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नये कलेवर में क्लासिक किताबें

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस को रोहन मूर्ति के द्वारा दिये गये 5.2 मिलियन डॉलर के दान से मूर्ति क्लासिकल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया की स्थापना की गयी. इस लाइब्रेरी का उद्देश्य पिछले दो हजार साल के महान प्राचीन भारतीय क्लासिक ग्रंथों को नये कलेवर में पाठकों के सामने लाना है. जनवरी 2015 से लाइब्रेरी ने भारतीय साहित्य […]

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस को रोहन मूर्ति के द्वारा दिये गये 5.2 मिलियन डॉलर के दान से मूर्ति क्लासिकल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया की स्थापना की गयी. इस लाइब्रेरी का उद्देश्य पिछले दो हजार साल के महान प्राचीन भारतीय क्लासिक ग्रंथों को नये कलेवर में पाठकों के सामने लाना है. जनवरी 2015 से लाइब्रेरी ने भारतीय साहित्य की क्लासिक किताबें प्रकाशित करनी शुरू की हैं. सभी किताबें द्विभाषीय फॉरमैट में हैं- पहले पन्ने पर मूल भाषा, जिसमें रचना हुई है और सामने वाले पन्ने पर अंगरेजी भाषा में अनुवाद. इस लाइब्रेरी के एडिटोरियल बोर्ड में मोनिका हॉर्स्टमान, शेल्डन पोलॉक, सुनील शर्मा और डेविड शुल्मैन हैं.

कोलंबिया यूनिवर्सिटी के संस्कृतज्ञ शेल्डन पोलॉक इसके जेनरल एडिटर हैं. वह इसके पहले क्ले संस्कृत लाइब्रेरी के संपादक रह चुके हैं. भारतीय साहित्य की क्लासिक किताबों की शृंखला में अपभ्रंश, पालि, प्राकृत, संस्कृत, हिंदी, बांग्ला, गुजराती, मराठी, पंजाबी, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, सिंधी, फारसी, उर्दू और अन्य भारतीय भाषाओं की रचनाएं होंगी. भारत की सभी परंपराओं की कहानियां, कविताएं, कथेतर रचनाएं और धार्मिक साहित्य इस शृंखला में प्रकाशित होंगी. इसमें बौद्ध और इसलाम धर्म से संबंधित क्लासिक रचनाएं भी शामिल हैं. किताबें पेपरबैक संस्करण में हैं.

रोहन इनफोसिस के संस्थापक नारायणमूर्ति और मशहूर लेखिका सुधा मूर्ति के पुत्र हैं. कॉरनेल यूनिवरसिटी से अंडरग्रैजुएशन किया. हार्वर्ड यूनिवरसिटी से कंप्यूटर साइंस में पीएचडी की. सीबेल स्कॉलर्स फेलोशिप और माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च फेलोशिप की सहायता से उन्होंने हार्वर्ड की पढ़ाई पूरी की. उनकी रुचि विज्ञान के अलावा दर्शन और इतिहास में भी है.

किरातवेशी शिव के साथ अर्जुन का युद्ध

किरातार्जुनीयम को संस्कृत साहित्य के महाकाव्यों में गिना जाता है़ इसे अंगरेजी भाषा में इंदिरा विश्वनाथन पीटरसन ने अर्जुना एंड द हंटर के नाम से अनूदित किया है़ मूल रूप से छठी शताब्दी के कवि भारवि द्वारा रचित यह महाकाव्य महाभारत के एक आधारभूत प्रकरण की पहली और सबसे उल्लेखनीय पुनर्व्याख्या माना जाता है़

इसे संस्कृत साहित्य में महाकाव्यों की ‘वृहत्त्रयी’ में स्थान प्राप्त है़ महाभारत में वर्णित किरातवेशी शिव के साथ अर्जुन के युद्ध की लघु कथा को आधार बनाकर कवि ने राजनीति, धर्मनीति, कूटनीति, समाजनीति, युद्धनीति, जनजीवन आदि का बड़ा बढ़िया वर्णन किया है. इस काव्य में साहित्य के विभिन्न रस भरे पड़े हैं, लेकिन यह मुख्य तौर पर वीर रस प्रधान रचना है़

