डोनाल्ड ट्रंप ने जिस मामले को बताया ‘जीवन-मौत’ से जुड़ा, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उस पर उठाए गंभीर सवाल, क्या लगेगा झटका?

Donald Trump Global Tariff Supreme Court Hearing: अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए वैश्विक टैरिफ (शुल्क) पर हुई सुनवाई के दौरान न्यायाधीशों ने इस फैसले की संवैधानिकता पर संदेह जताया. ट्रंप ने इसे जीवन और मौत से जुड़ा मामला बताया. न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक सुनवाई के दौरान यह सवाल भी उठा कि क्या किसी राष्ट्रपति को आपातकालीन कानून के नाम पर कांग्रेस के कराधान (टैक्स लगाने) के अधिकार को दरकिनार करने का हक है?

By Anant Narayan Shukla | November 6, 2025 7:25 AM

Donald Trump Global Tariff Supreme Court Hearing: अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए वैश्विक टैरिफ (शुल्क) को लेकर अपनी सुनवाई शुरू कर दी है. यह मामला पिछले कई वर्षों में सुप्रीम कोर्ट में पहुंचने वाले सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक मामलों में से एक माना जा रहा है. इस दौरान जज यह तय करेंगे कि ट्रंप ने जब अधिकांश वैश्विक व्यापारिक साझेदारों पर व्यापक टैरिफ लगाए थे, तो क्या उन्होंने ऐसा कानूनन किया था या नहीं. ट्रंप के वकील को इस मामले में एमी कोनी बैरेट, नील गोरसच और ब्रेट कैवनॉ जैसे जजों से से कड़ी आपत्तियों का सामना करना पड़ा. बुधवार की सुनवाई में जजों ने सरकार के तर्कों पर कड़े सवाल उठाए. मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स, एमी कोनी बैरेट और नील गोरसच के सवालों से यह संकेत मिला कि वे भी ट्रंप प्रशासन के पक्ष में नहीं हैं. सभी तीनों उदारवादी जजों ने भी इस टैरिफ नीति पर गहरी शंका जताई.

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए वैश्विक टैरिफ (शुल्क) पर हुई सुनवाई के दौरान न्यायाधीशों ने इस फैसले की संवैधानिकता पर संदेह जताया. न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक सुनवाई के दौरान यह सवाल भी उठा कि क्या किसी राष्ट्रपति को आपातकालीन कानून के नाम पर कांग्रेस के कराधान (टैक्स लगाने) के अधिकार को दरकिनार करने का हक है? जस्टिस एमी कोनी बैरेट ने ट्रंप प्रशासन द्वारा संघीय कानून का उपयोग करके ऊंचे टैरिफ लगाने पर सवाल उठाया और पूछा कि सभी देशों पर पारस्परिक टैरिफ लगाने की जरूरत क्यों पड़ी. ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट भी इस सुनवाई में मौजूद थे. उन्होंने इससे पहले कहा था कि वे सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में इसलिए शामिल होंगे ताकि यह जताया जा सके कि यह एक आर्थिक आपातस्थिति है.

पूरा मामला क्या है?

ट्रंप ने अप्रैल में अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्तियां अधिनियम (IEEPA) के तहत राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की थी और लगभग सभी व्यापारिक साझेदारों पर टैरिफ (आयात शुल्क) लगा दिए थे. इससे पहले फरवरी में, उन्होंने कनाडा, चीन और मैक्सिको से आयात होने वाले फेंटानिल पर भी शुल्क लगाया था. ट्रंप ने दावा किया था कि यह कदम विदेशी नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है. इस केस की सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट यह तय कर सकता है कि राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों की सीमाएं क्या हैं. अगर कोर्ट ने इन टैरिफों को अवैध ठहराया, तो यह ट्रंप की आर्थिक नीतियों और चुनावी रणनीति दोनों के लिए बड़ा झटका होगा.

