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विवाद को भुलाकर पदक जीतना चाहेंगे नरसिंह, योगी की नजरें शानदार विदाई पर

रियो डि जिनेरियो : रियो ओलंपिक से पहले के विवाद को भुलाकर नरसिंह यादव इस सफर का परीकथा सरीखा अंत करना चाहेंगे जबकि कल से शुरू हो रहे कुश्ती के मुकाबलों में योगेश्वर दत्त लगातार दूसरे पदक के साथ खेलों के इस महासमर को अलविदा कहने की कोशिश में होंगे. भारत का सौ से अधिक […]

रियो डि जिनेरियो : रियो ओलंपिक से पहले के विवाद को भुलाकर नरसिंह यादव इस सफर का परीकथा सरीखा अंत करना चाहेंगे जबकि कल से शुरू हो रहे कुश्ती के मुकाबलों में योगेश्वर दत्त लगातार दूसरे पदक के साथ खेलों के इस महासमर को अलविदा कहने की कोशिश में होंगे. भारत का सौ से अधिक खिलाडियों का दल अभी तक एक भी पदक नहीं जीत सका है और सभी की नजरें कुश्ती पर है.

लंदन ओलंपिक में भारत ने कुश्ती में दो पदक जीते थे लिहाजा इस बार आठ सदस्यीय दल से उस प्रदर्शन के दोहराव की उम्मीद है. ओलंपिक से पहले हालांकि भारतीय दल की तैयारियां विवादों से घिरी रही जब नरसिंह को ऐन मौके पर डोपिंग स्कैंडल से खुद को पाक साफ निकालने में कडी मशक्कत करनी पड़ी. नरसिंह से जुड़े डोपिंग विवाद के कारण पूरी टीम की तैयारियां बाधित हुई है लेकिन नरसिंह ने काफी निर्भीक होकर इसका सामना किया और तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों से विजयी होकर निकले.
विवाद की शुरुआत तब हुई जब दो बार के ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार ने 74 किलो फ्रीस्टाइल वर्ग में चयन ट्रायल की मांग की जबकि भारत के लिये कोटा नरसिंह ने हासिल किया था. मामला दिल्ली उच्च न्यायालय तक गया जिसने सुशील की मांग खारिज कर दी. ओलंपिक शुरू होने से 20 दिन पहले महाराष्ट्र के इस पहलवान को राष्ट्रीय डोपिंग निरोधक एजेंसी ने दो डोप टेस्ट में पाजीटिव पाया. इससे ओलंपिक में उसकी भागीदारी खतरे में पड़ गई लेकिन नरसिंह ने अपील की और नाडा ने मामले की सुनवाई के लिये तीन सदस्यीय समिति का गठन किया.
एक सप्ताह तक चली सुनवाई के बाद नाडा ने नरसिंह के पक्ष में फैसला दिया और उसे तमाम आरोपों से बरी कर दिया. नाडा ने कहा कि वह साजिश का शिकार हुआ है. आखिर में भारतीय कुश्ती महासंघ ने युनाइटेड विश्व कुश्ती से अनुरोध करके 74 किलो वर्ग में उसके नाम पर पुनर्विचार करने को कहा जिसे विश्व ईकाई ने मान लिया. अब नरसिंह को चाहिये कि इन तमाम बातों को भुलाकर अपने काम पर फोकस करे.
नरसिंह ने खेलगांव पहुंचने से पहले कहा ,‘‘ मैं इसके बारे में सोचना नहीं चाहता. मैं अपने अभ्यास पर ध्यान दे रहा हूं. मैं अपने देश के लिये पदक जीतना चाहता हूं. मेरे लिये यही उम्मीद बची है.” नरसिंह पर अपनी उपयोगिता साबित करने का अतिरिक्त दबाव होगा क्योंकि उसे भारत के लिये दो बार ओलंपिक पदक जीतने वाले पहलवान पर तरजीह दी गई है. गत चैम्पियन जोर्डन बरोस इस वर्ग में पदक के दावेदारों में है.
इस बीच लंदन ओलंपिक कांस्य पदक विजेता योगेश्वर दत्त पर सभी की नजरें होंगी जो अपना चौथा और आखिरी ओलंपिक खेल रहे हैं. योगेश्वर पुरुषों के 65 किलोवर्ग में 21 अगस्त को उतरेंगे. उनका सामना इटली के विश्व चैम्पियन फ्रेंक चामिजो और फिर रुस के सोसलान रामोनोव से होगा. नरसिंह और योगेश्वर के अलावा संदीप तोमर (57 किलो फ्रीस्टाइल) भी पदक के दावेदार है क्योंकि पिछले कुछ अर्से में वह किसी भी अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट से पदक के बिना नहीं लौटे हैं.
उन्हंे अपने वर्ग में विश्व चैम्पियनशिप के स्वर्ण पदक विजेता और लंदन ओलंपिक के रजत पदक विजेता ब्लादीमिर के और ईरान के हसन रहीमी से कड़ी चुनौती मिलेगी. हरदीप सिंह ग्रीको रोमन 98 किलोवर्ग में सरप्राइज पैकेज साबित हो सकते हैं. उसने एशियाई ओलंपिक क्वालीफिकेशन में रजत पदक जीतकर कोटा हासिल करके रियो का टिकट कटाया था. वह 2004 के एथेंस ओलंपिक के बाद ओलंपिक में जगह बनाने वाले भारत के पहले ग्रीको रोमन पहलवान बने. रविंदर खत्री 85 किलो ग्रीको रोमन में उतरेंगे. महिला वर्ग में विनेश (48 किलो) और बबीता कुमारी (53 किलो) के अलावा साक्षी मलिक (58 किलो) भी चुनौती पेश करेगी. विनेश पदक की उम्मीदों में से है जिसने एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई चैम्पियनशिप में पदक जीते हैं.

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