भारवि ने वनपर्व के पांच अध्यायों से पांडवों के वनवास के समय, अमोघ अस्त्र के लिए अर्जुन द्वारा की गयी शिव की घोर तपस्या के फलस्वरूप पाशुपतास्त्र प्राप्त करने के छोटे-से प्रसंग को उठाकर उसे 18 सर्गों के इस महाकाव्य का रूप दिया है़

इसमें काव्यशास्त्र में स्थापित महाकाव्य की अन्य विशेषताओं, जैसे – प्रकृति, जलविहार, समुद्रों, पर्वतों, ऋतुओं, चंद्रोदय, सूर्योदय, उद्यान विहार, मधुपान, शृंगार, विजय आदि का वर्णन किया गया है़ राजनीति का वर्णन करते हुए भारवि में सरलता, सहजता और गंभीरता के दर्शन परिलक्षित होते हैं. अपनी सुंदर, सूक्तिनुमा कविता, शक्तिशाली कल्पना, नाटकीय भाषण और विशद विवरण के साथ अर्जुना एंड द हंटर के नाम से पहली बार अंगरेजी भाषा में अनूदित इस रचना के साथ-साथ, पाठकों की सुविधा के लिए संबंधित संस्कृत सूक्तों को भी जगह दी गयी है़

अकबर के शासन का ऐतिहासिक विवरण

मुगल बादशाह अकबर के दरबारी विद्वान अबुल फजल लिखित ऐतिहासिक ग्रंथ अकबरनामा को अंगरेजी में द हिस्ट्री ऑफ अकबर का नाम दिया गया है़ अंगरेजी भाषा के जाने-माने विद्वान व्हीलर एम थैकस्टन द्वारा फारसी से अंगरेजी में अनूदित लिखी गयी और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा मुद्रित इस किताब के दूसरे भाग में अकबर के 18वें से 46वें शासन वर्ष, यानी 1573 से 1601 ईसवी तक की बातें हैं.

मूल किताब अकबर के शासन काल में लिखा गया प्रामाणिक इतिहास है, क्योंकि लेखक को इसकी बहुत-सी बातों की निजी जानकारी थी और सरकारी कागजात तक उसकी पहुंच थी़ तिथियों और भौगोलिक जानकारी के लिए भी यह विश्वसनीय है़ महान गद्य लेखक अबुल फजल की इस मूल कृति में तत्कालीन इतिहास और समाज की विशाल सामग्री इकट्ठा की गयी है़ अकबरनामा के दो भाग हैं, जो तत्कालीन इतिहास की विभिन्न परिस्थितियों का स्पष्ट विवरण प्रस्तुत करते हैं. पहले भाग में बाबर, हुमायूं आदि के बारे में लिखते हुए इतिहास को अकबरी शासन के 17वें वर्ष, यानी 1573 ईसवी तक का वर्णन है़

इसे फारसी से अंगरेजी में अनुवाद करने के क्रम में व्हीलर ने अकबर के समय की कोई महत्वपूर्ण घटना नहीं छोड़ी है और यथासंभव अबुल फजल के शब्दों में ही उनका वर्णन किया है़ उन्होंने भाषा की जटिलता दूर कर उसे आसान बना दिया है़ इस किताब को पढ़कर पाठकों को लेखक की मनोवृत्ति का अनुमान हो सकेगा़ इस किताब में पाठकों की सुविधा के लिए फारसी की मूल रचना के ठीक सामने उसका अंगरेजी अनुवाद पेश किया गया है़

