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गंगासागर हादसा : बोली ममता बनर्जी सरकार भगदड़ नहीं ठंड से मर गये लोग, PM मोदी की निंदा

राज्य सरकार ने सोमवार को इस बात को सिरे से खारिज कर दिया कि गंगासागर में छह तीर्थयात्रियों की मौत भगदड़ में हुई. राज्य सरकार का कहना है कि कोई भगदड़ नहीं मची. ठंड और बीमारी से कुछ तीर्थयात्रियों की मौत हुई. राज्य सरकार ने पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से मुआवजे की घोषणा पर […]

राज्य सरकार ने सोमवार को इस बात को सिरे से खारिज कर दिया कि गंगासागर में छह तीर्थयात्रियों की मौत भगदड़ में हुई. राज्य सरकार का कहना है कि कोई भगदड़ नहीं मची. ठंड और बीमारी से कुछ तीर्थयात्रियों की मौत हुई. राज्य सरकार ने पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से मुआवजे की घोषणा पर भी एतराज किया है. कहा कि पीएम को पहले सत्यता की जांच कर लेनी चाहिए. उधर, घटनास्थल पर मौजूद रहे श्रद्धालुओं का कहना है कि भगदड़ मची थी. महिलाएं अचेत होकर गिरीं. इनमें कई की मौत हुई.
कोलकाता: गंगासागर में तीर्थयात्रियों की मौत की घटना पर राज्य और केंद्र सरकार के बीच विवाद उत्पन्न हो गया है. तीर्थयात्रियों की मौत को राज्य सरकार ने भगदड़ से हुई मौत मानने से इनकार कर दिया है. राज्य सरकार का कहना है कि मौत भगदड़ के कारण नहीं, बल्कि ठंड तथा बीमारी के कारण हुई है. इसके साथ ही राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर सवाल उठाते हुए उन पर हमला बोला है. राज्य के शहरी विकास मामलों के मंत्री फिरहाद हकीम ने सोमवार को गंगासागर क्षेत्र का दौरा किया.
वहीं कोलकाता में राज्य के दमकल मामलों के मंत्री व कोलकाता के मेयर शोभन चटर्जी ने संवाददाता सम्मेलन कर कहा कि गंगासागर में भगदड़ की कोई घटना नहीं हुई थी. लॉट नंबर अाठ में शाम चार बजे से रात साढ़े आठ बजे तक ज्वार न होने के कारण स्टीमर नहीं चल रहे थे, जिससे तीर्थयात्रियों की संख्या काफी बढ़ रही थी. उस दिन काफी ठंड भी थी. इस कारण कुछ ‍लोगों की मौत हुई है, लेकिन जिस तरह से यह तसवीर पेश की गयी कि भगदड़ के कारण मौत हुई है, यह सच नहीं है. उन्होंने कहा कि घटनाएं घटती हैं, लेकिन बिना उन घटनाओं की सत्यता की जांच किये किसी तरह का बयान देना ठीक नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्यता की जांच किये बगैर बयानबाजी की. यह देश के संघीय ढांचे के खिलाफ है. यदि उन्हें कोई जानकारी लेनी थी, तो वे राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब कर सकते थे, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से कोई रिपोर्ट भी नहीं मांगी गयी है. यह पूछे जाने पर क्या इस बाबत वह केंद्र सरकार को पत्र देंगे, मेयर ने कहा कि इस संबंध में यदि कोई कदम उठाना है, तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कदम उठायेंगी. प्रधानमंत्री ने जानबूझ कर इस तरह का बयान दिया है, जो उचित नहीं है. केंद्र ने बगैर जानकारी लिए मृतकों के लिए मुआवजे की घोषणा की. यह सही नहीं है. लेकिन राज्य सरकार लोकतांत्रिक व्यवस्था व संघीय ढांचे में विश्वास करती है. प्रधानमंत्री का बयान दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि पहले गंगासागर के तीर्थयात्रियों को तीर्थयात्रा कर देना होता था, लेकिन ममता बनर्जी की सरकार के गठन के बाद तीर्थयात्रा कर हटा दिया गया तथा सुश्री बनर्जी के नेतृत्व में गंगासागर मेले की सुव्यवस्था की जा रही है. उन्होंने कहा कि इस मेले में बाहर से काफी लोग आते हैं तथा पुण्य स्नान करते हैं.

