बैंकाक: एक रक्तहीन क्रांति में तख्तापलट करने के एक दिन बाद थाईलैंड के सैन्य शासन ने देश की सत्ता पर अपनी पकड मजबूत करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री यिंगलक शिनावात्रा और उनके ताकतवर व्यापारिक घराने के कुछ सदस्यों को शनिवार को हिरासत में ले लिया.
तख्तापलट का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों का राजधानी में उन सैनिकों से आमना सामना हुआ जिन्हें प्रदर्शनकारियों को हटाने और सडकों पर मार्शल कानून लागू करने के लिए लगाया गया था. सैनिकों ने बलपूर्वक तख्तापलट का विरोध करने वाले सैकडों प्रदर्शनकारियों को तितर बितर कर दिया.
यिंगलक (46) तख्तापलट होने वाली सरकार के उन 100 से अधिक शीर्ष राजनीतिक हस्तियों में शामिल थीं जिन्हें आज सेना के सामने पेश होने के निर्देश दिए गए थे. यिंगलक को कई घंटों तक एक सैन्य इकाई में रखा गया और फिर किसी अज्ञात स्थान पर ले जाया गया. खुद को नया प्रधानमंत्री नियुक्त करने वाले थलसेना प्रमुख प्रयुत चान ओचा ने गवर्नर, उद्योगपतियों और नौकरशाहों को बैठक के लिए बुलाया था. प्रयुत ने देश के छह सबसे वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को देश चलाने के लिए नियुक्त किया है. वहीं प्रांतीय कमांडर स्थानीय सरकार का निगरानी करेंगे.
जनरल प्रयुक्त ने बैठक में कहा, ‘‘मैं चाहता हूं कि सभी नौकरशाह देश को व्यवस्थित करने में मदद करें. चुनाव से पहले आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक सुधार होना चाहिए. यदि स्थिति शांतिपूर्ण रहती है तो हम सत्ता जनता को लौटाने को तैयार हैं. बैंकाक पोस्ट के अनुसार प्रयुत ने कहा कि नये प्रशासन की प्राथमिकताओं में धान की खेती करने वाले किसान सबसे उपर होंगे. उन्होंने कहा कि किसानों को भुगतान करने के लिए एक बजट बनाया गया है.
पूर्व फीयू थाई पार्टी नीत सरकार की नाकाम योजनाओं के चलते इन लोगों का करोडों बहत (मुद्रा) बकाया है. उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि किसान 15 से 20 दिन में अपनी रकम पाएं.
यिंगलक उन 155 लोगों में शामिल हैं जिन्हें सेना प्रमुख जनरल प्रयुत चान ओचा ने देश में शांति व्यवस्था बहाल करने के लिए तलब किया था. दरअसल, महीनों की अशांति के चलते सरकार बहुत हद तक पंगु हो गई थी और हिंसक झडपें हुई थी. काले रंग के बुलेट प्रूफ फाक्सवैगन वाहन में सवार यिंगलक थेवेस स्थित रॉयल आर्मी सभागार पहुंचीं. उनके साथ सुरक्षाकर्मी एवं अंगरक्षक भी थे.
सेना ने बगैर इजाजत के 155 प्रख्यात राजनीतिक शख्सियतों के देश छोडने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है और उसके आदेश का पालन नहीं करने वाले को गिरफ्तार करने की धमकी दी है. आमतौर पर भीडभाड वाली सडकों पर यातायात कम था लेकिन कई लोग काम पर लौट आये हैं.वर्ष 2006 के तख्तापलट के उलट इस बार सडकों पर टैंक नहीं उतारे गए हैं और सिर्फ कुछ सैनिक ही मुख्य इमारतों की सुरक्षा के लिए तैनात किए गए हैं.