राम भक्ति जहं सुरसरि धारा…

पहले खंड में राम कथा के साथ धार्मिक विचार, देवताओं व ऋषि-मुनियों की कहानी, दार्शनिकता से परिपूर्ण और राजशाही अंदाज में प्रस्तुत किया गया है. साथ ही तुलसीदास का परिचय भी शानदार तरीके से किया गया है. मुक्त छंद में नव अनुदित ‘द एपिक ऑफ राम’ कथाकार व कवि के जुनून और प्रेरणा को बता देते हैं. रामचरित मानस के अनुरूप ही ‘द एपिक ऑफ राम’ का पहला खंड ‘बालकांड’ है. इसे दो खंडों में रखा गया है. पहले खंड में एक से लेकर 175 पद और दूसरे खंड में 176 से 361 पद हैं. पहला खंड पांच भागों में विभाजित है.

इसके पहले भाग में कवि की प्रस्तावना एक से 43 पद, दूसरे भाग में 44 से लेकर 124 पद में सती का मोह और पार्वती से शिव के विवाह का वर्णन, तीसरे भाग में 125 से लेकर 139 पद में नारद का मोह और अभिशाप तथा 140 से लेकर 182 पद मनु और शत्रुपा की कहानी और वरदान का जिक्र है. अंतिम भाग यानी 153 से लेकर 175 पद में राजा प्रतापभानु की कहानी है. प्रस्तावना में ही शाप और वरदान की कहानी के माध्यम से राम के जन्म का मंच तैयार कर दिया गया है.

‘द एपिक ऑफ राम’ के दूसरा खंड में बालकांड के शेष 186 पद हैं. दूसरे खंड की शुरुआत ऋषि यज्ञवलक्य द्वारा उनके मित्र भारद्वाज को बतायी जा रही कथा से होती है. कथा के माध्यम से उन्होंने बताया है कि राजा प्रतापभानु, उनके भाई और प्रधान मंत्री का पुनर्जन्म कैसे निशाचर के रूप में होता है. दूसरे खंड को तीन भागों में बांटा गया है. पहले भाग में राक्षस राज रावण के अत्याचार का वर्णन है.

वहीं, दूसरे भाग में राम के पृथ्वी पर अवतरित होने, राम के शैशवकाल, बचपन और युवा होने का वर्णन किया गया है. तीसरे और अंतिम भाग में राजकुमारी सीता के साथ विवाह और जश्न है. इसके अलावा अहिल्या उद्धार, फुलवारी प्रसंग के साथ राम और सीता के पारस्परिक ‘लव एट फर्स्ट साइट’ का वर्णन भी बड़ी सहजता से उकेरा गया है. साथ ही ‘द एपिक ऑफ राम’ के दूसरे खंड में पाठकों की सहायता के लिए मूल पाठ के नोट्स, उनके अनुवाद, शब्दकोश, संदर्भ ग्रंथों की सूची और क्रम सूची भी दी गयी है.

महानायक सम्राट अशोक

लेखक – एमएम चंद्रा

प्रकाशक : डायमंड बुक्स

पृष्ठ : 144

मूल्य : 100 रुपये

अशोक अपने धम्म प्रचार के माध्यम से मनुष्यता के सिद्धांतों पर जोर देते थे, जिससे उन्होंने सभी धर्मों के बीच संतुलन बनाने में सफलता हासिल की़ आधुनिक परिवेश में महान अशोक का जीवन और उनकी उपलब्धियां पाठकों के लिए उपयोगी हैं, ताकि भारत में भी नैतिकता के उच्च मूल्यों को बनाये रखा जा सके़ यह किताब विश्व में बौद्ध धर्म की स्थापना और उसके प्रचार-प्रसार में एक राजा के उल्लेखनीय और ऐतिहासिक उपलब्धियों की जानकारी देती है़ साथ ही इस बात पर जोर देती है कि समाज के किशोर अपना नैतिक चरित्र मजबूत बना सकें.

