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पहली ब्रितानी महिला पीएम बनना चाहती थीं ..

गेविन स्टैंप राजनीतिक संवाददाता, बीबीसी न्यूज़ टेरीज़ा मे बुधवार को ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री बन रही हैं. हालांकि उन्हें ये ज़िम्मेदारी तब मिली है जब ब्रिटेन मुश्किल दौर से गुज़र रहा है. कंजरवेटिव पार्टी की नेता टेरीज़ा मे डेविड कैमरन सरकार में गृहमंत्री थीं, और बीते छह साल के दौरान उनके काम ने बहुत असर […]

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टेरीज़ा मे बुधवार को ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री बन रही हैं. हालांकि उन्हें ये ज़िम्मेदारी तब मिली है जब ब्रिटेन मुश्किल दौर से गुज़र रहा है.

कंजरवेटिव पार्टी की नेता टेरीज़ा मे डेविड कैमरन सरकार में गृहमंत्री थीं, और बीते छह साल के दौरान उनके काम ने बहुत असर डाला है.

59 साल की टेरीज़ा मे, मारग्रेट थैचर के बाद ब्रिटेन की प्रधानमंत्री बनने वाली दूसरी महिला हैं. यूरोपीय संघ के मुद्दे पर हुए जनमत संग्रह के बाद डेविड कैमरन को इस्तीफ़ा देना पड़ा.

कैमरन ने पिछले साल हुए चुनावों में कंजरवेटिव पार्टी को चुनावी जीत दिलाई थी. लेकिन उम्मीद के उलट देश की जनता ने यूरोपीय संघ के साथ रहने के मुद्दे – ब्रेक्सिट पर उनका साथ नहीं दिया.

उनके इस्तीफ़े के बाद भी टेरीज़ा मे लगभग सर्वसम्मति से देश की बागडोर संभालने को तैयार हैं. ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने वाली टेरीज़ा मे 1997 से ही लगातार ब्रिटिश सांसद रही हैं.

बीते सौ साल के दौरान सबसे लंबे समय तक गृह मंत्रालय की ज़िम्मेदारी संभालने के लिहाज से वे दूसरे नंबर पर रही हैं.

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उनके पिता चर्च में पादरी थे, जिनकी कार दुर्घटना में मौत हो गई थी. तब टेरीज़ा मे केवल 25 साल की थीं. परिवार की माली स्थिति आम परिवारों जैसी थी. सरकारी प्राथमिक स्कूल के बाद उनकी पढ़ाई हुई. इसके बाद वे कान्वेंट स्कूल में भी पढ़ीं, फिर व्हीटली गांव के ग्रामर स्कूल में उन्होंने पढ़ाई की.

तब टेरीज़ा का पूरा नाम टेरीज़ा ब्रेज़ियर था, वे गांव में रह रही थीं, मूक नाटकों में हिस्सा ले रही थीं और शनिवार को बेकरी में काम करती थीं ताकि जेबख़र्च निकाल पाएं.

दोस्त बताते हैं कि शुरुआत से ही वो काफ़ी फ़ैशनबल थीं और कम उम्र में ही ब्रिटेन की पहली महिला प्रधानमंत्री बनने का सपना देखा करती थीं.

मार्गेट थैचर के बाद ही सही, टेरीज़ा मे के बचपन के दिनों का सपना अब पूरा हो रहा है. वे थैचर की तरह ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी पढ़ाई करने पहुंची और यहीं से उनके करियर और जीवन को नई दिशा मिली.

1976 में पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात फिलिप मे से हुई, जो उस वक्त ऑक्सफ़ोर्ड यूनियन के अध्यक्ष थे. कहा जाता है कि इन दोनों की मुलाकात बेनज़ीर भुट्टो ने कराई थी. दोनों ने 1980 में शादी कर ली.

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उनके बारे उनके दोस्त पैट फ्रैंकलैंड ने 2011 में बीबीसी रेडियो 4 से बातचीत करते हुए कहा था, “मुझे ऐसा कोई भी वक्त याद नहीं आता जब उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं दिखती रही हो. वे तब ब्रिटेन की पहली महिला प्रधानमंत्री बनाना चाहती थीं. उनका ख़ूब मौज मस्ती वाली सामाजिक ज़िंदगी थी.”

भूगोल में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद मे ने बैंक ऑफ़ इंग्लैंड में काम करना शुरू किया और उसके बाद टेरीज़ा में एसोसिएशन फॉर पेमेंट क्लियरिंग सर्विसेज के यूरोपीयन अफेयर्स यूनिट की प्रमुख बनीं.

लेकिन तब तक उन्होंने राजनीति को अपना करियर बनाना तय कर लिया था. दक्षिण लंदन के मेर्टन में वे पहली बार स्थानीय काउंसिलर चुनीं गईं. उन्होंने एक दशक तक अपने वॉर्ड की सेवा की और उसके राजनीति के आसमान पर पांव जमाने शुरू किए.

