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ट्रेड यूनियनों ने पीएफ निकासी पर टीडीएस काटने पर उठाया सवाल, आदेश रोकने की मांग

नयी दिल्ली : ट्रेड यूनियनों ने समय से पहले पीएफ निकासी पर टीडीएस कटौती के सरकार के फैसले का विरोध करते हुए आज कहा कि वे श्रम मंत्रालय से कहेंगे कि इस बारे में ईपीएफओ के आदेश पर रोक लगाई जाए. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने इस बारे में कल एक आदेश जारी किया. […]

नयी दिल्ली : ट्रेड यूनियनों ने समय से पहले पीएफ निकासी पर टीडीएस कटौती के सरकार के फैसले का विरोध करते हुए आज कहा कि वे श्रम मंत्रालय से कहेंगे कि इस बारे में ईपीएफओ के आदेश पर रोक लगाई जाए.
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने इस बारे में कल एक आदेश जारी किया. इसके अनुसार वह एक जून से उन पीएफ निकासी की स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) करेगा जिनमें जुटाई गई राशि 30,000 रुपये से अधिक होगी और कर्मचारी ने पांच साल से कम समय तक काम किया हो.
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के सचिव डी एच सचदेव ने कहा, हम पीएफ निकासी पर टीडीएस कटौती के सरकार के कदम का विरोध करेंगे. हम इस आशय की अधिसूचना को स्थगित रखने के लिए श्रम मंत्रालय को पत्र लिखेंगे.
ईपीएफओ के एक अन्य ट्रस्टी तथा हिंद मजदूर सभा के सचिव ए डी नागपाल ने कहा, हमने पहले भी इस कदम का विरोध किया था. यहां तक कि ईपीएफओ ने 2,00,000 रुपये से कम संग्रह राशि वाले मामलों में छूट का प्रस्ताव किया था. पीएफ निकासी पर कर नहीं लगना चाहिए.
मौजूदा व्यवस्था के तहत पीएफ निकासी को उस समय कर योग्य आय माना जाता है जबकि अंशधारक की संचयी सेवा अवधि पांच साल से कम होती है.
वहीं एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, अब तक अनेक क्षेत्रीय प्रमुख उन पीएफ निकासी पर कर कटौती नहीं कर रहे थे जहां सेवा अवधि पांच साल से कम थी. इसके बाद इन मामलों में ईपीएफओ को अनेक फील्ड कार्यालयों में कर मांग के नोटिस मिले. अधिसूचना में 30,000 रुपये की सीमा निम्न आय वर्ग :सीमांत: को कुछ राहत देने के लिए रखी गई है.
अधिकारी ने कहा कि इससे पहले पांच साल से कम सेवाकाल के लिए छूट राशि का कोई स्लैब नहीं था, लेकिन अब अधिसूचना में इसका प्रावधान किया गया है.
सीटू के अध्यक्ष ए के पदमनाभन ने कहा, सरकार निवेशकों व उद्योगपतियों को अनेक तरह की छूट दे रही है तो यह कामगारों से अन्याय है. पीएफ निकासी पर कर लगाना गलत है.

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