आस्था और प्यार

लेखिका – संगीता माहेश्वरी

प्रकाशक : रूपा प्रकाशन

पृष्ठ : 154

मूल्य : 195 रुपये

इस किताब के जरिये लेखिका ने लोगों को खाटू श्याम बाबा के बारे में बताने की कोशिश की है़ खाटू श्याम बाबा राजस्थान के अलावा गुजरात, हरियाणा और पश्चिम बंगाल में भी पूजे जाते हैं. इस किताब के माध्यम से खाटू श्याम के जीवन के रहस्य को लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की गयी है़ इसमें लेखिका और उनकी आध्यात्मिक माता सावित्री शर्मा (मां) के जीवन की झलक भी दिखती है़ लेखिका की जिंदगी में कैसे मां एक मार्गदशर्क की भूमिका में आती हैं और उन्हें अपने बच्चों के नहीं रहने के दुख से उबरने में मदद करती हैं.

पॉजिटिव थिंकिंग

लेखक – जोगिंदर सिंह

प्रकाशक : डायमंड बुक्स

पृष्ठ : 50

मूल्य : 175 रुपये

जीवन और व्यवसाय की सबसे बड़ी योग्यता यही है कि आप दूसरों से मनचाहा काम करा सकें. उन्हें प्रभावित कर सकें. केवल एक बार सफल होना आवश्यक नहीं होता़ आपको बार-बार जीतने की और चारों ओर बड़ी घटनाओं से घिरे रहने की आदत डालनी होगी़ लेखक मूलत: भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी रहे हैं. इस किताब में अपने अनुभवों के आधार पर उन्होंने लिखा है कि उत्साह और आत्मविश्वास के साथ सफलता प्राप्त करना आसान हो जाता है़ दूसरों का नेतृत्व करने के लिए आपको पूरी लगन और मेहनत के साथ काम करना होगा़

बरगद की छांव में

लेखक – प्रभाकर अग्रवाल

प्रकाशक : मेगा माइंड पब्लिकेशन प्रा लि

पृष्ठ : 296

मूल्य : 320 रुपये

अच्छी पुस्तकें जीवन का मार्गदर्शन होती हैं, बरगद की छांव में, इन्हीं में से एक है. पूर्व महाधिवक्ता एसबी गाड़ोदिया के संस्मरण पर लिखी गयी पुस्तक बरगद की छांव में का लोकार्पण सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमवाई इकबाल के हाथों हो चुका है़ पुस्तक को रोचक बनाने में लेखक ने सुंदर शब्दों का बढ़िया चयन किया है़ इसमें एसबी गाड़ोदिया के सरल और समाज कल्याण को समर्पित जीवन का जिक्र है़ गाड़ोदिया ने जीवन के उतार-चढ़ाव के दौरान कई अनुभव प्राप्त किये हैं, जिन्हें संस्मरण लेखक ने बड़ी सहज भाषा से पुस्तक में लिखा है़

रचनात्मक नेतृत्व

लेखक – डॉ किरण बेदी

प्रकाशक : डायमंड बुक्स

पृष्ठ : 50

मूल्य : 100 रुपये

लेखिका पुलिस महकमे में अनेक वरिष्ठ पदों पर रही हैं. वह सदैव आगे बढ़कर चुनौतियों का सामना करना पसंद करती थीं. यह सचित्र पुस्तिका उनके करियर की चुनौतियों पर आधारित है़

अपनी इस रचनात्मक जीवनी में वह लिखती हैं – मेरी ऊंचे स्तर की पुलिस सेवा सृजनात्मक और खोजपूर्ण रही़ उनका कहना है कि हर कार्यक्षेत्र में समस्याएं आती हैं, जिसके लिए लोगों को समाधान चाहिए, बहाने नहीं. बच्चों और किशोरों के लिए यह किसी प्रेरणा से कम नहीं है़ इससे उन्हें यह सीख मिलेगी कि कोशिश करने से किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है़

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