उन लोगों की देखभाल करना हमारा दायित्व है. मुख्यमंत्री की पहल पर ही 2008-09 में तीर्थयात्रियों के लिए पांच लाख रुपये की दुर्घटना बीमा करायी गयी थी. यह उस समय से दिया जा रहा है, जब सुश्री बनर्जी विपक्ष की नेता थी. अभी भी वह नियम लागू है. इधर भाजपा की ओर से तीर्थयात्रियों की मौत को भगदड़ से हुआ हादसा न मानकर उसे ठंड आदि के कारण हुआ बताने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की गयी है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा है कि राज्य सरकार ने भगदड़ न बताकर उसे ठंड से हुई मौत का मामला बताया है. यह सही नहीं है. यदि यह भगदड़ से मौत नहीं है तो फिर राज्य सरकार की ओर से मुआवजे की घोषणा क्यों की गयी? केंद्र सरकार ने बिल्कुल सही कदम उठाया है. गौरतलब है कि रविवार शाम को गंगासाकर के कचुबेड़िया में जेटी नंबर पांच के पास छह महिला तीर्थयात्रियों की मौत हो गयी थी.

कहीं सेवा का सागर, कहीं बूंद-बूंद के लिए लूटने को बेताबी
हम बूंद-बूंद तरसते रहे और वो सौ-सौ रुपये में बेचते रहे एक-एक बोतल. यह कैसी अजीब स्थिति है कहीं सेवा करने वालों का अथाह सागर और कहीं एक-एक बूंदे के लिए श्रद्धालुओं को लूटने के लिए बेताब लोग. शायद यहीं कारण है कि लोग गंगासागर आने में घबराते हैं. यह कहना है गीता राधव का. सही सलामत कोलकाता पहुंचने के लिए भगवान को लाख-लाख धन्यवाद देते हुए वह कहती हैं कि उस मंजर (भगदड़ की घटना) को वह कभी नहीं भूल सकती हैं. हरियाणा के गुड़गांव से गंगासागर स्नान करने आयीं गीता कहती हैं कि गंगासागर मेला में तो सबकुछ सही था. मकर संक्रांति के दिन (14 तारीख) स्नान के बाद उनके दल में शामिल 62 महिलाएं और पुरुष कचुबेड़िया लांच घाट पहुंचे. लांच घाट से करीब सात-आठ किलोमीटर पहले ही हमारी बस को रोक दिया गया. बस वाले ने बताया कि यहां से कचुबेड़िया घाट सात से आठ किलोमीटर दूर है. दल के लोग लाइन में लग गये.
एक तो भयंकर ठंड दूसरे बीना खाये-पीये हम सारी रात लाइन में लगे रहे. सुबह हुई तो हमने सोचा कुछ खा लेंगे लेकिन वहां तो पानी पर भी आफत आयी हुई थी. कुछ लोग नलों का पानी बोतलों में भर कर सौ-सौ रुपये में बेच रहे थे. दल की महिलाएं पानी के लिए तरस रही थीं लेकिन मजबूरन हमने एक बोतल वाले से 100 रुपये की एक बोतल खरीदी और सबने गले को तर किया. जैसे-तैसे रात, सुबह और अब दोपहर भी बीतने को आया लेकिन हमें क्या पता था कि इससे भी भयानक मंजर देखना तो अभी बाकी था. दोपहर (15 जनवरी) 2.30 से 3 बजे के मध्य हम लांच घाट के पास पहुंच चुके थे.तभी हमने कई महिलाओं को अचेत होकर गिरते देखा. इतने में भगदड़ मच गयी. लोग बदहवाश इधर-उधर भागने लगे. गीता कहती हैं कि उनके दल की भी कई महिलाओं को चोट आयी लेकिन किसी तरह उन्होंने अपने साथियों को भगदड़ से बाहर निकाला.

गीता कहती हैं कि गंगासागर में लाखों लोगों की व्यवस्था करने वाला प्रशासन लांच घाट पर आकर क्यों इतना फेल हो गया? सागरद्वीप में तीर्थयात्रियों के लिए स्वयं सेवी संस्थाओं ने बेहतरीन व्यवस्था की लेकिन सरकार वहां से मात्र 30 किलोमीटर दूर तीर्थयात्रियों के लिए पानी या यातायात की व्यवस्था क्यों नहीं कर पायी. यह समझ से परे है. गीता कहती हैं कि इस घटना के लिए सरकारी अमला ही दोषी है.

