो बच्चे बेटी ज्योति (सात साल) और बेटा समीर (पांच साल) 19 अप्रैल, 2014 को ठाणे के उपनगर भिवंडी स्थित उमरखांड गांव के कटकरीपाड़ा में अपने घर के बाहर एक खुले अहाते में खेल रहे थे. उसी समय एक टेंपो उसके घर के नजदीक आया. जब वाहन को चावल की बोरियां उतारने के लिए पीछे किया गया, तब वह दीवार से जा टकराया. नतीजतन, टेंपो और दीवार दोनों बच्चों पर जा गिरे और दोनों बच्चों की मलबे में दब कर मौत हो गयी.
दावाकर्ता के वकील एसवाई तावड़े ने एमएसीटी को सूचना दी कि दोनों बच्चे पढने जाते थे. उन्होंने टेंपो मालिक गोपाल सीताराम घरत और रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के खिलाफ 10-10 लाख रुपये के मुआवजे के लिए दावा किया. एमएसीटी ने मामले की गंभीरता को समझते हुए बच्चों के माता-पिता के हित में फैसला सुनाते हुए गाड़ी के मालिक को मुआवजा देने का आदेश दिया है.