10,000 साल बाद फूटा ज्वालामुखी भारत में बढ़ा सकता है मुश्किल, मौसम विभाग ने जारी की चेतावनी
Ethiopia's volcano eruption ash could reach India: इथियोपिया में रविवार सुबह 10 हजार साल से निष्क्रिय पड़ा ज्वालामुखी फट पड़ा. इसका धुआं तकरीबन 15 किमी तक ऊंचा उठा. अब इसका धुआं भारत तक पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है. अरब क्षेत्र में इस घटना की वजह से काफी फ्लाइट्स कैंसिल कर दी गई हैं. भारत में भी मौसम विभाग ने एडवाइजरी जारी की है.
Ethiopia’s volcano eruption ash could reach India: इथियोपिया में 10,000 हजार साल से निष्क्रिय पड़ा ज्वालामुखी रविवार को फट गया. इसकी वजह से लगभग 15 किमी ऊंचा राख का गुबार उठा. तूलूज वोल्कैनिक ऐश एडवाइजरी सेंटर (VAAC) के अनुसार, यह विस्फोट रविवार सुबह 8:30 बजे यूटीसी के आसपास शुरू हुआ. अधिकारियों और एयरलाइंस द्वारा सुरक्षित हवाई यात्रा सुनिश्चित करने के लिए राख के बादल की कड़ी निगरानी जारी है. VAAC ने कहा कि विस्फोट अब रुक चुका है, लेकिन एक बड़ा राख का बादल उत्तरी भारत की ओर बढ़ रहा है, जिसके कारण मौसम एजेंसियाँ इसकी दिशा पर करीबी नजर रख रही हैं. यह ज्वालामुखी इथियोपिया के अफार क्षेत्र के एर्टा अले रेंज में स्थित है और यह आखिरी बार करीब 10,000-12,000 वर्ष पहले फटा था.
इंडिया मेट स्काई वेदर के अनुसार, इथियोपिया के हायली गुब्बी ज्वालामुखी से निकला राख का बादल मंगलवार, 25 नवंबर की शाम तक पश्चिमी भारत के कुछ हिस्सों में प्रवेश कर सकता है और फिर कई उत्तरी राज्यों की ओर बढ़ेगा. मौसम सेवा ने कहा, “राख का बादल गुजरात (पश्चिमी भाग) में प्रवेश करने वाला है और रात 10 बजे तक राजस्थान, उत्तर-पश्चिम महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब की ओर बढ़ेगा. बाद में यह हिमालय और अन्य क्षेत्रों को प्रभावित करेगा.”
IndiaMetSky Weather ने दी चेतावनी
ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान वायुमंडल में उठी यह राख उत्तरी भारत की ओर 100–120 किमी/घंटा की रफ्तार से बढ़ रही है. यह 15,000–25,000 फीट से लेकर 45,000 फीट की ऊँचाई पर यात्रा कर रही है और इसमें ज्वालामुखीय राख, सल्फर डाइऑक्साइड, और काँच व चट्टान के छोटे-छोटे कण शामिल हैं. IndiaMetSky Weather ने चेतावनी दी है कि राख का यह बादल आकाश को सामान्य से अधिक धुँधला और गहरा दिखा सकता है तथा हवाई यातायात को प्रभावित कर सकता है, जिससे उड़ानों में देरी और लंबे मार्ग लेने की स्थिति बन सकती है.
उनके बयान में कहा गया कि राख का बादल उत्तर भारत की ओर बढ़ रहा है. हायली गुब्बी ज्वालामुखी क्षेत्र से लेकर गुजरात तक फैली एक बड़ी राख की पट्टी स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है. विस्फोट अब रुक चुका है, लेकिन वायुमंडल में छोड़ी गई यह राख उत्तरी भारत की ओर 100–120 किमी/घंटा की गति से बढ़ रही है.” इंडियामेटस्काई वेदर के अनुसार, राख का बादल गुजरात (पश्चिमी भाग) में प्रवेश करने वाला है और राजस्थान, उत्तर-पश्चिम महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब की ओर रात 10 बजे तक बढ़ेगा और बाद में हिमालय तथा अन्य क्षेत्रों को प्रभावित करेगा. यह आसमान को सामान्य से अधिक गहरा और धुँधला कर देगा और लोग यदि संभव हो तो हमें आसमान की तस्वीरें भेज सकते हैं.
क्यों हुआ हायली गुब्बी में विस्फोट?
हायली गुब्बी ज्वालामुखी एक शील्ड टाइप है, इसमें हुए अचानक विस्फोट का मुख्य कारण धरती की गहराई में मौजूद मैग्मा का दबाव बनना माना जा रहा है. अफार रिफ्ट क्षेत्र लगातार फैल रहा है, जिससे जमीन के नीचे दरारें चौड़ी होती रहती हैं और मैग्मा को सतह की ओर उठने का रास्ता मिलता है. लंबे समय से निष्क्रिय पड़े इस ज्वालामुखी में मैग्मा धीरे-धीरे जमा होता रहा, और जब यह दबाव सहन करने की सीमा से आगे बढ़ गया, तो विस्फोट के रूप में बाहर निकल गया. प्लेटों की खिंचाव वाली गति, गैसों का बढ़ता दबाव और भूमिगत संरचना में बदलाव मिलकर इस अचानक हुए फटाव की वजह बने. विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना रिफ्ट जोन की गहराई में चल रही टेक्टोनिक गतिविधियों का संकेत है, जो भविष्य में और बदलावों का कारण बन सकती हैं.
राख लाल सागर पार कर ओमान की ओर बढ़ी
रविवार की अचानक हुई इस गतिविधि से उठा विशाल राख का बादल लाल सागर को पार करते हुए ओमान और यमन की दिशा में बढ़ा और फिर पूर्व की ओर मुड़ गया. विस्फोट के बाद अरब प्रायद्वीप के कुछ हिस्सों में ज्वालामुखीय राख की गतिविधि दर्ज की गई है. मध्य पूर्व से गुजरने वाली उड़ानों के लिए एयरलाइनों ने सावधानी संबंधी नोटिस जारी किए हैं, हालांकि भारत की ओर बढ़ती राख के बादल के संबंध में VAAC की ओर से अब तक कोई चेतावनी जारी नहीं की गई है.
एएनआई के इनपुट के साथ.
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