निचली अदालतों में ट्रंप को लगा है झटका

दो निचली अदालतों और एक संघीय अपीलीय अदालत ने पहले ही यह फैसला दिया था कि IEEPA राष्ट्रपति को असीमित टैरिफ लगाने का अधिकार नहीं देता. अमेरिकी संविधान के अनुसार, टैरिफ लगाने की शक्ति कांग्रेस के पास होती है, राष्ट्रपति के पास नहीं. इसलिए अदालतों ने ट्रंप के इस फैसले को अमान्य करार दिया था. 

व्हाइट हाउस ने बताया सभी तरह के नतीजों के लिए तैयार

मंगलवार को व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि प्रशासन सभी संभावित नतीजों के लिए तैयार है, लेकिन उसे अपने कानूनी पक्ष पर पूरा भरोसा है. उन्होंने कहा, “व्हाइट हाउस हमेशा प्लान-बी के लिए तैयार रहता है. राष्ट्रपति के सलाहकारों के लिए यह समझदारी होगी कि वे हर स्थिति के लिए तैयारी रखें. हमें राष्ट्रपति और उनकी टीम के कानूनी तर्कों और इस मामले में कानून के आधार पर 100% भरोसा है. हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट सही फैसला करेगा.”

लेविट ने आगे कहा कि यह मामला सिर्फ राष्ट्रपति ट्रंप तक सीमित नहीं है. उन्होंने कहा, “यह केस केवल डोनाल्ड ट्रंप के बारे में नहीं है, बल्कि यह भविष्य के राष्ट्रपतियों और आने वाले प्रशासन द्वारा आपातकालीन अधिकारों के तहत टैरिफ लगाने की प्रक्रिया से जुड़ा है.” लेविट ने जोड़ा कि ट्रंप आर्थिक सुरक्षा को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ मानते हैं. वहीं सॉलिसिटर जनरल डी. जॉन सॉयर ने कहा कि राष्ट्रपति को राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान व्यापक आर्थिक कदम उठाने का संवैधानिक अधिकार है. उन्होंने तर्क दिया कि यह कदम विदेश नीति का हिस्सा है, जिसमें अदालत को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.

ट्रंप ने बताया जीवन और मौत का मामला

सुनवाई से पहले ट्रंप ने इस मामले को देश के भविष्य के लिए निर्णायक बताया. उन्होंने ट्रुथ सोशल पर लिखा, “कल का अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट केस हमारे देश के लिए सचमुच जीवन या मृत्यु का मामला है. अगर हम जीतते हैं, तो हमारे पास जबरदस्त लेकिन न्यायसंगत वित्तीय और राष्ट्रीय सुरक्षा होगी. अगर हारते हैं, तो हम उन देशों के सामने लगभग असहाय होंगे जो वर्षों से हमारा फायदा उठाते आ रहे हैं. हमारा शेयर बाजार लगातार रिकॉर्ड ऊंचाइयों पर है और हमारा देश आज पहले से कहीं ज्यादा सम्मानित है. इसका बड़ा हिस्सा उन आर्थिक सुरक्षा उपायों का परिणाम है जो हमने टैरिफ और उनसे जुड़ी डील्स के जरिए हासिल किए हैं.” 

मामला तय करेगा ट्रंप का भविष्य

ऐसे में यह मामला न केवल ट्रंप की नीतियों का भविष्य तय करेगा, बल्कि यह भी स्पष्ट करेगा कि अमेरिकी राष्ट्रपति के संवैधानिक अधिकारों की सीमाएं क्या हैं. मुख्य सवाल यही है कि क्या कोई राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल के नाम पर एक वैश्विक व्यापार युद्ध छेड़ सकता है? वहीं सुप्रीम कोर्ट में यह सुनवाई लगभग दो घंटे चली, जिसमें हर जज ने इस अहम मुद्दे पर तीखे सवाल पूछे. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि फैसला कब सुनाया जाएगा. ऐसे हाई-प्रोफाइल मामलों में आम तौर पर कई महीने लग जाते हैं, लेकिन अगर कोर्ट चाहे तो फैसला जल्दी भी दे सकती है.

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