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ईस्ट-वेस्ट मेट्रो की राह आसान

कोलकाता: ईस्ट-वेस्ट मेट्रो की पहली सुरंग ने 24 मई को हुगली नदी पार कर कोलकाता में प्रवेश किया था, जबकि चार दिन पहले 20 जून को दूसरी सुरंग भी नदी पार कर कोलकाता में प्रवेश कर गयी. ऐसा लगता है कि ईस्ट-वेस्ट मेट्रो परियोजना की दोनों सुरंगों के हुगली नदी पार करते ही इस परियोजना […]

कोलकाता: ईस्ट-वेस्ट मेट्रो की पहली सुरंग ने 24 मई को हुगली नदी पार कर कोलकाता में प्रवेश किया था, जबकि चार दिन पहले 20 जून को दूसरी सुरंग भी नदी पार कर कोलकाता में प्रवेश कर गयी. ऐसा लगता है कि ईस्ट-वेस्ट मेट्रो परियोजना की दोनों सुरंगों के हुगली नदी पार करते ही इस परियोजना की राह आसान हो गयी. केएमआरसीएल को आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआइ) से भी क्लीयरेंस प्राप्त हो गया. ईस्ट-वेस्ट मेट्रो परियोजना के इन्हीं उतार-चढ़ाव भरे लम्हों पर हमने परियोजना के मैनेजिंग डायरेक्टर सह पूर्व रेलवे के अपर महाप्रबंधक सतीश कुमार से विस्तार से बात की. प्रस्तुत है उसका अंश.
प्रश्न : न्यू महाकरण से एसप्लानेड मेट्रो स्टेशन तक सुरंग की खुदाई को लेकर काफी समस्याएं उत्पन्न हुई थीं. क्या तमाम समस्याएं सुलझा ली गयीं?
उत्तर : सबसे ज्यादा समस्या उत्पन्न हुई न्यू महाकरण स्टेशन को लेकर. यहां से गुजरनेवाली सुरंग के लिए हमें आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआइ) से क्लीयरेंस लेना पड़ा, जिसमें काफी समय लग गया. रक्षा मंत्रालय (यलो जोन) से भी मंजूरी मिलने में समय लगा. आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने एक सप्ताह पहले 18 जून को मंजूरी दे दी, जबकि मार्च 2017 में सेना से भी अनुमति प्राप्त हो गयी थी. ईस्ट-वेस्ट की एक सुरंग करेंसी भवन के 100 मीटर पास से होकर गुजर रही थी, इसे लेकर आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को आपत्ति थी. वर्तमान में सभी समस्याएं सुलझा ली गयी हैं और काम तेजी से चल रहा है. रेल मंत्री सुरंश प्रभु ने 11 जून को एस्पलानेड मेट्रो स्टेशन के कार्य का शुभारंभ कर दिया.
प्रश्न : एसप्लानेड मेट्रो स्टेशन एक ऐसा स्टेशन होगा, जहां से मेट्रो की तीन लाइनें गुजरेंगी?
उत्तर. एसप्लानेड मेट्रो स्टेशन का डायफार्म वॉल तैयार हो रही है. यह 150 फिट गहरी होगी. आधुनिक मशीनों द्वारा मिट्टी को बगैर खोदे स्टेशन का डायफॉर्म तैयार हो रहा है. दीवार की चौड़ाई भर मिट्टी खोद कर उसमें स्टील और फिर कंक्रीट भर कर ठोस दीवार तैयार की जा रही है. चारों तरफ कंक्रीट की दीवार तैयार होते ही चारों दीवारों के बीच की मिट्टी को खोद कर निकाल दिया जायेगा. उसके बाद ऊपर से फ्लोर तैयार होगा. चूकी एसप्लानेड स्टेशन पर तीन मेट्रो लाइनें मिलेंगी, लिहाजा यहां जमीन के अंदर पांच फ्लोर का मेट्रो स्टेशन तैयार हो रहा है. दो फ्लोर पर मेट्रो का प्लेटफॉर्म होगा, बाकी में टिकट काउंटर व दुकानें होंगी.
प्रश्न : पांच फ्लोरवाले मेट्रो स्टेशन पर ईस्ट-वेस्ट स्टेशन किस फ्लोर पर होगा?
उत्तर : नॉर्थ-साउथ मेट्रो स्टेशन के एसप्लानेड स्टेशन के नीचे से ईस्ट-वेस्ट मेट्रो की सुरंग गुजरेगी. यानी वर्तमान एसप्लानेड मेट्रो स्टेशन के नीचे दो फ्लोर का एक स्टेशन होगा. सबसे नीचले फ्लोर पर ईस्ट-वेस्ट मेट्रो लाइन की ट्रेनें गुजरेंगी, जबकि उसके ऊपरवाले फ्लोर पर बुकिंग काउंटर होगा. सबसे ऊपरवाले फ्लोर पर वर्तमान में स्थित नॉर्थ-साउथ मेट्रो स्टेशन (कोलकता मेट्रो) का एसप्लानेड स्टेशन है. इसी फ्लोर पर जोका-बीबीडी बाग मेट्रो लाइन, आकर नॉर्थ-साउथ मेट्रो से अटैच हो जायेगी. वर्तमान मेट्रो की गहराई के लेबल पर ही जोका-बीबीडी बाग मेट्रो की गहरायी है, जबकि ईस्ट-वेस्ट मेट्रो की गहराई एसप्लानेड स्टेशन पर 30 मीटर होगी.
प्रश्न : एस्पलानेड मट्रो स्टेशन का प्लेटफॉर्म कैसा होगा?
