सुप्रीम कोर्ट ने सतलुज-यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार शीर्ष अदालत ने गृह मंत्रालय के सचिव, पंजाब के मुख्य सचिव और डीजीपी को सतलुज-यमुना (एसवाई0 की ज़मीन और अन्य मुद्दों पर संयुक्त रिसीवर नियुक्त किया है.
अदालत ने कहा कि इस संबंध में जारी आदेश को लागू न करने देने की कोशिशें की जा रही हैं और ऐसे में अदालत ख़ामोश नहीं बैठ सकती.
पंजाब और हरियाणा के बीच रावी-ब्यास नदियों के अतिरिक्त पानी को साझा करने का समझौता साठ साल पुराना है. हरियाणा राज्य बनने के बाद केंद्र ने 1976 में पंजाब को 3.5 मिलियन एकड़ फ़ीट (एमएएफ़) पानी हरियाणा को देने का आदेश दिया है.
इस अतिरिक्त पानी को भेजने के लिए सतलुज यमुना लिंक नहर पर 1980 में काम शुरू हुआ था लेकिन पंजाब ने 95 फ़ीसदी काम पूरा होने के बाद काम रोक दिया था. 1986 में हरियाणा इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गया था.
उधर इस मुद्दे पर हरियाणा में विपक्षी दल आइएनएलडी के नेताओं ने पंजाब विधानसभा पर हमला बोल दिया.
चंडीगढ़ में दोनों राज्यों की विधानसभाएं एक ही परिसर में हैं. गुरुवार को हरियाणा में विपक्ष के नेता अभय चौटाला और राज्य इकाइ अध्यक्ष अशोक अरोड़ा के नेतृत्व में पार्टी विधायक पंजाब विधानसभा भवन के बाहर पहुंच गए और नारे लगाने लगे.
विधायकों की पंजाब विधानसभा के सुरक्षाकर्मियों से झड़प भी हो गई.
हरियाणा के एक भाजपा विधायक ने गुरुवार को पंजाब में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर दी. ख़ास बात यह है कि पंजाब में अकाली दल के साथ भाजपा सरकार में है.
अंबाला के विधायक असीम गोयल ने दावा किया कि रोपड़ और पटियाला ज़िलों में 150 जेसीबी नहर को भरने के काम में लगाई गई हैं, जिससे साफ़ हो जाता है कि वहां स्थितियां ‘ढह’ गई हैं.
इससे पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने गुरुवार को कहा, "यह बहुत पुराना समझौता है और इसका पालन किया ही जाना चाहिए. संघीय ढांचे में हुए समझौतों का सभी राज्य पालन करते हैं, पंजाब को भी करना चाहिए. अब मामला सुप्रीम कोर्ट में है- वह फ़ैसला देगा."
इस हफ़्ते सुप्रीम कोर्ट पंजाब सरकार के टर्मिनेशन ऑफ़ एग्रीमेंट्स एक्ट, 2004 को ख़त्म करने की वैधता पर सुनवाई कर रहा है.
पीटीआई के अनुसार पंजाब सरकार ने एसवाईएल नहर के लिए हरियाणा सरकार से मिली राशि वापस करने का फ़ैसला किया और बुधवार को 191.75 करोड़ रुपये का चेक हरियाणा सरकार को भेज दिया.
हरियाणा सरकार ने यह राशि उन ज़मीन मालिकों को मुआवज़े के रूप में दी थी जिनकी ज़मीन एसवाईएल नहर के लिए अधिग्रहित की गई थी.
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