रूस से आजाद हुआ खेरसन अब अलग मुसीबत में, कभी 2,80,000 लोगों का घर रहा, अब सड़कों पर पसरा है सन्नाटा

Russia Ukraine War: यूक्रेन का खेरसॉन शहर नौ महीने तक चले रूसी कब्जे के अंत और आजादी के तीन साल बाद भी मुसीबत में है. कभी खुशी से झूम उठने वाले शहर में खामोशी पसरी हुई है. ड्रोन के साए में रह रहे लोगों की परेशानी काफी बड़ी है.

By Anant Narayan Shukla | November 10, 2025 3:25 PM

Russia Ukraine War: यूक्रेन के खेरसॉन की अधिकांश सड़कों पर अब सन्नाटे पसरे हुए हैं. नौ महीने के रूसी कब्जे के खत्म होने और आजादी के तीन साल बीत जाने के बावजूद, वह शहर जो कभी उत्साह और उमंग से भर उठता था, अब शांत और सूना लग रहा है. 11 नवंबर 2022 को दक्षिणी बंदरगाह शहर के मुख्य चौराहे में बड़ी भीड़ जमा हुई थी लोग नीले-पीले झंडे लहरा रहे थे और उन सैनिकों को गले लगा रहे थे जिन्होंने महीनों की रूसी मौजूदगी के बाद उन्हें आजाद कराया था. तब लोगों को लगा था कि सबसे कठिन वक्त बीत गया. मगर युद्ध ने अपनी शक्ल बदल ली है.

द्नीप्रो नदी के उस पार से रूसी ताकतें फिर से हमले करती रहती हैं. अब ड्रोन शहर के ऊपर बार-बार मंडराते हैं. इसके बावजूद, जो लोग यहीं बने हुए हैं, वे कहते हैं कि सुनसान हालात में रहना भी रूस के कब्जे में रहने से बेहतर है. हाल ही में हॉलीवुड अभिनेत्री एंजेलिना जोली की यात्रा ने शहरवासियों का मनोबल बढ़ाया. तस्वीरों में उन्हें बेसमेंट और संकरी, जालदार गलियों में चलते देखा गया, ये जाल ड्रोन से सुरक्षा के लिए लगाए गए हैं.

शहर में पहले जैसी खुशहाली नहीं

जो शहर कभी लगभग 2,80,000 लोगों का घर था, अब पहले जैसी खुशहाली नहीं दिखती. रोजाना धमाकों की आवाजें सुनाई देती हैं. ओल्हा कोमानित्स्का (55) का छोटा-सा फूलों का स्टॉल खेरसॉन के बमग्रस्त इलाके में अलग-सा नजर आता है. पहले जहाँ भीड़ लगी रहती थी, अब स्टॉल पर मुश्किल से कुछ ग्राहक आते हैं. वह बताती हैं, “अब शायद ही कोई फूल लेता है. हम बस यहां किसी तरह गुजारा कर रहे हैं.”

करीब 30 साल तक कोमानित्स्का और उनके पति ने आसपास के ग्रामीण इलाकों में फूल उगाए. अब उनके ग्रीनहाउस टूट चुके हैं और वही छोटा स्टॉल उनकी मेहनत की आखिरी निशानी बचा है. वह अपने पति के शोक में सिर पर काला दुपट्टा बांधे बैठती हैं. पति की मौत दिल की बीमारी से हुई थी, पर उनका मानना है कि युद्ध ने उनकी सेहत बिगाड़ दी. पति के बारे में बोलते हुए उनकी आँखें नम हो जाती हैं.

दिन प्रति दिन इंपॉर्टेंट हो रहा ये क्षेत्र

मैक्स (28) सुरक्षा कारणों से पूरा नाम नहीं बताते. वह 310वीं मरीन इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर बटालियन में तैनात हैं. उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के क्षेत्र में ढाई साल काम किया है और यह क्षेत्र दिन-ब-दिन अधिक महत्वपूर्ण होता जा रहा है. उनका फ्रंट-लाइन पोस्ट किसी प्रोग्रामर के दफ्तर जैसा दिखता है: कंप्यूटर स्क्रीन पर नक्शे और डेटा की धाराएँ चल रही हैं और पड़ोसी यूनिटों की आवाजें लगातार सुनाई देती हैं. मैक्स कहते हैं कि उनका काम लक्ष्यों की पहचान करना और यह सुनिश्चित करना है कि वे अपने मिशन में विफल रहें, चाहे वे ड्रोन हों जो नागरिकों, बुनियादी संरचना, वाहनों या मानवीय सहायता काफिलों को निशाना बना रहे हों.

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