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हालांकि ब्रिटिश संसद में पहुंचने की उनकी 1992 में की गई कोशिश नाकाम हो गई थी, तब वे नार्थ वेस्ट डरहम में हिलेरी आर्मस्ट्रांग से चुनाव हार गईं थीं. दो साल बाद उपचुनाव में ईस्ट लंदन में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा. फिर आया 1997, जब ब्रिटेन में टॉनी ब्लेयर को बड़ी जीत मिली थी, तब टेरीज़ा मे कंजरवेटिव पार्टी की ओर से बर्कशायर की मेडनहेड सीट से चुनाव जीतने में कामयाब हुईं.

इसके बाद से ही वे यहां से लगातार चुनाव जीतती रही हैं. हालांकि उनके करियर में सबसे अहम मोड़ छह साल पहले तब आया जब वे 2009 गृहमंत्री बनीं. ब्रिटेन का गृह मंत्रालय कई राजनेताओं की कब्रगाह के तौर पर मशहूर रहा है लेकिन टेरीज़ा मे ने इस धारणा को बदल दिया है.

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हालांकि इस दौरान वह अपनी स्टाइल और फैशन के लिए भी ख़ूब मशहूर रही हैं. ख़ासकर अपने सैंडल के लिए, माना जाता है कि उनके पास सैंडलों का अच्छा ख़ासा क्लेक्शन है.

जहां तक नीतियों की बात है, उनकी कुछ नीतियां बेहद साफ़ हैं. वे ब्रेक्सिट के पक्ष में हैं और वे इस मुद्दे पर दूसरा जनमत संग्रह नहीं कराना चाहती हैं. हालांकि उन्होंने ये भी कहा है कि यूरोपीय संघ को छोड़ने के मसले पर आधिकारिक फ़ैसला 2016 के समाप्त होने से पहले संभव नहीं होगा. इसके अलावा वे कंपनियों के बोर्डरूम में कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व भी चाहती हैं.

वह समलैंगिक विवाह का समर्थन कर चुकी हैं. इसके अलावा 2012 में उन्होंने कानूनी गर्भपात करने की सीमा को 24 सप्ताह से घटाकर 20 सप्ताह करने का विचार दिया था. वे ब्रिटेन में लोमड़ियों के शिकार पर पाबंदी लगाने के प्रस्ताव के ख़िलाफ़ वोट कर चुकी हैं.

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जहां तक भारत का संबंध है, टेरीज़ा मे 2012 में एक बार भारत आ चुकी हैं. डेविड कैमरन का ज़ोर भारत के साथ संबंधों को बेहतर बनाने में था, ऐसी उम्मीद की जा रही है कि टेरीज़ा मे उसी रास्ते को अपनाएगीं. वैसे भी यूरोपीयन संघ से अलग होने की प्रक्रिया में ब्रिटेन भारत के साथ अपने कारोबारी संबंधों को बढ़ावा देगा.

वैसे 2013 में गृह मंत्री के तौर पर वे भारत को तब नाराज़ कर चुकी हैं, जब उन्होंने भारत को उन पांच देशों में शामिल किया था, जिनके लोगों को वीज़ा हासिल करने के लिए 3000 पाउंड जमा करना था, जो लौटते वक्त वापस हो जाता था. हालांकि ये प्रावधान समाप्त हो गया. लेकिन अप्रवासन के मुद्दे पर वह सख्त रवैया भी अपना सकती हैं. अप्रैल, 2012 में उन्होंने पोस्ट स्टडी वर्क वीज़ा समाप्त कर दिया था, जिसका भारतीय छात्रों को काफ़ी नुकसान हुआ था.

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ब्रिटिश राजनीति पर नज़र रखने वाले विश्लेषक उन्हें एक मुश्किल महिला मानते हैं. मार्गेट थैचर की तरह ही उन्हें काफी कठोर माना जाता है. हालांकि इतने लंबे सार्वजनिक जीवन के बाद भी टेरीज़ा मे अपनी निजी ज़िंदगी के बारे में कम ही बोलती नज़र आईं. 2013 में वे उन्होंने बताया कि वो डायबिटीज की मरीज़ हैं और उन्हें हर दिन इंसूलिन के दो सुई लेनी पड़ रही है.

वैसे 1976 में जेम्स कैलाघन के बाद वह डाउनिंग स्ट्रीट पहुंचने वाली सबसे ज़्यादा उम्र की प्रधानमंत्री बनने जा रही हैं और टेड हीथ के बाद पहली ऐसी प्रधानमंत्री जिनके अपने बच्चे नहीं हैं. वैसे एक ख़ास बात ये है कि टेरीज़ा मे और उनके पति को क्रिकेट का खेल ख़ूब पसंद है.

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