क्या कहते हैं तीर्थयात्री
पलभर में सब आंखों से ओझल हो गये : रामवती
सूजी हुई बूढ़ी आंखों से घूरती हर किसी में अपने खोये परिजनों को तलाशती रामवती सेन कहती हैं कि गंगासागर स्नान के बाद वह अपने परिवार के साथ कचुबेड़िया लांच घाट के पांच नंबर जेटी पर पहुंची थीं. लंबी लाइन के बाद उनका नंबर आया था. वह लांच की तरफ जा रही थीं, तभी अचानक भगदड़ मच गयी. लोग इधर-उधर भागने लगे. वह अपने परिवार से बिछड़ गयीं. रामवती केवल इतना बता पायीं कि वह उत्तर प्रदेश के बहरिया थाना के सियावल तहसील से गंगासागर आयी हैं. फिलहाल रामवती आउट्रमघाट स्थित गंगासागर तीर्थयात्री संयुक्त समिति के शिविर में अपने परिजनों का इंतजार कर रही हैं.
20 बार आयी, अब हिम्मत नहीं : माया तिवारी
अब तक मैं 20 बार गंगासागर स्नान कर चुकी हूं, लेकिन इस बार कचुबेड़िया की भगदड़ ने मन तोड़ दिया है. घटना के वक्त हम वहीं थे. काफी लोगों को दबते देखा. मेला में हुई परेशानी ने मन तोड़ दिया है. शायद मैं अब कभी गंगासागर नहीं आऊं. ये बातें उत्तर प्रदेश के महाराजगंज निवासी माया तिवारी ने कही. उन्होंने कहा कि एेसा लगता था कि मेले में प्रशासन है ही नहीं. उनके साथ आयी एक महिला का बैग चोर लेकर फरार हो गये. उसमें 20 हजार का सामान था.
मरने के लिए क्यों आयी हो : माला सिंह
बिना खाये-पिये घंटों लाइन में लगे रहने के कारण मेरी तबीयत खराब हो गयी थी. भगदड़ में मैं गिर गयी थी. मेरा पैर दबा हुआ था. मैंने एक पुलिसवाले से कहा कि मेरी सहायता करो. उसने मेरी सहायता तो नहीं की, उलटे उसने मुझसे कहा कि यहां मरने के लिए क्यों आयी हो. यह कहना है उत्तर प्रदेश के अमेठी की रहनेवाली माला सिंह का. स्नान के बाद आउटराम घाट स्थित अवध समाज के सेवा शिविर में पहुंचीं माला सिंह ने कहा कि बस जिंदा पहुंच गये. भगवान का शुक्र है.
बस जान नहीं निकली : भानमती देवी जायसवाल
गंगासागर हादसे के वाकये को याद करते हुए उत्तर प्रदेश के महाराजगंज के नवतनवा की रहनेवाली भानमती देवी जयसवाल कहती हैं कि उस घटना की यादें अभी भी उनकी आंखों के सामने घूम रही हैं. हर कोई अपनी जान बचाने के लिए भाग रहा था, लेकिन भागने की जल्दबाजी में लोग और दबते जा रहे थे. उनके परिचित ने उन्हें दबने से बचा लिया. शायद वह अपने बच्चों, पति और मां-बाप के पूर्ण प्रताप से बच गयी है.
भगवान के लिखे को कोई टाल नहीं सकता
सागरद्वीप के कचुबेड़िया में मची भगदड़ और उसमें मारे गये लोंगो के लिए जहां कुछ लोग सरकार को दोषी मान रहे हैं, वहीं कुछ लोग इसे नियति मान कर सहज ही स्वीकार कर रहे हैं. ऐसे ही लोगों में उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के राधवपुर गांव के निवासी संत रामजी महाराज भी हैं. वह कहते हैं कि मरनेवाले को कोई बचा नहीं सकता और जीनेवाले को कोई मार नहीं सकता. रामजी कहते हैं कि गंगासागर में मची भगदड़ के लिए किसी को दोषी कहना सही नहीं होगा, क्योंकि यह तो सब ऊपरवाले के हाथ में है.
फिरहाद के गंगासागर दौरे पर उठे सवाल