उत्तर : इस स्टेशन के प्लेटफॉर्म की लंबाई छह कोच की ट्रेनों के लेबल का बनायी जा रही है. ईस्ट-वेस्ट मेट्रो रैक के छह कोचों में एक बार में 2068 यात्री सफर कर सकेगें. यह ट्रेन इस तरह से डीजाइन की जा रही है कि ढाई मिनट के अंतराल पर चलायी जा सके. हमें आशा है कि 2020 तक ईस्ट-वेस्ट मेट्रो से रोजाना सात लाख यात्री सफर कर पायेंगे. बैंगलुरु के बीईएलएम को कोच बनाने का काम दिया गया है.
प्रश्न : सुरंग का काम कहां तक पूरा हो चुका है?
उत्तर : सुरंग का काम दोनों तरफ से चल रहा है. फूलबगान से एक एटीवीएम मशीन सुरंग की खुदाई करती हुई सियालदह स्टेशन तक आ गयी है. उधर, हावड़ा मैदान से शुरू अप व डाउन सुरंगों का काम हावड़ा स्टेशन होते हुए हुगली नदी पार कर कोलकाता में प्र‌वेश कर चुका है. पहली सुरंग का काम 24 मई को पूरा हुआ था, जबकि दूसरी सुरंग 20 जून को नदी पार कर कोलकाता में प्रवेश कर गयी है. चक्ररेल के पास पोर्ट ट्रस्ट की जमीन है, उसमें एक मेट्रो सुरंग का वैंटिलेशन बनाया जायेगा, जिससे की टनल में हवा का प्रवेश होता रहे.
प्रश्न : ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कॉरिडोर भारत ही नहीं, बल्कि पूरे साउथ एशिया के लिए एक नायाब तोहफा है. इस पर प्रकाश डालें?
उत्तर : ईस्ट-वेस्ट मेट्रो देश की पहली पब्लिक ट्रांसपोर्ट व्यवस्था है, जो नदी के इतने नीचे से होकर गुजरेगी. कोलकाता के लोगों के लिए यह गौरव की बात है कि जमीन के नीचे सबसे पहली मेट्रो कोलकाता में दौड़ी थी. अब नदी के नीचे मेट्रो ट्रेन दौड़ाने का श्रेय भी कोलकाता को मिलने जा रहा है. जहां तक मेरी जानकारी है, शायद भारत में अभी-तक ऐसी कोई सड़क सुरंग भी नहीं, जो किसी नदी के इतने नीचे से होकर गुजरी हो. यह अपने आप में नायाब है.
प्रश्न : सुरंग नदी के कितने नीचे है? इसकी चौड़ाई कितनी होगी?
उत्तर. ईस्ट-वेस्ट मेट्रो सुरंग, जो नदी के नीचे से होकर गुजरेगी, उसकी कुल लंबाई 520 मीटर होगी. इस स्थान पर सुरंग की गहराई हुगली नदी के पानी के लेबल से 80 फिट नीचे है. यानी जमीन की सतह से 40 फिट गहरा पानी है और उसके 40 फिट नीचे सुरंग होगी.
प्रश्न : लेकिन एक सवाल उठता है कि क्या हुगली नदी के ऊपर दिल्ली मेट्रो की तरह पुल नहीं बन सकता था ?
उत्तर : दिल्ली मेट्रो जमुना नदी को पार करती है, लेकिन उसके लिए नदी पर ऊपरी पुल बनया गया. जमुना नदी में जहाज नहीं चलते, लेकिन हुगली नदी के साथ यह समस्या थी कि इसमें बड़े-बड़े शीप चलते हैं, लिहाजा पिलर पर पुल बनाने से उनके परिचालन में बांधा आ रही थी. ऐसे में सोचा गया कि क्यों नहीं नदी के नीचे से सुरंग बना कर मेट्रो को पार कराया जाये.
प्रश्न : परियोजना के कब तक पूरी होने की संभावना है?
उत्तर : ईस्ट-वेस्ट मेट्रो परियोजना के प्रथम फेज सॉल्टलेक सेक्टर पांच से फूलबगान तक का काम 2018 जून तक पूरा होने की संभावना है. द्वितीय फेज हावड़ा मैदान से सियालदह स्टेशन तक है. हावड़ा मैदान से बोरिंग मशीन से शुरू हुई दोनों सुरंगों की खुदाई का कार्य हावड़ा स्टेशन होते हुए तीन दिन पहले 20 जुलाई को नदी पार कर गयी. वर्तमान में बोरिंग मशीन नदी पार कर सर्कुलर रेल की पटरियों के नीचे पहुंच चुकी है.
प्रश्न : सुनने में आ रहा है कि जब मेट्रो सुरंग ब्रेबर्न रोड फ्लाइओवर के नीचे से होकर गुजरेगी, तो कुछ दिनों के लिए इस मार्ग पर गाड़ियों का अवागमन बंद कर दिया जायेगा?
उत्तर. हम किसी भी प्रकार का खतरा मोल नहीं लेना चाहते हैं. सुरंग जिस दिन स्ट्रांड रोड पार कर ब्रेबर्न रोड में प्रवेश करेगी, उससे एक दिन पहले ही ब्रेबर्न रोड पर गाड़ियों का अवागमन बंद कर दिया जायेगा. सुरक्षा के मद्देनजर जुलाई के प्रथम सप्ताह में ऐसा किये जाने की संभावना है. ब्रेबर्न रोड में जहां लंबा फ्लाइओवर है, वहीं कई पुराने मकान भी हैं. केएमआसीएल द्वारा पहले ही ब्रेबर्न रोड पर पड़नेवाले मकानों की मरम्मत कराने के साथ वहां सुरक्षा के अन्य जरूरी कदम उठाने शुरू कर दिये गये हैं.

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