नयी दिल्लीः सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र की कंपनी इंफोसिस के चेयरमैन के रूप में नंदन नीलेकणि को बनाने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ने लगी है. हालांकि, नीलेकणि को आर्इटी कंपनी के चेयरमैन बनाने की अटकलों के बीच बुधवार को बाजार को सहारा भी मिला है. इंफोसिस के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) वी बालकृष्णन ने बुधवार को नंदन नीलेकणि को कंपनी का चेयरमैन बनाये जाने की वकालत की. उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति में अपने अनुभव और ग्राहकों की समझ की वजह से नीलेकणि संगठन की अगुआई करने के लिए एक ‘अच्छा चेहरा ‘ हो सकते हैं.
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बालकृष्णन की यह टिप्पणी ऐसे समय आयी है, जबकि कई हल्कों से यह मांग उठ रहा है कि नीलेकणि को इंफोसिस में वापस लाया जाना चाहिए. बालकृष्णन ने कहा कि मौजूदा स्थिति में निदेशक मंडल को नीलेकणि को वापस लाने पर विचार करना चाहिए और मौजूदा चेयरमैन आर शेषसायी तथा सह चेयरमैन रवि वेंकटेशन को इस्तीफा देना चाहिए. उन्होंने कहा कि नीलेकणि एक अच्छा चेहरा हैं. व्यक्तिगत रूप से मेरा विचार है कि उन्हें वापस लाया जाना चाहिए. उन्हें चेयरमैन के रूप में लाया जाना चाहिए और अच्छे सीईओ की पहचान की जानी चाहिए.
बालकृष्णन ने नीलेकणि के कार्यकाल की सराहना की
बालकृष्णन ने दलील दी कि इंफोसिस में नीलेकणि का कार्यकाल काफी अच्छा रहा था. उनका ग्राहकों के साथ अच्छा संपर्क था. उन्होंने कहा कि नीलेकणि इस समय वैश्विक और सम्मानित चेहरा हैं. इसके अलावा, वह आधार जैसी बड़ी सरकारी परियोजनाओं के लिए काम कर चुके हैं. हालांकि, बालकृष्णन ने स्पष्ट किया है कि इस समय नीलेकणि की वापसी सिर्फ अटकल है. इंफोसिस के पहले गैर संस्थापक सीईओ विशाल सिक्का ने पिछले सप्ताह अचानक इस्तीफा दे दिया था. इन्फोसिस के निदेशक मंडल ने इसके लिए कंपनी के सह संस्थापक एनआर नारायणमूर्ति को जिम्मेदार ठहराया था. कंपनी ने कहा है कि वह 31 मार्च, 2018 तक नये सीईओ की तलाश का काम पूरा कर लेगी.
इंफोसिस के प्रमोटर्स कभी भी एक-दूसरे से नहीं होते सहमत
इस बीच इंफोसिस में नेतृत्व संकट जारी रहने के बीच एक निवेशक सलाहकार कंपनी ने बुधवार को कहा कि उसके संस्थापक हमेशा एक दूसरे से सहमत नहीं होते. एनआर नारायणमूर्ति की कंपनी के प्रबंधन को लेकर की गयी सार्वजनिक आलोचना सारे प्रमोटर ग्रुप की धारणा का प्रतिनिधित्व करती हो, ऐसा जरूरी नहीं है. इंस्टीट्यूशनल इंवेंस्टर एडवाइजरी सर्विसेज (आईआईएएस) ने पिछले तीन साल में आलोचना का शिकार हुए प्रबंधन के कई प्रस्तावों पर प्रमोटरों के मतदान करने के तरीके का उदाहरण देते हुए कहा कि संस्थापकों ने कभी किसी प्रस्ताव के विरोध में मतदान नहीं किया.
नारायणमूर्ति ने कंपनी से अलग होकर जतायी नाराजगी
कंपनी ने कहा कि यदि किसी मामले में नारायणमूर्ति प्रबंधन के प्रस्ताव से संतुष्ट नहीं हुए, तो उन्होंने उससे अलग रहकर अपनी नाराजगी जतायी है. यह रिपोर्ट ऐसे समय में आयी है, जब मूर्ति समेत कंपनी के संस्थापकों और प्रबंधन के बीच कंपनी के कामकाज में कथित अनियमिता को लेकर विवाद बना हुआ है, जिसमें वरिष्ठ कार्यकारियों को उच्च भुगतान किया जाना शामिल है.