अशगाबात: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दस अरब अमेरिकी डालर लागत वाली तापी पाइपलाइन परियोजना के जल्द कार्यान्वयन की हिमायत करते हुए आज तुर्कमेनिस्तान के उर्जा क्षेत्र में दीर्घकालिक निवेश को लेकर भारत की रुचि प्रकट की. दोनों देशों ने सात महत्वपूर्ण समझौतों पर दस्तखत किये और क्षेत्र में आतंकवाद से मिलकर लडने का संकल्प किया.
मोदी और तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति गुरबांगूली बर्दीमुखम्मदोव के साथ विस्तृत वार्ता के दौरान दोनों पक्षों ने आतंकवाद, संगठित अपराध और मादक द्रव्यों की तस्करी से निपटने के प्रयास तेज करने का फैसला किया.
प्रधानमंत्री ने आतंकवाद को क्षेत्र के लिए बडा खतरा बताते हुए कहा कि अफगानिस्तान एवं मध्य एशिया में शांति और स्थिरता को लेकर हमारे साझा हित हैं. अपने क्षेत्र में आतंकवाद और उग्रवाद से निपटने का हमारा साझा उद्देश्य से भी है. दोनों पक्षों के बीच बातचीत के बाद सात समझौतों पर दस्तखत किये गये. इनमें रक्षा और पर्यटन क्षेत्र में सहयोग से जुडे महत्वपूर्ण समझौते भी शामिल हैं.
तापी (तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत) परियोजना को दोनों देशों के बीच संबंधों की महत्वपूर्ण पहल करार देते हुए मोदी ने कहा कि पाइपलाइन के लिए ईरान के जरिए भूमि एवं समुद्री मार्ग की संभावना तलाशनी चाहिए.परियोजना का लक्ष्य तुर्कमेनिस्तान से अफगानिस्तान के रास्ते भारत और पाकिस्तान को गैस आपूर्ति करना है. दुनिया में प्राकृतिक गैस भंडार के लिहाज से तुर्कमेनिस्तान चौथा सबसे बडा देश है.
दोनों देशों की ओर से जारी संयुक्त बयान में तापी परियोजना को भारत और तुर्कमेनिस्तान के बीच आर्थिक संबंधों का ह्यमहत्वपूर्ण स्तंभह्ण करार दिया गया. बयान में कहा गया कि दोनों देशों के नेताओं ने माना कि इस परियोजना का कार्यान्वयन व्यापार का कायापलट कर देगा. इसमें कहा गया कि दोनों नेताओं ने तय किया कि इस महत्वपूर्ण क्षेत्रीय परियोजना के जल्द कार्यान्वयन के कदम उठाये जाएं.
दोनों नेताओं ने इस सामरिक परियोजना के समय पर कार्यान्वयन को लेकर अपनी मजबूत प्रतिबद्धता दोहरायी और कहा कि इस परियोजना के ह्यकंसोर्टियम लीडरह्ण का चयन इस साल एक सितंबर तक कर लिया जाएगा और यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा.
मोदी ने तुर्कमानिस्तान के उर्जा क्षेत्र में दीर्घकालिक निवेश को लेकर भारत की रुचि व्यक्त की. उन्होंने कनेक्टिविटी बढाने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि यह संबंधों का महत्वपूर्ण पहलू है. साथ ही प्रस्ताव किया कि तुर्कमेनिस्तान अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन कोरिडोर का हिस्सा बने.
प्रधानमंत्री रुस के उफा की तीन दिवसीय यात्रा के बाद कल शाम ही यहां पहुंचे. उफा में वह ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलनों में शामिल हुए. इसके अलावा पाकिस्तान, रुस और चीन के शीर्ष नेताओं से उनकी द्विपक्षीय बातचीत भी हुई.मध्य एशिया की आठ दिवसीय यात्रा के तहत मोदी उज्बेकिस्तान और कजाखस्तान की यात्रा पहले ही कर चुके हैं. वह अब किर्गिस्तान और तजाकिस्तान जाएंगे.प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति के साथ सकारात्मक वार्ता हुई. ये बातचीत पेट्रो-रसायन एवं उर्वरक सहित डाउनस्टरीम उद्योगों में निवेश को लेकर भारत की रुचि पर केन्द्रित थी.
उन्होंने बताया कि उर्वरक के क्षेत्र में सहयोग के सहमति पत्र पर दस्तखत किये गये हैं. इससे तुर्कमेनिस्तान से भारत को उर्वरक की दीर्घकालिक आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी. रक्षा क्षेत्र का समझौता उच्च एवं मध्यम स्तर पर विनिमय, प्रशिक्षण और रक्षा मंत्रालयों तथा अन्य संबद्ध संगठनों के बीच वार्ता के जरिए द्विपक्षीय रक्षा और सुरक्षा सहयोग बढाने के लिए ढांचा प्रदान करेगा.
इससे क्षमता विकास तथा तकनीकी सहयोग भी हो सकेगा और इस प्रकार रक्षा क्षेत्र में द्विपक्षीय साझेदारी को नई गति मिलेगी.मोदी ने बर्दीमुखाम्मेदोव को क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए स्थायी तटस्थता की नीति बनाये जाने की 20वीं वर्षगांठ पर उन्हें बधाई दी.
संयुक्त बयान के मुताबिक उन्होंने कहा कि हाल ही में तीन देशों की रेल लाइन का उद्घाटन किया गया है जो उत्तर-दक्षिण परिवहन कोरिडोर के लिए संपर्क कोरिडोर बन सकता है ताकि भारत और तुर्कमेनिस्तान के बीच तथा उससे आगे उत्पादों की आवाजाही को युक्तिसंगत बनाया जा सके.
उन्होंने दोनों देशों के बीच उडान परिचालन बढाने की भी अपील की.संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं ने वैकल्पिक परिवहन कोरिडोर का पता लगाने की दिशा में मिलकर कार्य करने की इच्छा का इजहार किया ताकि दोनों देशों के बीच अतिरिक्त कनेक्टिविटी का विकल्प तैयार किया जा सके.