राज्य के शहरी विकास मामलों के मंत्री फिरहाद हकीम के अचानक गंगासागर के दौरे को लेकर विभिन्न तबकों में सवाल उठाये जा रहे हैं. गंगासागर में उनकी भूमिका पर विरोधी दलों ने निशाना साधा है. विरोधी दल पूछ रहे हैं कि यदि भगदड़ नहीं मची तो फिर मंत्री ने अचानक दौरा क्यों किया. यही नहीं, गंगासागर दौरे के दौरान हकीम मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर हादसे पर लीपा-पोती करते नजर आये. जहां घटनास्थल से लौटे तीर्थयात्री दुर्घटना की पुष्टि कर रहे थे, वहीं मंत्री राज्य सरकार के निर्देश के तहत अपनी बात करते नजर आये. गंगासागर में लगे सेवा शिविर के प्रतिनिधियों ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कहा कि चूंकी मुख्यमंत्री घटना को भगदड़ मानने से इनकार कर चुकी हैं, इसलिए गंगासागर मेले का काम देख रहे सरकारी अधिकारियों को मीिडया के सामने मुंह न खोलने की हिदायत दी गयी है. अब तक कचुबेड़िया में मरे लोगों, घायलों और लापता लोगों के बारे में सरकारी स्तर पर कोई जानकारी नहीं दी गयी है. उन्होंने कहा कि सोमवार को गंगासागर में मंत्री फिरहाद हकीम अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश देते नजर आये. घटना के बाद से दर्जनों लोग लापता हैं, लेकिन उनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल रही है.
उधर, जहां एक ओर गंगासागर गये तीर्थयात्रियों को वापस लौटने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा था. वहीं, हकीम स्पीडबोट पर सवार नजर आये. हकीम ने दुर्घटना को लेकर प्रधानमंत्री की भूमिका की जमकर निंदा की. उन्होंने कहा कि इस संबंध में यदि कोई कदम उठाना है, तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कदम उठायेंगी. प्रधानमंत्री ने जानबूझ कर इस तरह का बयान किया है, जो उचित नहीं है. केंद्र ने बगैर जानकारी लिए मृतकों के लिए मुआवजे की घोषणा की. उन्होंने कहा कि लॉट नंबर अाठ में शाम को चार बजे से साढ़े आठ बजे तक ज्वार न होने के कारण स्टीमर नहीं चल रहे थे, जिससे तीर्थयात्रियों की संख्या काफी बढ़ रही थी. उस दिन काफी ठंड भी थी. इस कारण कुछ ‍लोगों की मौत हुई है, लेकिन जिस तरह से यह तसवीर पेश की गयी कि भगदड़ के कारण मौत हुई है, यह सच नहीं है. उन्होंने कहा कि घटनाएं घटती हैं, लेकिन बिना उन घटनाओं की सत्यता की जांच किये किसी तरह का बयान देना ठीक नहीं है.
ये कैसी लड़ाई?
केंद्र और राज्य के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता हो सकती है, पर कचुबेड़िया में भगदड़ के बाद मारे गये तीर्थयात्रियों या घायलों को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए. केंद्र सरकार की ओर से मारे गये लोगों के परिजनों को मुआवजा राशि देने की घोषणा के बावजूद मृतकों या घायलों की सूची जारी न होना, अपने आप में अब कई सवाल खड़े कर रहा है, जबकि पीड़ित परिवारों के लोग अपनों का हाल जानने के लिए परेशान हैं. आउटराम घाट और गंगासागर में सेवा शिविर चलानेवाली संस्थाओं के कार्यकर्ताओं ने प्रभात खबर को फोन कर बताया कि उनके पास राज्य के विभिन्न जिलों से फोन आ रहे हैं, वे अपने परिजनों का हाल जानना चाहते हैं, पर जिला प्रशासन द्वारा मृतकों या घायलों की सूची न जारी होने से वे उन्हें सही सूचनाएं नहीं दे पा रहे हैं. गौरतलब है कि हादसे के बाद रविवार को देर शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना पर दुख जताया और मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की. उन्होंने इसके साथ ही मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख और घायलों को 50-50 हजार रुपये देने की घोषणा की.

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